Electoral Bonds: चंदे वाली सूची में पाकिस्तानी कंपनी का भी नाम! जानें चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली टॉप कंपनियां कौन सी हैं?

डेटा के मुताबिक, एसबीआई ने 2018 में शुरू हुई योजना के बाद से अब तक 30 किश्तों में 16,518 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी सार्वजनिक की है।

सांकेतिक फोटो
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नवजीवन डेस्क

एसबीआई द्वारा सुप्रीम कोर्ट को सौंपा गया चुनावी बॉन्ड का पूरा डेटा चुनाव आयोग ने अपनी वेबासइट पर गुरुवार को अपलोड कर दिया। इस डेटा से कई अहम और चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं। डेटा के मुताबिक, एसबीआई  ने 2018 में शुरू हुई योजना के बाद से अब तक 30 किश्तों में 16,518 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी सार्वजनिक की है। इसमें बताया गया है कि 1 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी, 2024 के बीच 22,217 बॉन्ड खरीदे गए, जोकि इस तीन मूल्यवर्ग यानी ₹1 लाख, ₹10 लाख और ₹1 करोड़ के हैं। इस दौरान भुनाए गए बॉन्ड्स की कुल संख्या 22,030 है।

पाकिस्तानी कंपनी ने भी खरीदे इलेक्टोरल बॉन्ड!

इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी जानकारी देखने के बाद एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। पाकिस्तान की एक पावर कंपनी ने भी भारतीय राजनीतिक दलों को चंदा दिया है। भारतीय राजनीतिक दलों को चुनावी चंदा देने वाली यह पाकिस्तानी कंपनी बिजली उत्पादक यानी पावर प्रोड्यूसर के तौर पर काम करती है। कंपनी का नाम 'हब पावर कंपनी लिमिडेट' (HUBCO) है, जो पाकिस्तान की सबसे बड़ी पावर उत्पादन कंपनी है। चुनाव आयोग के जरिए जो जानकारी अपलोड की गई है, उसमें हब पावर का नाम सामने आ रहा है। इस पाकिस्तानी कंपनी ने 18 अप्रैल 2019 को करीब 95 लाख रुपये का चंदा राजनीतिक दलों को दिया था।

चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली ये हैं टॉप कंपनियां

अब बात उन टॉप कंपनियों की, जिन्होंने देश की अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों को फंड देने के लिए सबसे ज्यादा कीमत के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं। चुनाव आयोग द्वारा अपनी वेबसाइट पर अपलोड की गई जानकारी के मुताबिक, फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज और मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड अप्रैल 2019 से जनवरी 2024 तक इस लिस्ट में टॉप पर हैं। इस कंपनी ने 1,368 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं। वहीं 966 करोड़ रुपये के फंड के साथ मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है, जिनसे चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं। वहीं तीसरी सबसे बड़ी कंपनी क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड है, जिसने 410 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे।


किसकी कंपनी है फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज?

1,368 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे वाले कथित तौर पर फ्यूचर गेमिंग के मालिक दक्षिण भारत के लॉटरी किंग सैंटियागो मार्टिन हैं। फ्यूचर की वेबसाइट के अनुसार, मार्टिन ने 13 साल की उम्र में लॉटरी व्यवसाय शुरू किया था। इसके बाद वह पूरे देश में लॉटरी के खरीदारों और विक्रेताओं के एक विशाल नेटवर्क को विकसित करने में कामयाबी हासिल की। दक्षिण में यह फर्म मार्टिन कर्नाटक के तहत चलती है। वहीं, उत्तर-पूर्व में इसे मार्टिन सिक्किम लॉटरी के नाम से लोग जानते हैं।

मेघा इंजीनियरिंग चुनावी बॉन्ड खरीदने में दूसरे नंबर पर

बांध और बिजली प्रोजेक्ट्स बनाने वाली कंपनी मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के मालिक स्वामित्व पीवी कृष्णा रेड्डी और पीपी रेड्डी हैं। हैदराबाद में इसका मुख्यालय है। यह कंपनी सिंचाई, जल प्रबंधन, बिजली, हाइड्रोकार्बन, परिवहन, भवन और औद्योगिक बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में काम करती है। यह केंद्र और राज्य सरकारों के साथ पीपीपी (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) में अग्रणी रही है। फिलहाल देशभर के 18 से ज्यादा प्रदेशों में कंपनी के प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं।

बॉन्ड खरीदने वाली ये है तीसरी बड़ी कंपनी

क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड चुनावी बॉन्ड का उपयोग करने वाले राजनीतिक दलों को दान करने वाली तीसरी सबसे बड़ी दानकर्ता थी। क्विक सप्लाई नवी मुंबई के धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी (डीएकेसी) में पंजीकृत पते वाली और रिलायंस इंडस्ट्रीज से जुड़ी एक कम प्रसिद्ध कंपनी है। इसने वित्त वर्ष 2021-22 और 2023-24 के बीच 410 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे। हालांकि, रिलायंस ने कहा कि यह कंपनी रिलायंस की किसी भी इकाई की अनुषंगी कंपनी नहीं है।

सार्वजनिक रूप से प्राप्त जानकारी में क्विक सप्लाई को गोदामों और भंडारण इकाइयों का निर्माता बताया गया है। गैर-सूचीबद्ध निजी कंपनी को नौ नवंबर 2000 को 130.99 करोड़ रुपये की अधिकृत शेयर पूंजी के साथ शामिल किया गया था। इसकी चुकता पूंजी 129.99 करोड़ रुपये है। अप्रैल, 2022 से मार्च, 2023 में कंपनी का राजस्व 500 करोड़ रुपये से अधिक था। हालांकि मुनाफे का आंकड़ा ज्ञात नहीं है।


चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर अपलोड की जानकारी

चुनाव आयोग द्वारा अपनी वेबसाइट पर दो अलग-अलग डिटेल को अपलोड किया गया है। पहली पीडीएफ में 337 पेज हैं, जिसमें चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों और संस्थाओं के नाम हैं। साथ ही इसमें खरीद की तारीख और पैसे की सूचना शामिल है। वहीं, दूसरी पीडीएफ में 426 पेज हैं, जिसमें राजनीतिक दलों के नाम, तारीख और राशि की डिटेल दी गई है। हालांकि इससे यह स्पष्ट नहीं है कि किस कंपनी या संस्थान ने कौन-सा इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदा है। दरअसल क्योंकि उपलब्ध कराई गई जानकारी में बॉन्ड संख्या शामिल का विवरण नहीं दिया गया है। इसके साथ ही यह भी नहीं बताया गया है कि किस कंपनी ने किस पार्टी को फंड दिया।

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Published: 15 Mar 2024, 9:31 AM