'BJP के एजेंट की तरह काम कर रहा चुनाव आयोग', संसद में वेणुगोपाल ने पूछा- डिजिटल युग में मशीन रीडेबल वोटर लिस्ट क्यों नहीं
कांग्रेस के सांसद केसी वेणुगोपाल ने चुनाव आयोग पर बीजेपी के चुनाव एजेंट की तरह काम करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने यह सवाल उठाया कि इस डिजिटल युग में मशीन रीडेबल वोटर लिस्ट क्यों नहीं बनाई जा रही है।

लोकसभा में चुनाव सुधार पर आज की चर्चा की शुरुआत कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने की। उन्होंने अपने भाषण में चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा किया और प्रधानमंत्री मोदी के चुनावी जनसभाओं में मंगलसूत्र वाले बयान का भी जिक्र किया।
वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस ने पीएम मोदी के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत चुनाव आयोग से की थी, लेकिन आयोग ने इसे बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को रेफर कर दिया।
केसी वेणुगोपाल ने 2003 में हुए एसआईआर के चुनाव आयोग के आदेश की कॉपी सदन में दिखाई और बताया कि तब इसके लिए छह महीने का समय था, और यह चुनाव से दो महीने पहले नहीं हुआ था।
उन्होंने यह सवाल उठाया कि बिहार में क्या ऐसा हुआ कि चुनाव से दो महीने पहले एसआईआर करवाना पड़ा। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आधार कार्ड को मान्यता दी गई थी।
'BJP के एजेंट की तरह काम कर रहा चुनाव आयोग'
केरल के अलप्पुझा से कांग्रेस के सांसद केसी वेणुगोपाल ने चुनाव आयोग पर बीजेपी के चुनाव एजेंट की तरह काम करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने यह सवाल उठाया कि इस डिजिटल युग में मशीन रीडेबल वोटर लिस्ट क्यों नहीं बनाई जा रही है।
वेणुगोपाल ने यह भी कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और चुनाव आयोग हमेशा सभी दलों से विचार-विमर्श करके निर्णय लेता रहा है, लेकिन केरल में लोकल चुनावों में चुनाव आयोग ने खुद ही फैसले ले लिए थे।
'सरकार के लिए पूरी तरह समर्पित होकर काम कर रहा चुनाव आयोग', बोलीं डिंपल
इस दौरान सपा सांसद डिंपल यादव ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि आयोग को निष्पक्ष रूप से कार्य करना चाहिए, लेकिन वह पूरी तरह से सरकार के पक्ष में काम कर रहा है। उन्होंने उपचुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि आयोग ने बीजेपी के पक्ष में कार्य किया और यह साफ देखा गया कि सादे कपड़ों में पुलिसकर्मी बूथ के अंदर वोट डालते हुए नजर आए। बावजूद इसके चुनाव आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की।
डिंपल यादव ने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने सीसीटीवी फुटेज देने से इनकार किया और नियमों में बदलाव कर यह तय कर दिया कि अब 45 दिन के भीतर सीसीटीवी फुटेज हटा दिए जाएंगे। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि आयोग को सुरक्षा कवच दिया गया है, जिससे वह सरकार के लिए समर्पित होकर काम कर रहा है।