चुनावी डायरी: यूपी में मुख्तार का मुद्दा, पंजाब में बीजेपी की असली सूरत और मुंबई में पीयूष गोयल पर 'बाहरी' का ठप्पा

लोकसभा चुनाव की गहगहमी तेज हो चुकी है। रैलियों और प्रचार का दौर शुरु हो चुका है। उत्तर में पंजाब और यूपी में बन रहे हैं क्या समीकरण और पश्चिम में मुंबई में किस करवट बैठ रहा ऊंट। वहीं दक्षिण में आंध्र और तेलंगाना में क्या सियासी गुल खिल रहे हैं।

लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार धीरे-धीरे जोर पकड़ने लगा है
लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार धीरे-धीरे जोर पकड़ने लगा है
user

नवजीवन डेस्क

उत्तर प्रदेश: कई क्षेत्रों में मुख्तार अंसारी अब भी असरदार कारक

प्रभावशाली घराने से ताल्लुक रखने वाले मुख्तार अंसारी को चाहने वाले कम नहीं थे। उनके जनाजे में हजारों की भीड़ से यह साफ होता है
  • सैयद ज़ैग़म मुर्तज़ा

 जीवन के बाद भी रुतबा

‘डॉन’ मुख्तार अंसारी की हिरासत में मौत की छाया पूर्वी यूपी के कई निर्वाचन क्षेत्रों में चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकती है। अंसारी पिछले 20 सालों से जेल में थे, फिर भी वह अपराजेय राजनीतिक ताकत थे। उन्होंने पांच चुनाव जीते, जिनमें से दो सलाखों के पीछे रहते हुए और एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में। वह इलाके के प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से थे। उन पर हत्या के कई आरोप थे जिनमें से ज्यादातर दूसरे डॉन के साथ आपसी लड़ाई के कारण थे। मुख्तार अंसारी ने संदेह जताया था कि जेल में उन्हें धीमा जहर दिया जा रहा है लेकिन उनकी दलीलों को नजरअंदाज कर दिया गया और जब तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया तो उनकी दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई। उनका कैसा जलवा था, इसका अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि हजारों लोगों ने निषेधाज्ञा को नजरअंदाज कर उनके जनाजे में शिरकत की। 

मुख्तार के प्रति सहानुभूति केवल मुसलमानों में नहीं बल्कि दलितों, पिछड़े समुदायों और गरीबों में भी है और इसे देखते हुए माना जा रहा है कि उनकी मृत्यु घोसी, लालगंज और गाजीपुर के अलावा मऊ, आजमगढ़ और आम्बेडकर नगर जैसे निर्वाचन क्षेत्रों में चुनावी मुद्दा होगी। बीजेपी भी इस मुद्दे को भुनाने में जुटी है और वह ऊंची जाति के मतदाताओं, खासकर ब्राह्मणों और भूमिहारों को एकजुट कर रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राज्य को माफियाओं के चंगुल से आजाद कराने का श्रेय ले रहे हैं। संभावना है कि बीजेपी प्रतिद्वंद्वी डॉन ब्रजेश सिंह के परिवार से किसी को मैदान में उतार सकती है। बीजेपी इसे भी चुनावी मुद्दा बनाना चाहती है कि अंसारी को वाराणसी से कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय के भाई की हत्या में दोषी ठहराया गया था, जबकि अंसारी के भाई अफजाल अंसारी गाजीपुर से सपा उम्मीदवार हैं।

वरदान या अभिशाप?

क्या पहले चरण के मतदान वाले निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार औरों की तुलना में भाग्यशाली हैं? पार्टियों ने पहले तीन चरणों के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है जबकि बाकी चार चरणों के उम्मीदवारों पर सस्पेंस है। जौनपुर के खुर्शीद आलम खान चुटकी लेते हैं- नामों की घोषणा के साथ ही खर्चे की घड़ी टिक-टिक करने लगती है। बलरामपुर से टिकट चाहने वाले जावेद खान इससे सहमत हैं लेकिन तर्क देते हैं कि उम्मीदवारों को प्रचार करने और मतदाताओं से बातचीत करने के लिए पर्याप्त समय की जरूरत होती है।

