पाकिस्तान को दो हिस्सों में बांटो और PoK को भारत में मिला दो- रेवंत रेड्डी ने पीएम मोदी से की मांग
रेवंत रेड्डी ने इंदिरा गांधी का याद दिलाते हुए कहा कि जब 1967 में चीन ने हमारे देश पर हमला किया था, तो इंदिरा गांधी ने करारा जवाब दिया था। उसके बाद 1971 में पाकिस्तान ने देश पर हमला किया, इंदिरा गांधी ने करारा जवाब दिया और देश को दो हिस्सों में बांट दिया।

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के पीड़ितों के समर्थन में एकजुटता दिखाने के लिए आज हैदराबाद में कांग्रेस ने विशाल कैंडल लाइट मार्च किया। इस मार्च में तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद, राज्य सरकार के कई मंत्री, कांग्रेस के कई नेता और एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हुए।
कैंडल मार्च के दौरान सीएम रेवंत रेड्डी ने कहा, "हम सब मिलकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन करेंगे। जब 1967 में चीन ने हमारे देश पर हमला किया था, तो इंदिरा गांधी ने करारा जवाब दिया था। उसके बाद 1971 में पाकिस्तान ने देश पर हमला किया, इंदिरा गांधी ने करारा जवाब दिया और देश को दो हिस्सों में बांट दिया। आज हमें पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। हमें करारा जवाब देना होगा। 140 करोड़ भारतीय आपके साथ हैं। पाकिस्तान को दो हिस्सों में बांट दो और पीओके को भारत में मिला दो, हम सब आपके साथ हैं।"
वहीं तेलंगाना सरकार द्वारा हैदराबाद में आयोजित भारत शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले 100 देशों के प्रगतिशील दलों के प्रतिनिधियों ने भी पहलगाम आतंकी हमले के खिलाफ संयुक्त वक्तव्य जारी कर बर्बर आतंकी कृत्य की कड़ी निंदा की और भारत के लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त की। प्रतिनिधियों ने कहा कि शांतिपूर्ण नागरिकों के खिलाफ इस तरह की क्रूरता का समाज में कोई स्थान नहीं है और यह एकता, शांति और सद्भाव के संवैधानिक मूल्यों पर सीधा हमला है।
प्रतिनिधियों ने वक्तव्य में कहा, "हम, 100 देशों के प्रगतिशील दलों के प्रतिनिधि, भारत शिखर सम्मेलन, हैदराबाद के अन्य प्रतिभागियों के साथ, 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुए बर्बर आतंकवादी हमले से व्यथित हैं, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाया गया और उनकी हत्या कर दी गई तथा कई अन्य घायल हो गए। हम भारत के लोगों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करते हैं और इस आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। शांतिपूर्ण नागरिकों के खिलाफ इस तरह की क्रूरता का समाज में कोई स्थान नहीं है और यह एकता, शांति और सद्भाव के संवैधानिक मूल्यों पर सीधा हमला है।
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