यूपी सरकार की उदासीनता से कांशीराम शहरी गरीब आवास हुए खंडहर, अपर्याप्त धन, योजना के प्रति उदासीन रवैया है वजह

आवास विकास परिषद के अधिकारियों के अनुसार, आवासों के आवंटन में विफलता का कारण सरकार से अपर्याप्त धन और योजना के प्रति उसका उदासीन रवैया है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

कांशीराम शहरी गरीब आवास योजना के तहत 2010 में बने फ्लैट अब खंडहर हो चुके हैं और लाभार्थियों को आवंटित होने का इंतजार कर रहे हैं। शहरी गरीबों को मुफ्त घर देने की योजना के तहत जिला शहरी विकास प्राधिकरण (डूडा) द्वारा 23 करोड़ रुपये की लागत से कुल 600 फ्लैट बनाए गए हैं।

यह योजना 2008 में शुरू की गई थी, जब बीएसपी सुप्रीमो मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी थीं। तीन चरण की योजना में 2010 में आवास एवं विकास परिषद द्वारा बिजनौर के हल्दौर, धामपुर और चांदपुर कस्बों में कुल 600 घर बनाए गए थे। बाद में 2013 में जब समाजवादी पार्टी सत्ता में आई, तो इस योजना को रद्द कर दिया गया और 'आसरा आवास योजना' नामक एक नई योजना शुरू की गई।


आवास विकास परिषद के अधिकारियों के अनुसार, आवासों के आवंटन में विफलता का कारण सरकार से अपर्याप्त धन और योजना के प्रति उसका उदासीन रवैया है।

हालांकि भवनों का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है, पानी के पाइप और बिजली की लाइनों और फिटिंग आदि की स्थापना सहित अंतिम कार्य अभी भी एक दशक से अधिक समय के बाद भी लंबित हैं, क्योंकि आवंटित धन समाप्त हो गया है और कोई नया वित्त पोषण नहीं हुआ है।

एक अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, "हमने उच्च अधिकारियों को धन जारी करने के लिए लिखा है, लेकिन कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है।"

डूडा के परियोजना अधिकारी शक्ति शरण श्रीवास्तव ने कहा, "हमारा काम इन घरों को लाभार्थियों को आवंटित करना था। हालांकि, आवास विकास परिषद ने हमें फ्लैट नहीं सौंपे थे। इन फ्लैटों को लगभग छोड़ दिया गया है।" वर्षो से खाली पड़े घरों से कई दरवाजे और खिड़कियां चोरी हो गई हैं।

योजना के अंतर्गत आवेदक भी अपने आवंटन पत्र प्राप्त करने के लिए दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन अब उन्होंने उम्मीद छोड़ दी है।

आवेदकों में से एक ने कहा, "उन घरों को प्राप्त करने का कोई मतलब नहीं है जो जीर्ण-शीर्ण स्थिति में हैं। दरवाजे और खिड़कियां चोरी हो गई हैं और कोई बिजली या सैनिटरी फिटिंग नहीं बची है।"

बिजनौर के जिलाधिकारी ने अब मामले का संज्ञान लेते हुए निर्माण एजेंसी को पत्र लिखा है, ताकि शेष कार्य को पूरा कर योग्य हितग्राहियों को आवंटित किया जा सके।

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