असहज शांति

पश्चिमी यूपी में लोग, खासकर बीजेपी कार्यकर्ता असामान्य रूप से शांत हैं। 31 मार्च को मेरठ में प्रधानमंत्री की रैली को छोड़ दें तो कहीं कोई हलचल नहीं। हो सकता है कि लोग सभी उम्मीदवारों के नाम तय होने और फिर जातीय गुणा-भाग का इंतजार कर रहे थे! कयास हैं कि राजनीतिक दल अब भी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं और फीडबैक के आधार पर उम्मीदवार बदलने पर भी विचार कर रहे हैं। कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में बीएसपी और सपा के उम्मीदवारों को देखकर लगता है कि दोनों दल एक-दूसरे को नुकसान पहुंचाने से बच रहे हैं। मुस्लिम और संभ्रांत वोटर सपा और बसपा के बीच बंटे दिख रहे हैं और वे उम्मीदवार देखकर मन बनाएंगे। 

पंजाब: युद्ध की रेखाएं खिंच चुकी हैं, कांग्रेस और मजबूत हुई

  • हरजेश्वर पाल सिंह

चुनावी डायरी: यूपी में मुख्तार का मुद्दा, पंजाब में बीजेपी की असली सूरत और मुंबई में पीयूष गोयल पर 'बाहरी' का ठप्पा

अपने कार्यकर्ताओं के दल-बदल के संकट से जूझ रही कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के पूर्व सांसद और कार्यकर्ता धर्मवीर गांधी के पार्टी में शामिल होने से खासी राहत की सांस ली है। हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. गांधी ने 2014 में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी और कांग्रेस की उम्मीदवार परनीत कौर को 20 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था लेकिन पार्टी से मतभेदों के बाद 2016 में आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। एक समय के प्रतिबद्ध वामपंथी रहे डॉक्टर धर्मवीर की पहचान उन चंद लोगों में से है जिनकी गिनती पंजाब में लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और जनहितैषी राजनीति के लिए प्रतिबद्ध, सिद्धांतवादी और आदर्शवादी नेताओं में होती है।

कांग्रेस द्वारा उन्हें पटियाला से चुनाव मैदान में उतारने की संभावना है, जहां उनका मुकाबला इस बार भी परनीत कौर से ही होगा जो अब बीजेपी की उम्मीदवार हैं। डॉ. गांधी को बाद में आम आदमी पार्टी ने कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया था जिसके बाद वह अपने नवगठित राजनीतिक संगठन- ‘नवा पंजाब पार्टी’ की ओर से 2019 का चुनाव लड़े लेकिन कौर से हार गए थे। आम आदमी पार्टी पहले ही राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह को पटियाला से अपना उम्मीदवार घोषित कर चुकी है जबकि शिरोमणि अकाली दल ने अब तक उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। हालांकि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने रणनीतिक कारणों से पंजाब में अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया था लेकिन अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से बदले हालात ने उनकी रणनीतियों और अभियानों पर फिर से सोचने को मजबूर कर दिया है।

कांग्रेस के पास अभी भी चरणजीत चन्नी, राजा वारिंग, राणा गुरजीत और सुखपाल खैरा जैसे कई लोकप्रिय और प्रताप सिंह बाजवा, मनीष तिवारी जैसे चेहरे तो हैं ही जो राज्य में इसे एक दुर्जेय राजनीतिक ताकत बनाए रखने में सक्षम हैं।

नई बीजेपी या पुरानी कांग्रेस

कैप्टन अमरिन्दर सिंह के बाद मुख्यमंत्री न बनाए जाने से नाराज होकर कांग्रेस छोड़ने वाले प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सुनील जाखड़ और कैप्टन अमरिन्दर- दोनों अब बीजेपी में एक साथ हैं। कैप्टन की बेटी जय इंदर कौर पंजाब में बीजेपी महिला मोर्चा की अध्यक्ष हैं और बीजेपी को अब भी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से कई अन्य नेताओं के अपने पाले में आने की उम्मीद है। जाखड़ की टीम पुराने कांग्रेसी नेताओं से भरी हुई है जिनमें पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा के भाई फतेह जंग बाजवा, हरजोत कमल, अरविंद खन्ना और केवल ढिल्लों प्रमुख हैं। बीजेपी कोर कमेटी में भी कांग्रेस के दो पुराने हाथ- मनप्रीत बादल और राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी हैं। रवनीत सिंह बिट्टू भी इस साल की शुरुआत में भगवा पार्टी में शामिल हो गए, और यही कारण है कि इनकी नई बीजेपी अब पुरानी कांग्रेस जैसी दिखने लगी है।

किसान नाराजगी का असर 

कांग्रेस ने 2019 में 13 में से 8 सीटें जीती थीं और 40 फीसदी वोट हासिल किए थे। तब बीजेपी ने शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन में चार सीटें हासिल की थीं। शिरोमणि अकाली दल को जहां 27.4 फीसदी वोट मिले, वहीं बीजेपी को महज 9.6 फीसदी वोट मिले थे। शिरोमणि अकाली दल इस बार आंदोलनकारी किसानों की नाराजगी के मद्देनजर सावधानी के साथ अलग चुनाव लड़ रहा है क्योंकि किसान बीजेपी नेताओं को मालवा के कई हिस्सों में प्रचार नहीं करने दे रहे हैं।


