तमिलनाडु में SIR को चुनौती, DMK निर्वाचन आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची
याचिका में कहा गया है कि एसआईआर के परिणामस्वरूप लाखों पात्र मतदाताओं को मनमाने ढंग से हटाया जा सकता है, क्योंकि यह प्रक्रिया अनुचित दस्तावेजीकरण आवश्यकताओं को लागू करती है और इसमें प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों का अभाव है।

तमिलनाडु में सत्तारूढ़ पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर राज्य में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कराने के निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती दी है। पार्टी ने याचिका में इस कवायद को असंवैधानिक, मनमाना और लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए खतरा बताया है।
डीएमके के संगठन सचिव आर एस भारती द्वारा दायर याचिका में राज्य में एसआईआर की प्रक्रिया शुरू करने के लिए 27 अक्टूबर की निर्वाचन आयोग की अधिसूचना को रद्द करने का अनुरोध किया गया है। याचिका में इसे अनुच्छेद 14, 19 और 21 (समानता का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जीवन का अधिकार) और संविधान के अन्य प्रावधानों तथा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और 1960 के मतदाता पंजीकरण नियमों का उल्लंघन बताया गया है।
याचिका सोमवार को वकील विवेक सिंह द्वारा उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री में दायर की गई है और इस सप्ताह इस पर सुनवाई होने की संभावना है। याचिका में कहा गया है, "प्रतिवादी के 27 अक्टूबर, 2025 के आदेश से संबंधित रिकॉर्ड मंगवाए जाएं, जिसमें तमिलनाडु में विशेष गहन पुनरीक्षण का निर्देश दिया गया था।’’ याचिका में कहा गया कि एसआईआर के परिणामस्वरूप लाखों पात्र मतदाताओं को मनमाने ढंग से हटाया जा सकता है, क्योंकि यह प्रक्रिया अनुचित दस्तावेजीकरण आवश्यकताओं को लागू करती है और इसमें प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों का अभाव है।
इसमें कहा गया है, "यदि एसआईआर और आदेशों को रद्द नहीं किया गया, तो मनमाने ढंग से और उचित प्रक्रिया के बिना लाखों मतदाताओं को अपने प्रतिनिधियों को चुनने से वंचित किया जा सकता है, जिससे देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।" आगे कहा गया कि जल्दबाजी में समयसीमा तय करने और अस्पष्ट प्रक्रियाओं के कारण गलत तरीके से नाम हटाए जाने से "स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव बाधित हो सकते हैं, जो भारत के संवैधानिक बुनियादी ढांचे का एक मुख्य तत्व है।"
याचिका में कहा गया है कि राज्य की मतदाता सूची को विशेष सारांश संशोधन (एसएसआर) के माध्यम से पहले ही अद्यतन किया जा चुका है, जो जनवरी 2025 में पूरा हो चुका है। डीएमके की चुनौती का मुख्य बिंदु निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाताओं, खासकर 2003 की मतदाता सूची में शामिल न होने वालों, के लिए नागरिकता साबित करने वाले दस्तावेज़ प्रस्तुत करने की अनिवार्यता है। याचिका में कहा गया है कि मतदाता सत्यापन को बिना किसी कानूनी आधार के वास्तविक राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) में बदला जा रहा है।
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