शीर्ष कोर्ट के निर्देश के बावजूद SIR दस्तावेजों में आधार को शामिल नहीं कर रहा चुनाव आयोग, RJD सांसद का दावा
आरजेडी सांसद ने कहा कि सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन को डर है कि वह आगामी चुनाव हार जाएगा। उन्होंने मतदाता सूची के पुनरीक्षण को मतदाताओं को ‘मताधिकार से वंचित’ करने का एक प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि महागठबंधन संसद के मानसून सत्र में इस मुद्दे को उठाएगा।

राष्ट्रीय जनता दल के सांसद सुधाकर सिंह ने निर्वाचन आयोग पर सुप्रीम कोर्ट के सुझाव के बावजूद बिहार की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के लिए दस्तावेजों में आधार, मतदाता फोटो पहचान पत्र और राशन कार्ड को स्वीकार नहीं करने का आरोप लगाया है। उन्होंने मंगलवार को आयोग की आलोचना करते हुए कहा कि यह मुद्दा आगामी संसद सत्र में उठाया जाएगा।
राष्ट्रीय राजधानी में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए लोकसभा सदस्य ने बिहार में बूथ-स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा फॉर्म वितरित किए जाने के तरीके में विसंगतियों का भी आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि कई लोगों को फॉर्म जमा करने की कोई रसीद नहीं मिली है और प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘क्या जेडीयू और बीजेपी ने सूची में फर्जी मतदाताओं के नाम जोड़े हैं?’’
सुधाकर सिंह ने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग इन दस्तावेजों को विशेष गहन पुनरीक्षण की अपनी सूची में क्यों नहीं शामिल कर रहा है, जबकि शीर्ष अदालत ने उसे इस पर विचार करने के लिए कहा था?’’ उन्होंने कहा कि 2003 से, जब आखिरी एसआईआर कवायद की गई थी, अब तक बीजेपी-जेडीयू गठबंधन ही ज्यादातर सत्ता में रहा है।
आरजेडी सांसद ने कहा कि सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को डर है कि वह आगामी चुनाव हार जाएगा। उन्होंने मतदाता सूची के पुनरीक्षण को मतदाताओं को ‘मताधिकार से वंचित’ करने का एक प्रयास बताया। उन्होंने कहा, ‘‘महागठबंधन मानसून सत्र में इस मुद्दे को उठाएगा। हम इस मुद्दे पर चर्चा की मांग करेंगे।’’ संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त तक चलेगा।
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