महाराष्ट्र: झुग्गियां शिफ्ट कराने के बयान से फंसे पीयूष गोयल

बिल्डर लॉबी को लाभ पहुंचाने की किसी भी कोशिश को विफल करने को प्रतिबद्ध विपक्ष 

  • नवीन कुमार

उत्तर मुंबई लोकसभा सीट पर बीजेपी बड़ा दांव खेल रही है। बीजेपी ने यह दांव मोदी टीम के रणनीतिकारों में शामिल केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल पर लगाया है। इस सीट पर गोपाल शेट्टी दो बार से लगातार चुनाव जीतते रहे हैं, पर गोयल के लिए उनका पत्ता साफ कर दिया गया है। शेट्टी और उनके समर्थक नाराज हैं। विपरीत चुनावी माहौल के बीच ही गोयल ने इलाके की झुग्गी-झोपड़ियों के मसले को हवा को दी है जो विपक्ष के लिए चुनावी मुद्दा बनता जा रहा है। दरअसल, गोयल ने कहा है कि वह चुनकर आते हैं तो वह इलाके की झुग्गी-झोपड़ियों को नमक वाली जमीन पर स्थानांतरित करा देंगे। इससे विपक्ष को बड़ा मुद्दा मिल गया है।

वर्तमान स्थानीय बीजेपी सांसद शेट्टी पर कथित रूप से क्षेत्र में खाली जमीनों पर कब्जा करने का आरोप लगता रहा है। अब गोयल के बयान के पीछे की रणनीति के बारे में शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और कांग्रेस ने खुलासा किया है कि वह बिल्डरों के फायदे देख रहे हैं। बकौल मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड, 'मोदी सरकार धारावी के लोगों को बेघर करने की कोशिश कर रही है। अब उत्तर मुंबई की झुग्गी-झुग्गियों में रहने वाले गरीब परिवारों को उनकी खुद की जगह से बेदखल करने की बीजेपी की यह साजिश है।' शिवसेना (उद्धव गुट) नेता आदित्य ठाकरे ने कहा है कि हम झुग्गियों को ऐसे क्षेत्र (नमक वाली जमीन) में स्थानांतरित करने की बीजेपी की योजना को आगे नहीं बढ़ने देंगे।

दरअसल बीजेपी की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार ने 2.39 वर्ग किलोमीटर में फैले धारावी के पुनर्विकास का ठेका अडानी ग्रुप को दिया है। यहां की झोपड़ियों की नंबरिंग का काम पूरा हो गया है। कागजातों की जांच का काम चल रहा है। इस सबके बीच 'अडानी हटाओ और धारावी बचाओ' का भी आंदोलन चल रहा है। भारत जोड़ो न्याय यात्रा के समापन के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था, 'धारावी कौशल की बस्ती है। यह मेड इन चाइना को मात देने की क्षमता रखती है।' लेकिन अब जब धारावी का पुनर्विकास होगा, तो इसका अस्तित्व मिट जाएगा। 

झुग्गी-झोपड़ियों में सपने पलते हैं तो साकार भी होते हैं। लेकिन इन झुग्गी-झोपड़ियों पर अमीरों की नजर सिर्फ पैसे कमाने के लिए रहती है। ऐसे अमीरों में बिल्डर और नेता शुमार हैं। उत्तर मुंबई लोकसभा क्षेत्र के उम्मीदवार पीयूष गोयल भी बीजेपी के अमीर केंद्रीय मंत्रियों में से एक हैं। उनका मुंबई की जमीनी राजनीति से कम ही वास्ता रहा है। उन्हें दक्षिण मुंबई की बजाय उत्तर मुंबई लोकसभा सीट से बीजेपी के अधिकृत उम्मीदवार के रूप में टिकट मिला है। उत्तर मुंबई में सबसे बड़ी समस्या झोपड़पट्टी पुनर्वास की है। कई झुग्गी बस्तियों का पुनर्वास पूरा भी हो चुका है। लेकिन उनमें रहने वालों को घर नहीं मिला है। ऐसी स्थिति में गोयल का झुग्गी-झोपड़ी को सॉल्ट पैन लैंड पर स्थानांतरित करने वाला बयान उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है।

इस क्षेत्र में मराठी वोटरों की संख्या प्रभावी है जो किसी भी उम्मीदवार का भाग्य तय कर सकती है। वोटों का गणित जो भी हो लेकिन वोटरों की सोच है कि गोयल बाहरी और अमीर हैं, इसलिए उनके पास आम जनता के लिए समय कम होगा।

आंध्र-तेलंगाना में एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने का दौर

फोन टैपिंग, ड्रग की खेप और पुराना हत्याकांड बन गया है चुनावी मुद्दा

  • सुरेश धरूर

फोन टैपिंग, ड्रग की बड़ी खेप का पकड़ा जाना, शराब घोटाला और अनसुलझा हत्याकांड- ये सब तेलंगाना और आंघ्र प्रदेश के चुनाव में राजनीतिक दलों में एक-दूसरे पर कीचड़ उठाने के सबब बन गए हैं।

तेलंगाना में चुनावी माहौल इस बात को लेकर गर्म है कि कैसे भारत राष्ट्रीय समिति (बीआरएस) की पूर्व के. चंद्रशेखर राव सरकार ने विपक्षी नेताओं और उद्योगपतियों की गैरकानूनी तरीके से फोन टैपिंग की जबकि आंध्र प्रदेश में राजनीतिक दलों के बीच एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। इनमें विशाखापत्तनम बंदरगाह पर संदिग्ध ड्रग का पकड़ा जाना, वाई.ए. जगन रेड्डी के परिवार के सदस्य से जुड़ा हत्याकांड शामिल है।   

फोन टैपिंग का घेरा

बीआरएस फोन टैपिंग मामले में निशाने पर है जिसमें तमाम कांग्रेस नेताओं की निगरानी की गई। इस मामले में अब तक चार वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक जे.डी. लक्ष्मीनारायण ने कहा कि ‘ इंडियन टेलीग्राफ एक्ट के तहत फोन टैपिंग एक तय प्रक्रिया को पूरा करने के बाद ही की जा सकती है और इसके लिए गृह सचिव को किसी खास अवधि के लिए आदेश देना पड़ता है।’ उस्मानिया यूनिवर्सिटी के प्रेफेसर के. नागेश्वर कहते हैं कि ‘यह साफ तौर पर निजता और मौलिक अधिकारों के हनन का मामला है।’ अब तक बीआरएस नेता इन आरोपों का कोई जवाब नहीं दे पाए हैं जिससे साफ है कि उन्होंने गलती की। मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों में पूर्व डिप्टी कमिश्नर राधाकृष्ण राव भी हैं। राधाकृष्ण राव ने यह बात मानी है कि उन्होंने न केवल नेताओं के फोन टैप किए बल्कि चुनाव के दौरान बीआरएस नेताओं की ओर से रुपयों से भरे बैग को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना भी सुनिश्चित किया। मुख्य आरोपी तेलंगाना के पूर्व आईबी प्रमुख टी. प्रभाकर राव फिलहाल अमेरिका में हैं।

ड्रग की खेप पर बवाल

आंध्र में 25 हजार किलो के संदिग्ध ड्रग के पकड़े जाने पर बवाल मचा हुआ है। इसकी खेप ब्राजील से आई। तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू का आरोप है कि ड्रग रैकेट में सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस लिप्त है। हालांकि वाईएसआर कांग्रेस के महासचिव एस. रामकृष्ण रेड्डी ने आरोपों को निराधार बताया है। लेकिन जाहिर है कि यह मामला इतनी जल्दी खत्म होने वाला नहीं है और इस चुनाव में यह एक बड़ा मुद्दा बना रहेगा।

परिवार में हत्या

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के मामा वाई.एस. विवेकानंद रेड्डी की पांच साल पहले हुई हत्या का मामला अब तक सुलझा नहीं है और चुनाव से पहले इस मामले ने परिवार में कटुता पैदा कर दी है। मुख्यमंत्री पर उनके ही परिवार के कुछ सदस्य लगातार इस मामले में उनपर हमले कर रहे हैं। उनका आरोप है कि मुख्यमंत्री हत्यारों को बचा रहे हैं। विवेकानंद रेड्डी की बेटी डॉ. एन. सुनीता ने लोगों से अपील की है कि वे ‘ मेरे भाई को वोट न दें। उन्हें दोबारा सत्ता में न लाएं’। सुनीता ने कहा कि उन्होंने सबसे पहले इस मामले में अपने भाई और मुख्यमंत्री जगन से संपर्क किया और उन्होंने इंसाफ दिलाने का भरोसा भी दिया, लेकिन जो कुछ भी हो रहा है, वह इंसाफ के साफ खिलाफ है।    

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia