हरियाणा चुनाव परिणामों पर शक और गहराया, रानियां सीट पर EVM-VVPAT पर्ची मिलान की जगह मॉक पोल करवाने की कोशिश
अब हरियाणा में लोग सवाल ये कर रहे हैं कि चुनाव आयोग ऐसा कर क्यों रहा है। कहीं उसे डर तो नहीं है कि ईवीएम चेक के बाद विधानसभा चुनाव परिणाम के विपरीत यदि किसी विधानसभा में एक बार कोई रिजल्ट आ गया तो कहीं पूरा पिटारा ही न खुल जाए।

हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणामों को लेकर संदेह और गहरा हो गया है। शक की वजह सिरसा जिले के रानियां विधानसभा क्षेत्र के 9 बूथों में ईवीएम और वीवीपैट पर्ची के मिलान की जगह चुनाव आयोग की टीम की ओर से वहां मॉक पोल करवाने का प्रयास करना है। यही नहीं ईवीएम का डेटा ही डिलीट कर दिया गया। जब ईवीएम का डेटा ही डिलीट कर दिया तो वीवीपट पर्ची का मिलान कहां से होगा। वह तो 1 ईवीएम का डेटा ही डिलीट हुआ था कि कांग्रेस ने इस पर गंभीर आपत्ति जताते हुए प्रक्रिया को रुकवा दिया। अब सवाल यह उठ रहे हैं कि चुनाव आयोग कहीं ऐसा इसलिए तो नहीं करवा रहा कि एक बार यदि कोई गड़बड़ी सामने आ गई तो पूरा पिटारा ही न खुल जाए।
कांग्रेस ने हरियाणा की जिन डेढ़ दर्जन से अधिक विधानसभा सीटों के परिणाम को लेकर शक जताया था उनमें सिरसा जिले की रानियां सीट भी थी। रानियां के 9 बूथों पर आपत्ति जताई गई थी। रानियां से कांग्रेस के प्रत्याशी सर्वमित्र कंबोज ने इन 9 बूथों में ईवीएम और वीवीपैट पर्ची के मिलान को लेकर भारी-भरकम रकम तकरीबन सवा चार लाख रुपये भरे थे। विधानसभा चुनाव परिणामों पर इतने संदेहों के बाद चुनाव आयोग की ओर से यह पहला एक्शन था कि रानियां विधानसभा के इन 9 बूथों पर ईवीएम चेक करने का नोटीफिकेशन उसने जारी किया था। पूरे हरियाणा की इस पर नजर थी।
नोटीफिकेशन में ईवीएम चेक करने के लिए 9 जनवरी से लेकर 13 जनवरी तक 5 दिन तय किए गए थे। यह अपने आप में आश्चर्यजनक था। 5 दिन सिर्फ 9 मशीनों को चेक करने के लिए दिए गए थे, जबकि यह काम बमुश्किल एक दिन से भी कम में हो सकता है। पहले दिन यानि कि 9 जनवरी को 2 ईवीएम निकाली गईं। पहली मशीन जब ऑन की गई तो वह इनवैलिड शो कर रही थी। ईवीएम की स्क्रीन पर इनवैलिड लिखा हुआ आ रहा था, जो हैरान करने वाला था। यह किसी गंभीर खामी की तरफ भी ईशारा था।
रानियां विधानसभा से कांग्रेस के उम्मीदवार रहे सर्वमित्र कंबाज को तो इस प्रक्रिया की वीडियोग्राफी नहीं करने दी गई, लेकिन प्रशासन के अधिकारी इसकी वीडियोग्राफी कर रहे थे। उनके पास इस बात के सबूत हैं। जब सर्वमित्र कंबोज ने इसको लेकर वहां मौजूद अधिकारियों से सवाल किया तो उन्हें बताया गया कि जब मशीन प्रॉपर तरीके से ऑफ नहीं की जाती है तो तब कई बार इस तरह वह शो करती है। अधिकारियों का यह जवाब ही अपने आप में आश्चर्यजनक था। इसका मतलब है कि लोकतंत्र के आधार स्तंभ मतदाता के मत का संचय करने वाली ईवीएम के साथ गंभीर आपराधिक लापरवाही को अंजाम दिया गया। जिस ईवीएम में मतदाताओं ने अपना मत व्यक्त किया है वह इनवैलिड कैसे शो कर सकती है। इसका मतलब फिर तो कुछ भी हो सकता है।
फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक जो चेक एंड वेरीफिकेशन की प्रकिया होनी चाहिए उसका अनुपालन वहां नहीं किया गया। ईवीएम के 4 अहम बिंदु हैं। इसमें बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट, वीवीपैट और चौथा सिंबल लोडिंग यूनिट है। चेक एंड वेरीफिकेशन का मतलब है कि ये चारो यूनिट चेक और वेरिफाई होनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। अधिकारियों का कहना था कि ईवीएम में पड़े मतों का आंकड़ा हम नहीं दिखाएंगे बल्कि हम इन्हें डिलीट करेंगे। यही हमें आदेश है। अधिकारियों ने कहा कि नए सिरे से ईवीएम में हम सिंबल लोड करेंगे। इसमें वोट पोल कर चेक किया जाएगा। हम मॉक पोल के जरिए सिर्फ डेमो करेंगे।
चंडीगढ़ में मीडिया के सामने आए कांग्रेस प्रत्याशी सर्वमित्र कंबोज ने कहा कि अब सवाल यह है कि क्या हमने मॉक पोल के लिए आवेदन किया था। जब सुप्रीम कोर्ट इस बात की अनुमति देता है कि उम्मीवार को यदि किसी भी तरह का संदेह है तो वह इतने प्रतिशत ईवीएम खुलवाकर मतों को चेक और वेरीफिकेशन कर सकता है तो चुनाव आयोग को ऐसा करने देने में क्या समस्या है। उम्मीदवार मॉक पोल के लिए तो मोटी रकम फीस के तौर पर नहीं भरता है। मॉक पोल तो मतदान के पहले होता है, जिसमें यह चेक किया जाता है कि ईवीएम सही तरीके से कार्य कर रही है या नहीं।
सर्वमित्र कंबोज कहते हैं कि 9 बूथों में ईवीएम चेक के लिए तकरीबन सवा चार लाख रुपये हमने फीस भरी थी। यह मॉक पोल के लिए तो नहीं भरी थी। एक ईवीएम चेक के लिए तकरीबन 48 हजार रुपये भरने होते हैं। यही नहीं वहां अधिकारियों ने ईवीएम का डेटा ही डिलीट कर दिया। वह तो शुक्र है कि वह पहली ईवीएम का ही डेटा डिलीट कर पाए और प्रकिया को रुकवा दिया गया। 8 ईवीएम अभी और खुलनी थीं। अब जब ईवीएम में मतदान का डाटा ही डिलीट कर दिया तो उसमें चेक क्या होगा।
सर्वमित्र कंबोज का कहना है कि यह तो नाइंसाफी है। यह सरासर धोखा है। चुनाव आयोग लोगों को मूर्ख बना रहा है। वह लोगों की आंखों में धूल झोंक रहा है। यदि वीवीपैट का मिलान नहीं करना है। सब कुछ पारदर्शी तरीके से नहीं करना है तो इतनी प्रकिया करवाई ही क्यों करवाई जाती है। यदि ईवीएम से पहले का डेटा ही डिलीट कर दिया। ईवीएम में पहले वाली प्रोग्रामिंग ही उड़ा दी। नए सिरे से ईवीएम में प्रोग्रामिंग की जाएगी। तो नए सिरे से कुछ भी दिखाया जा सकता है। हम तो मतदान के दिन पहले वाली प्रोग्रामिंग के तहत हुए मतदान को वेरीफाई करना चाहते हैं। हम चेक करना चाहते हैं कि क्या उस दिन सब कुछ सही था।
वह कहते हैं कि मान लीजिए मैं कोर्ट जाता हूं और अदालत ईवीएम का डेटा मांगती है तो वह तो अब डिलीट किया जा चुका है। उसे अब चुनाव आयोग कहां से लाएगा। यह बहुत बड़ी बात है। सर्वमित्र कंबोज ने देश के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार से सवाल किए हैं। वह कहते हैं कि जब मुख्य चुनाव आयुक्त दिल्ली विधानसभा के चुनाव का ऐलान कर रहे थे तो वह दावे कर रहे थे कि चुनाव आयोग पर लगाए जा रहे आरोपों में कोई दम नहीं है। चुनाव आयोग पूरी तरह पाक-साफ है। राजीव कुमार कहते हैं कि यदि कोई चैलेंज करता है तो हम उसे एक-एक बूथ पर संतुष्ट कर सकते हैं, लेकिन मुख्य चुनाव आयुक्त ने न हमें संतुष्ट किया और न जनता को संतुष्ट किया। अब चुनाव आयोग अपनी बात से मुकर रहा है।
कंबोज ने कहा कि हम कैसे मान लें कि चुनाव आयोग पाक-साफ है। जिस पर जनता और उम्मीदवार दोनों को शक है और यदि चुनाव आयोग इस संदेह को खत्म नहीं करता है तो सवाल तो उठेंगे। दिल्ली विधानसभा चुनाव के वक्त चुनाव आयोग के पास ये अवसर था कि उस पर उठ रहे सवालों का जवाब देकर वह सभी की बोलती बंद करता, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को भी नहीं मान रहा है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी गया है। चुनाव आयोग की एसओपी (स्टैंडर्ट ऑपरेटिंग प्रोसीजर) को चेलेंज किया गया है।
सर्वमित्र कंबोज कहते हैं कि हमने चुनाव आयोग को एक पत्र भी लिखा था कि सुप्रीम कोर्ट में केस की सुनवाई के बाद इन 9 बूथों में ईवीएम का चेक एंड वेरीफिकेशन किया जाए, लेकिन इसे नहीं माना गया। हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में रानियां विधानसभा सीट पर इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के प्रत्याशी अर्जुन चौटाला ने कड़े मुकाबले में जीत दर्ज की।
कांग्रेस प्रत्याशी सर्व मित्र कंबोज दूसरे नंबर पर रहे थे। दोनों के बीच जीत-हार का अंतर महज 4191 वोटों का था। 7 जनवरी को सिरसा जिला निर्वाचन कार्यालय की ओर से जारी नोटिस में कहा गया था कि 30 दिसंबर 2024 के हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के आदेश पर 44 नंबर विधानसभा रानियां की ईवीएम और वीवीपेट के प्रोसेस को चेक और वेरिफाई किया जाएगा।
अब हरियाणा में लोग सवाल ये कर रहे हैं कि चुनाव आयोग ऐसा कर क्यों रहा है। कहीं उसे डर तो नहीं है कि ईवीएम चेक के बाद विधानसभा चुनाव परिणाम के विपरीत यदि किसी विधानसभा में एक बार कोई रिजल्ट आ गया तो कहीं पूरा पिटारा ही न खुल जाए। विधानसभा चुनाव परिणामों को लेकर 17-18 याचिकाएं पंजाब एंड हरियाणा हाईकार्ट में पहले ही दाखिल हो चुकी हैं, जबकि 3 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में हैं। करीब 20 से ज्यादा प्रत्याशियों ने ईवीएम-वीवीपैट पर्ची की मिलान की मांग की हुई है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदय भान ने भी 5 बूथों पर ईवीएम-वीवीपैट पर्ची का मिलान कराने के लिए 2.36 लाख रुपये जमा कराए हैं।
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