शिवसेना पर चुनाव आयोग के फैसले से महाराष्ट्र की राजनीति में नया उबाल- संजय राउत ने कहा, पहले ही लिख दी गई थी पटकथा

चुनाव आयोग ने शिवसेना के नाम और सिंबल का फैसला शिंदे गुट के पक्ष में सुनाया है। इस फैसले पर उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने कहा है कि इस फैसले की पटकथा तो पहले ही लिख दी गई थी। उन्होंने कहा कि वे इस मामले पर जनता के बीच जाएंगे।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया
user

नवजीवन डेस्क

शिवसेना के दोनों गुटों – उद्धव ठाकरे गुट और एकनाथ शिंदे गुट के बीच जारी पार्टी के चुनाव चिह्न और नाम को लेकर जारी रस्साकशी को भले ही चुनाव आयोग शिंदे के पक्ष में फैसला देकर विराम लगाने का काम किया हो। लेकिन चुनाव आयोग के इस आदेश के बाद से इस मुद्दे पर महाराष्ट्र की राजनीति में नया उबाल आ गया है। उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने इस फैसले पर कहा है कि वे जनता के बीच जाएंगे और दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

चुनाव आयोग ने शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि शिवसेना पर एकनाथ शिंदे गुट का अधिकार है और उन्हें पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी। आयोग ने कहा कि एकनाथ शिंदे गुट को पार्टी का नाम शिवसेना और उसका चुनाव चिह्न धनुष बाण इस्तेमाल करने का अधिकार है।

चुनाव आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि शिवसेना का वर्तमान संविधान अलोकतांत्रिक है और बिना किसी चुनाव के पदाधिकारियों के रूप में एक गुट के लोगों को नियुक्त करने के लिए इसका इस्तेमाल किया गया है। आयोग ने यह भी कहा कि शिवसेना ने अपने संविधान में 2018 में संशोधन किया था लेकिन संशोधित संविधान  चुनाव आयोग को नहीं दिया गया है।

इस फैसले पर शिवसेना नेता संजय राउत ने तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि, “चुनाव आयोग जनता का विश्वास खो चुका है।“ संजय राउत ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा है कि साफ है कि बक्सों का कहां तक ​​इस्तेमाल हुआ है। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र की हत्या है।


उन्होंने कहा कि इस फैसले की पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी। संजय राउत ने कहा कि, “चुनाव आयोग ने सच्चाई और न्याय का दावा किया है। देश तानाशाही की ओर बढ़ रहा है।“ उन्होंने एकनाथ शिंदे पर अप्रत्यक्ष हमला करते हुए कहा कि, “देशद्रोही कह रहा था कि परिणाम हमारे पक्ष में होगा चमत्कार हुआ!”

चुनाव आयोग के फैसले पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि ये बालासाहेब ठाकरे के विचारों की जीत है। दरअसल, एकनाथ शिंदे के विद्रोह और उद्धव ठाकरे सरकार गिरने के बाद से ही दोनों गुट शिवसेना के नाम और धनुष-बाण के चुनाव चिह्न पर दावा कर रहे थे। मामला चुनाव आयोग के पास लंबित होने के कारण धनुष-बाण के चिह्न को फ्रीज कर दिया गया था। उपचुनाव के लिए, दोनों गुटों को दो अलग-अलग सिंबल आवंटित किए गए थे। जिसमें शिंदे गुट को दो तलवारें और एक ढाल और उद्धव गुट को मशाल का सिंबल दिया गया था। 

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia