चुनाव 2022: ये हैं हिमाचल प्रदेश की वो 'खास' सीटें, जिन्हें लेकर मतदाता ही नहीं राजनीतिक दलों में भी है उत्सुकता

हिमाचल में 12 नवंबर को चुनाव होना है, यूं तो हिमाचल विधानसभा की कुल 68 सीटों के लिए चुनाव हो रहा है। लेकिन कुछ सीटें ऐसी हैं जिन्हें लेकर आम मतदाताओं के साथ ही राजनीतिक दलों में भी काफी उत्सुकता है।

फोटो: सोशल मीडिया
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आर पी सिंह

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार का आखिर दिन है। इस दौरान उम्मीदवारों ने अपना प्रचार अभियान तेज कर दिया है। हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को मतदान होना है। यूं तो हिमाचल विधानसभा की कुल 68 सीटों के लिए चुनाव हो रहा है। लेकिन कुछ सीटें ऐसी हैं जिन्हें लेकर आम मतदाताओं के साथ ही राजनीतिक दलों में भी काफी उत्सुकता है। आइए देखते हैं ऐसी ही कुछ सीटों की स्थिति।

भरमौर

जनजातीय विधानसभा क्षेत्र भरमौर में कांग्रेस का दबदबा रहा है। कांग्रेस के दिग्गज नेता ठाकुर सिंह भरमौरी इस सीट से 5 बार विधायक रह चुके हैं और 2012-17 तक वे वीरभद्र सिंह सरकार में वन मंत्री भी रह चुके हैं। लेकिन वर्ष 2017 के चुनावों में वे बीजेपी के जिया लाल से हार गए थे। इस बार यहां BJP की ओर से वर्तमान विधायक जियालाल को टिकट न देकर न्यूरोसर्जन जनक राज को मैदान पर उतारा है।

डलहौजी

राजपरिवार से संबंध रखने वाली कांग्रेस की प्रत्याशी आशा कुमारी डलहौजी से छह बार विधायक रह चुकी हैं। छतीसगढ़ सरकार के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह की बहन आशा कुमारी का 1985 से इस विधानसभा क्षेत्र में खासा दबदबा है और इस बार उनका मुकाबला BJP के डीएस ठाकुर से है।

जसवां परागपुर

2008 में परिसीमन के बाद अस्तीत्व में आई जसवां परागपुर सीट BJP का गढ़ रही है। लेकिन इस बार आजाद प्रत्याशी संजय पराशर यहां खेल बिगाड़ सकते हैं। इस सीट से वर्तमान में जयराम सरकार में उद्योग मंत्री रहे विक्रम सिंह काबिज हैं और पिछली बार वे केवल मात्र 1862 मतों से जीत हासिल कर पाए थे। हाल ही में सजा यापता बाबा के कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर विक्रम सिंह का वीडियो वायरल हो रहा है।

सुलह

सुलह विधानसभा क्षेत्र से वर्तमान में विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार आते हैं। इससे पहले वे प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं। सुलह विधानसभा क्षेत्र से पहले केंद्रीय मंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके शांता कुमार आते थे और शांता कुमार के दबदबे के बाद इसमें बारी-बारी कांग्रेस और BJP काबिज रही है।

धर्मपुर

प्रदेश के सबसे चर्चित विधानसभा क्षेत्रों में से एक धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र में पिछले 35 सालों से एक ही व्यक्ति महेंद्र सिंह का दबदबा रहा है। सभी पार्टियों और आजाद प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल कर लिम्का बुक रिकार्ड में नाम दर्ज करवाने वाले महेंद्र सिंह इस बार मैदान में नहीं है। इस बार इस सीट से महेंद्र सिंह के बेटे रजत ठाकुर को BJP की ओर से टिकट दिया गया है। इनका मुकाबले कांग्रेस के प्रत्याशी चंद्रशेखर से है।

शिमला ग्रामीण

पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की सीट कहलाए जाने वाली शिमला ग्रामीण सीट से इस बार भी वीरभद्र सिंह के पुत्र विक्रमादित्य सिंह कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। गौर रहे कि वर्ष 2017 के चुनावों में वीरभद्र सिंह ने शिमला ग्रामीण सीट को अपने बेटे के लिए छोड़कर अपने आप अर्की चले गए थे। तब से विक्रमादित्य की इस विधानसभा क्षेत्र में अच्छी पकड़ है और उनका मुकाबले BJP के रवि मेहता के साथ है।

