गुजरात में सत्ता विरोधी लहर से जूझ रही है बीजेपी, इसीलिए हर चुनाव से पहले जिंदा हो जाता है 'गोधरा' : शंकर सिंह वाघेला

नरेंद्र मोदी के इर्दगिर्द सरकारी पैसे से एक पर्सनैलिटी कल्ट बनाया गया है। लेकिन यह कल्ट, और फाइव-स्टार कल्चर- ये सब संघ और बीजेपी पर बहुत भारी पड़ने जा रहा है। संघ के पुराने लोग भी 'अटैच्ड बाथरूम' कल्चर से नाखुश हैं। यह बातें शंकर सिंह वाघेला ने कही हैं।

फोटो : सोशल मीडिया
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आर के मिश्रा

गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आरएसएस में सहयोगी रह चुके शंकर सिंह वाघेला राज्य में बीजेपी के 'मूवर्स एंड फेकर्स' के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। वे खुलकर बोलते हैं और यह कहकर उन्होंने पिछले दिनों सनसनी फैला दी कि 2002 में गोधरा के मुसलमानों को यह जानने का कोई तरीका नहीं था कि साबरमती एक्सप्रेस के किस डिब्बे में सवार होकर कारसेवक लौट रहे थे। इसी संदर्भ में पिछले दिनों नवजीवन के साथ बातचीच में वाघेला ने कहा कि 'गोधरा से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री के पास दिखाने को कुछ नहीं था। गोधरा के बाद क्या हुआ, यह इतिहास है और चुनावों से पहले यह अपने आपको दोहराता रहा है।' बातचीत के प्रमुख अंशः

क्या गुजरात में कोई एंटी-इन्कम्बैंसी है?

निश्चित तौर पर, यह है। आखिर, और क्या वजह है कि बीजेपी ने विजय रूपाणी के सभी मंत्रियों को हटा दिया जबकि प्रधानमंत्री ने कुछ ही दिनों पहले सार्वजनिक तौर पर उनके काम की प्रशंसा की थी? बीजेपी के खिलाफ काफी अंडरकरेंट है और लोग बदलाव के लिए बेचैन हो रहे हैं। मैं समझता हूं कि लोग राज्य में कांग्रेस सरकार के लिए तैयार हैं। बस, सवाल यह है कि क्या कांग्रेस के कुछ नेता सत्ता में आने को तैयार हैं।

जैसा कि आप कहते हैं, लोग बदलाव क्यों चाह रहे हैं?

देखिए, राज्य में इस वक्त भ्रष्टाचार पराकाष्ठा पर है। शासन बिल्कुल नीचे के स्तर तक पहुंच गया है। राज्य में कोविड से एक लाख लोगों की मृत्यु हुई लेकिन राज्य सरकार ने ढिठाई से दावा किया कि आंकड़ा 10 हजार का है। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से उन्हें वास्तविक आंकड़ा स्वीकार करना पड़ा। मंहगाई और बेरोजगारी है। छोटे व्यापारी और बिजनेसमेन संकट में हैं। आदिवासी, दलित और किसान खुशहाली से दूर हैं। आप नाम लेते जाइए...लंबी फेहरिस्त है....

क्या आप इस बात को विस्तार से बता सकते हैं कि आपके यह कहने का क्या मतलब है कि कुछ कांग्रेस नेता सत्ता में आने को तैयार नहीं हो सकते हैं?

कांग्रेस को 2017 में ही सत्ता में आ जाना चाहिए था और वह आ सकती थी। लेकिन इसने कुछ गलत उम्मीदवारों का चयन कर मौका खो दिया। इस बार भी मुझे लगता है कि वह कुछ क्षेत्रों में बेहतर उम्मीदवार दे सकती थी हालांकि उसने इस दफा बेहतर ढंग से काम किया है।


बीजेपी को मुख्य चुनौती क्या आम आदमी पार्टी से है?

मैं आम आदमी पार्टी को प्रमुख तौर पर अंतर देते नहीं देखता। मैं इसे सत्ता में आते नहीं देखता और अपने बल पर तो नहीं ही। यह उस कांग्रेस से ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है जो राज्य में मुख्य विपक्षी है। मैं नहीं कह सकता कि क्या यह कुछ क्षेत्रों में खेल बिगाड़ने का काम करेगी और यह किसे सबसे अधिक नुकसान पहुंचाएगी।

क्या नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता ने बीजेपी को अजेय बना दिया है?

इससे इनकार नहीं कि नरेंद्र मोदी के इर्दगिर्द पर्सनैलिटी कल्ट है जो सार्वजनिक धन पर भारी-भरकम खर्च से बनाया गया है। लेकिन यह कल्ट, पार्टी का कॉरपोरेटीकरण और फाइव-स्टार कल्चर- ये सब संघ और बीजेपी पर बहुत भारी पड़ने जा रहा है। बहुत दिन नहीं हुए, संघ प्रमुख को किसी सुरक्षा की आवश्यकता नहीं थी। लेकिन आज कई नेता बिना सुरक्षा निकल नहीं सकते। नकारात्मकता, विपक्षी नेताओं और विपक्ष-शासित राज्यों को डराने-धमकाने, केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग की राजनीति अपराजेयता का प्रभामंडल तो रच सकता है लेकिन यह बहुत दिनों तक नहीं चल सकता। भारतीय किसान संघ और भारतीय मजदूर संघ केन्द्र की भाजपा सरकार को पहले से ही दोषी ठहरा रहे हैं। संघ के पुराने लोग भी 'अटैच्ड बाथरूम' कल्चर से नाखुश हैं।

राहुल गांधी इस बार गुजरात में अधिक प्रचार नहीं कर रहे हैं। क्या परिणामों पर इसका असर होगा?

जैसा कि मैंने (न्यूजलॉन्ड्री को दिए) इंटरव्यू में कहा, राहुल गांधी पॉलिटिशियन नहीं हैं। वह स्टेट्समैन हैं। उन्हें देश की चिंता है और वह अपने प्रति या दूसरों के प्रति बेईमान नहीं हैं। भारत जोड़ो यात्रा सामयिक और जरूरी है। आप वैमनस्य के बीज बोकर और लोगों को बांटकर देश को एक कैसे करेंगे? लेकिन तब राहुल गांधी क्या करेंगे अगर चुने गए कांग्रेस विधायक पालाबदल कर लेते हैं? आश्चर्यजनक ढंग से, पालाबदल कराने के लिए बीजेपी को उत्तरदायी नहीं ठहराया जाता बल्कि इसे कांग्रेस और राहुल गांधी की कमजोरी के तौर पर बताया जाता है।

शांतिपूर्ण रिटायर्ड जीवन जीने की मैंने खुद योजना बनाई। लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता हूं। मैं बीजेपी के खिलाफ अभियान चला रहा हूं क्योंकि वर्तमान शासन उन संस्थापकों के किए-धरे को नष्ट किए दे रहा है जिन्होंने जातियों में विभाजित और धर्मांध समाज में एकता लाने का प्रयास किया था। चुनाव परिणाम बताएगा कि भारत जोड़ो यात्रा के साथ राहुल गांधी की भागीदारी का कितना असर हुआ।

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