Indigo संकट के बीच झुकी मोदी सरकार! DGCA ने अपने ही फैसले पर लिया यू-टर्न, अब यात्रियों की सुरक्षा को लेकर उठे सवाल

DGCA ने शुक्रवार को पायलट ड्यूटी के जिन नियमों में राहत की बात कही है ये वही नियम है, जिसे सरकार ने कुछ ही समय पहले यात्रियों की सुरक्षा और पायलटों की सेहत को ध्यान में रखते हुए लागू किया गया था।

फोटो: सोशल मीडिया
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पवन नौटियाल @pawanautiyal

इंडिगो की रद्द हो रही उड़ानों से मची अफरातफरी के बीच मोदी सरकार को आखिरकार अपने ही फैसले पर यू-टर्न लेना पड़ा। नागर विमानन महानिदेशालय यानी DGCA ने शुक्रवार को पायलट ड्यूटी नियमों में तत्काल प्रभाव से राहत का ऐलान कर दिया, आपको बता दें, ये वही नियम है, जिसे सरकार ने कुछ ही समय पहले यात्रियों की सुरक्षा और पायलटों की सेहत को ध्यान में रखते हुए लागू किया गया था।

यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब देशभर में इंडिगो की 500 से अधिक उड़ानें रद्द होने से एयरपोर्ट्स पर अव्यवस्था और यात्रियों की नाराजगी चरम पर है। उधर, विपक्ष ने संसद में इसे 'सरकार की रेगुलेटरी नाकामी' और 'एयरलाइन की मोनोपॉलिस्टिक प्रैक्टिस' बताया, जिसके बाद सरकार पर दबाव और बढ़ गया।

सरकार का यू-टर्न!

विमान नियामक ने इस बढ़ते संकट को नियंत्रित करने के लिए अब अपने ताजा नोटिफिकेशन में उस नियम में छूट देने की घोषणा की है, जिसमें एयरलाइनों को पायलट के साप्ताहिक आराम के साथ छुट्टी को जोड़ने से रोक दिया गया था। इससे पहले डीजीसीए ने अपने आदेश में कहा था कि साप्ताहिक आराम को छुट्टी के साथ प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है।

नए नोटिफिकेशन में डीजीसीए ने कहा कि मौजूदा समय में कई एयरलाइन के परिचालन में आ रही परेशानियों एवं समस्याओं के देखते हुए और ऑपरेशंस में निरंतरता और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए इस प्रावधान के रिव्यू को जरूरी समझा गया है। नियामक ने आगे कहा, "एयरलाइनों को पायलट के साप्ताहिक आराम के साथ छुट्टी को जोड़ने से रोकने के आदेश को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाता है।"


डीजीसीए प्रमुख ने सुचारू उड़ान संचालन सुनिश्चित करने के लिए पायलटों से मांगा सहयोग

उधर, नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के महानिदेशक फैज अहमद किदवई ने शुक्रवार को इंडिगो के परिचालन में बड़े पैमाने पर पैदा हुए व्यवधान के बीच उड़ानों के सुचारू संचालन के लिए सभी पायलटों से सहयोग का अनुरोध किया। किदवई ने अपनी अपील में कहा कि परिचालन संबंधी बाधाओं के कारण इंडिगो की वर्तमान उड़ान बाधाओं, अप्रत्याशित मौसम और बढ़ती मांग के कारण विमानन क्षेत्र इस समय काफी दबाव का सामना कर रहा है।

उन्होंने कहा कि इन व्यवधानों के कारण देरी हुई है, यात्रियों को असुविधा हुई है और विमानों के संचालन पर दबाव बढ़ा है। किदवई ने कहा, ‘‘अब कोहरे के मौसम, छुट्टियों और शादियों के मौसम को देखते हुए यह जरूरी है कि उद्योग और भी बड़ी परिचालन चुनौतियों के लिए तैयार रहे। यात्रियों की संख्या में तेजी से वृद्धि होने की उम्मीद है। मौसम संबंधी प्रभाव उड़ान सेवाओं के समय-निर्धारण एवं उनकी सुरक्षा को अधिक जटिल बना सकते हैं।’’

उन्होंने स्थिति को सक्रियतापूर्वक एवं सुरक्षित रूप से प्रबंधित करने के लिए पायलट और विमानन कंपनियों के बीच समन्वय को मजबूत करने की जरूरत पर भी बल दिया। उड़ान ड्यूटी समय सीमा (एफडीटीएल) मानदंडों में ढील को लेकर कुछ हलकों में व्याप्त चिंताओं के बीच डीजीसीए ने कहा कि वह ‘एफडीटीएल के नागर विमानन प्रावधानों को पूरी तरह लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।’

संशोधित एफडीटीएल नियमों का दूसरा चरण एक नवंबर से लागू हुआ है। इसके लिए समय से तैयारी नहीं कर पाने की वजह से इंडिगो में चालक दल की बड़े पैमाने पर कमी सामने आई है।

दिल्ली एयरपोर्ट से इंडिगो की डोमेस्टिक फ्लाइट रात 12 बजे तक रद्द

इंडिगो ने जारी एक बयान में कहा कि हम पुष्टि करते हैं कि 5 दिसंबर 2025 को दिल्ली एयरपोर्ट से प्रस्थान करने वाली इंडिगो की सभी घरेलू उड़ानें रात 11:59 बजे तक रद्द रहेंगी। इन अप्रत्याशित परिस्थितियों से प्रभावित हमारे सभी सम्मानित ग्राहकों और हितधारकों से हम गहरी क्षमा प्रकट करते हैं।

प्रभावित यात्रियों की सहायता के लिए हम उन्हें रिफ्रेशमेंट, उनकी पसंद के अनुसार अगली उपलब्ध उड़ान, होटल में ठहरने की सुविधा, लगेज प्राप्त करने में सहायता, और पूर्ण रिफंड (जहां लागू हो) प्रदान कर रहे हैं।


सरकार के फैसले से उठे कई सवाल

केंद्र सरकार ने कहा कि वह इंडिगो की ऑपरेशनल रिकवरी और यात्री सपोर्ट कदमों की मॉनिटरिंग कर रहा है। लेकिन सवाल वही है क्या यात्रियों की सुरक्षा और पायलट और क्रू की सेहत अब प्राथमिकता नहीं रही?

सबसे बड़ा सवाल ये भी है कि जब पायलटों को पर्याप्त आराम न मिलने की चिंताओं को लेकर सरकार ने नियम सख्त किए थे, तो अचानक इतनी जल्दी यू-टर्न क्यों ले लिया? क्या बढ़ती अव्यवस्था और इंडिगो की परिचालन क्षमता बचाने के लिए सुरक्षा और सेहत जैसे अहम मुद्दों को पीछे धकेल दिया गया? सवाल ये भी है कि क्या दबाव में लिए गए इस फैसले से यात्रियों की सुरक्षा से समझौता नहीं होगा?