मनाली

विश्वविख्यात पर्यटन स्थल मनाली सीट इस बार हॉट सीट बनी हुई है। वर्तमान में यहां से सरकार में वन व शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर आते हैं। गोविंद ठाकुर तीन बार इस सीट से विधायक रह चुके हैं और उनका मुकाबला कांग्रेस के भुवनेश्वर गौड के साथ है। इसके अलावा यहां से BJP के बागी महेंद्र ठाकुर ने भी आजाद प्रत्याशी के तौर पर ताल ठोक दी है जिसका खामियाजा BJP के गोविंद ठाकुर को भुगतना पड़ सकता है।

सिराज

सिराज विधानसभा क्षेत्र मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का विधानसभा क्षेत्र है। पांच बार विधायक और दो बार कैबिनेट मंत्री रहे जयराम ठाकुर का मुकाबला इस बार फिर से कांग्रेस के चेतराम ठाकुर के साथ है। माना जा रहा है कि पिछले पांच वर्षां में जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री रहते सिराज विधानसभा क्षेत्र में वरियता के आधार पर काम करवाया है जिसका लाभ जयराम ठाकुर को मिल सकता है।

द्रंग

द्रंग विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा है। इस सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता कौल सिंह का दबदबा रहा है। आठ बार विधायक रहे कौल सिंह ठाकुर पूर्व में वीरभद्र सिंह सरकार में सबसे कद्दावर नेता रहे हैं और लोक निर्माण, स्वास्थ्य समेत कई बड़े विभाग को संभाल चुके हैं। वर्ष 2017 में वे BJP के जवाहर ठाकुर से हार गए थे और इस बार BJPकी ओर से वर्तमान विधायक जवाहर ठाकुर का टिकट काट कर पूर्व चंद ठाकुर को दिया गया है।

मंडी सदर

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता सुखराम शर्मा की पारंपरिक सीट से वर्तमान में उनके पुत्र अनिल शर्मा विधायक हैं। 4 बार विधायक रहे अनिल शर्मा ने पिछले चुनावों में कांग्रेस छोड़ BJP का दामन थामा था और सरकार में उन्हें उर्जा मंत्री भी बनाया गया था। इस बार मंडी सदर से त्रिकोणीय मुकाबला बना हुआ है। BJP के बागी नेता प्रवीण शर्मा ने यहां BJP की राह मुश्किल कर दी है। वहीं कांग्रेस के दिग्गज नेता कौल सिंह की बेटी चंपा ठाकुर दूसरी बार मैदान में है।

हरोली

कांग्रेस का गढ़ रही हरोली विधानसभा सीट में पिछले चार चुनावों में मुकेश अग्निहोत्री की जीत होती आ रही है। पूर्व में उद्योग मंत्री रहे मुकेश अग्निहोत्री का मुकाबला BJP के रामकुमार से है। राजनीतिक विशलेषक मानते हैं कि कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाली इस सीट पर इस बार भी मुकेश अग्निहोत्री की जनता में अच्छी पकड़ है।

सोलन

सबसे चर्चित विधानसभा क्षेत्रों में से एक सोलन सीट में इस बार भी मुकाबला ससुर और दामाद के बीच है। कांग्रेस की ओर से इस बार एक बार पुनः 82 वर्षीय धनीराम शांडिल को चुनावी मैदान में उतारा गया है। धनीराम शांडिल दो बार सांसद और दो बार विधायक रहने के साथ पूर्व में प्रदेश में कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। वर्ष 2017 में कर्नल धनीराम शांडिल ने अपने दामाद और BJP प्रत्याशी डॉ राजेश कश्यप को 671 मतों से पटखनी दी थी।

ठियोग

ठियोग विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा है लेकिन पिछली बार यहां से माकपा के प्रत्याशी राकेश सिंघा ने जीत हासिल कर सबको चौंका दिया था। कांग्रेस की बड़ी नेत्री विद्या स्टोक्स यहां से 5 बार विधायक रही हैं। इस बार एक बार फिर यहां चौतरफा मुकाबला देखने को मिल रहा है। यहां पर BJP की ओर से अजय श्याम, कांग्रेस के कुलदीप चौहान, माकपा के राकेश सिंघा और पूर्व में BJP के विधायक की पत्नी इंदू वर्मा के बीच में है।

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