इलेक्टोरल बॉन्ड पर सभी दलों को चुनाव आयोग का रिमाइंडर, कल शाम 5 बजे तक सीलफंद लिफाफे में मांगी डिटेल

चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को रिमाइंडर भेजकर कल शाम यानी 15 नवंबर शाम 5 बजे तक इलेक्टोरल बॉन्ड से मिले चंदे की डिटेल मांगी है। आयोग ने यह रिमाइंडर सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के तहत भेजा है जिसमें उससे सितंबर 2023 तक की डिटेल मांगी गई थी।

दिल्ली स्थित चुनाव आयोग का मुख्यालय
दिल्ली स्थित चुनाव आयोग का मुख्यालय
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नवजीवन डेस्क

चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को रिमाइंडर भेजकर कल शाम यानी बुधवार 15 नवंबर 2023 की शाम 5 बजे तक इलेक्टोरल बॉन्ड से मिले चुनावी चंदे की डिटेल करने को कहा है। ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने 3 नवंबर को इलेक्टोरल बॉन्ड के मामले की सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि वह दो सप्ताह में इस बॉन्ड से राजनीतिक दलों को मिले चंदे का अपडेटेड डेटा कोर्ट में पेश करे।

चुनाव आयोग का रिमाइंडर सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश के अनुक्रम में आया है। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से कहा था कि वह अगली सुनवाई में राजनीतिक दलों को 30 सितंबर 2023 तक मिले राजनीतिक चंदे की डिटेल कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में मुहैया कराए।

इलेक्टोरल बॉन्ड पर सभी दलों को चुनाव आयोग का रिमाइंडर, कल शाम 5 बजे तक सीलफंद लिफाफे में मांगी डिटेल

चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों के प्रमुखों को लिखे पत्र में उनसे प्रत्येक बॉन्ड के साथ चंदा देने वाले की विस्तृत जानकारी, ऐसे प्रत्येक बॉन्ड की रकम और अन्य जानकारी जमा करने को कहा है। चुनाव आयोग के पत्र में कहा गया है कि इस तरह की जानकारी दोहरे सीलबंद लिफाफे में निर्वाचन व्यय विभाग के सचिव को भेजी जानी चाहिए, जिसमें एक सीलबंद लिफाफे में सारी जानकारी और दूसरे सीलबंद लिफाफे में पहला लिफाफा हो।

आयोग ने कहा कि उस तक सीलबंद लिफाफे 15 नवंबर की शाम तक पहुंच जाने चाहिए। आयोग ने यह भी कहा कि लिफाफों पर स्पष्ट रूप से ‘गोपनीय-चुनावी बॉन्ड’ लिखा होना चाहिए।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 3 नवंबर को एक अंतरिम आदेश में चुनाव आयोग को अपडेटेड डेटा पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने तीन दिन की सुनवाई के बाद इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।


बता दें कि अप्रैल 2019 में भी सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह का एक आदेश पारित किया था, जिसमें चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों को मिले इलेक्टोरल बॉन्ड की डिटेल सीलबंद लिफाफे में पेश करने को कहा था। लेकिन जब आयोग ने कोर्ट को बताया कि उसके पास सिर्फ 2019 के लोकसभा चुनावों से संबंधित डेटा है, तो सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई थी।

शीर्ष अदालत ने दो नवंबर को अपने आदेश में कहा था, यह कवायद 19 नवंबर, 2023 तक या उससे पहले पूरी की जानी चाहिए। सीलबंद लिफाफे में जानकारी सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री को सौंपी जाएगी।

ध्यान रहे कि केंद्र की मोदी सरकार ने 2 जनवरी, 2018 को इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की अधिसूचना जारी की थी। सरकार ने कहा था कि इस योजना के चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता आएगी। योजना के प्रावधानों के अनुसार, चुनावी बॉन्ड भारत की नागरिकता रखने वाले व्यक्ति या भारत में स्थापित संस्थान द्वारा खरीदे जा सकते हैं। इसे कोई व्यक्ति अकले या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से खरीद सकता है।

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