गोरक्षकों के आतंक से मेरठ के मुस्लिम पार्षद ने थाने में ले जाकर बांध दी गाय, कहा आप ही करो इसकी हिफाजत

गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा से खौफजदा मेरठ के एक पार्षद ने अपनी गाय पुलिस थाने में ले जाकर बांध दी। 15 जनवरी को पालने के लिए गाय खरीद कर ले जा रहे दो युवकों की गोरक्षकों ने जमकर पिटाई कर दी थी।

फोटोः आस मोहम्मद कैफ
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आस मोहम्मद कैफ

मेरठ में गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा से डरकर शहर के एक पार्षद ने नौचन्दी थाने की पुलिस को अपनी गाय सौंप दी है। इस घटना की जड़ में सोमवार की एक घटना है जिसमें पालने के लिए गाय खरीद कर ले जा रहे दो युवकों की गो रक्षकों ने जमकर पिटाई की थी।

मेरठ के बसपा नेता और पार्षद अब्दुल गफ्फार का कहना है कि गाय अब खतरनाक जानवर बन चुकी है और मुस्लिम होने के नाते अब इसे पालना सुरक्षित नहीं है। इसलिए अब्दुल गफ्फार ने थाने में ले जाकर अपनी गाय बांध दी। नौचन्दी थाने की पुलिस ने गाय को अपनी सुपुर्दगी में रख लिया है। अब्दुल गफ्फार ने पुलिस को लिखित में गाय सौंपी है और उसकी रिसिविंग भी ली है। नौचन्दी थाने के प्रभारी संजय कुमार ने बताया कि बसपा नेता अब्दुल गफ्फार जैदी फार्म से पार्षद हैं और वे थाने में अपनी गाय लेकर आए और बोले कि वह इसे पालते हुए असुरक्षित महसूस करते हैं।

फोटोः आस मोहम्मद कैफ
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गाय सुपुर्द करने के लिए थाने में दिया गया आवेदन

अब्दुल गफ्फार ने बताया कि उन्होंने यह बछिया अपने एक रिश्तेदार से ली थी, जिसे बहुत प्यार से पाला और पोसा है। इस वजह से उसके साथ जज्बाती जुड़ाव हो गया है। उन्होंने पुलिस को कहा कि खुद से उसे अलग करते हुए दुःख हो रहा है मगर वो मजबूर हैं। अब्दुल गफ्फार ने पुलिस को बताया कि सोमवार को शहर के जाकिर कॉलानी निवासी अनस बबलू और अजीज ने जागृति विहार के रहने वाले मन्नू सिंह राणा नाम के व्यक्ति से 34 हजार रुपये में दो गाय खरीद कर ले जा रहे थे। इनमें से एक 8 माह और दूसरी 5 माह की गृभवती थी। अपने साथ कुछ गलत होने की आशंका को देखते हुए उन युवकों ने मन्नू सिंह से डेयरी तक छोड़ आने का आग्रह किया। जब मन्नू सिंह उन्हें डेयरी तक छोड़ने जा रहे थे तो रास्ते में हिन्दू संगठनों के लोगों ने उन्हें रोक लिया।

फोटोः आस मोहम्मद कैफ
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नौचन्दी थाने में गाय सौंपने के लिए पहुंचे पार्षद अब्दुल गफ्फार

पार्षद ने कहा, “खरीदार और बेचने वाला दोनों साथ में थे और उनके पास रसीद भी थी, लेकिन फिर भी मुस्लिम लड़कों की जबरदस्त पिटाई हुई और उनसे गाय छीन ली गई। हमलावरों के अत्याचार के बाद पुलिस ने भी इन लड़कों को पकड़ लिया। बस मुझे समझ में आ गया कि गाय खतरनाक जानवर है, इससे जान जा सकती है। इसलिए मैं इसे पुलिस को सुपर्द कर आया। मुझमें इतनी हिम्मत नही थी कि मैं इसे गोशाला तक ले जाऊं, थाना नजदीक था, इसलिए मैंने इसे वहीं दे दिया। अब चाहे पुलिस इसे हिन्दू संगठनों को दे दे, मगर मैं इसे नही पाल सकता।”

स्थानीय निवासी जियाउर्रहमान बताते हैं कि हिन्दू संगठनों द्वारा मुस्लिम लड़कों के साथ गाय के नाम पर की गयी मारपीट के बाद यहां तनाव फैल गया है। वह कहते हैं कि पार्षद अब्दुल गफ्फार ने ठीक किया। मुसलमान गाय पालने से डर रहा है। मेरठ के शहर काजी जैनुलसाजेदीन के अनुसार यह शर्मनाक स्थिति है और सरकार पर सभी लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। मेरठ में यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। बीजेपी की सरकार में गाय के नाम पर हिंसा की कई वारदातें सामने आई हैं, मगर किसी का थाने में जाकर गाय वापस करने का यह देश में पहला मामला है।

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