कट्टर दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी राजनीति का सबसे घातक हथियार है झूठी खबरें
अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के कुछ दिनों के भीतर ही ट्रंप ने विदेशों में आर्थिक मदद देने वाले, यूएसएड, के अरबों डॉलर के बजट को स्थगित कर दिया, इसमें 26.8 करोड़ डॉलर की वह राशि भी शामिल है, जो दुनियाभर में स्वतंत्र मीडिया को सहायता के तौर पर दी जाती थी।

इंडिया हेट लैब की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2024 में भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हिंसक और धमकाने वाले भाषणों और वक्तव्यों में भारी उछाल आया है। वर्ष 2024 में ऐसे 1165 भाषणों और वक्तव्यों को दिया गया, यह संख्या वर्ष 2023 की तुलना में 74.4 प्रतिशत अधिक है। अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हिंसक भाषणों में से 98.5 प्रतिशत मुस्लिमों के विरुद्ध दिए गए, इनमें से कुछ भाषण मुस्लिमों और ईसाइयों के विरुद्ध संयुक्त तौर पर दिए गए थे। लगभग 10 प्रतिशत हेट स्पीच ईसाइयों के विरुद्ध थे। संभव है, इंडिया हेट लैब की रिपोर्ट में हेट स्पीच के सभी मामले नहीं शामिल हों – आजकल तो सत्ता, बीजेपी समर्थक और मेनस्ट्रीम मीडिया हरेक सिक्ख को खालिस्तानी और सरकार के विरुद्ध आवाज उठाने वालों, जिनमें प्रमुख विपक्षी नेता भी शामिल हैं, को अर्बन नक्सल और टुकड़े-टुकड़े गैंग का सदस्य बताने से परहेज नहीं करती – यह तो अपने आप में ही हेट स्पीच का ही उदाहरण है।
कुल हेट स्पीच में से 931, यानि 80% भाषण, बीजेपी शासित राज्यों में दिए गए। इससे राजनैतिक प्रभुत्व और हेट स्पीच का गहरा रिश्ता स्पष्ट होता है। लगभग 50 प्रतिशत हेट स्पीच केवल तीन राज्यों – उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में दिए गए। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों के दौर में ऐसे भाषणों और वक्तव्यों में 32 प्रतिशत का उछाल देखा गया था। दुखद तथ्य यह है कि ऐसे भाषण केवल सत्ता और उनके समर्थकों के लिए एक नया नॉर्मल नहीं है, बल्कि अब तो जनता भी ऐसे भाषणों पर तालियाँ पीटने लगी है – यह मोदी-प्रजातन्त्र का एक नया स्वरूप है।
कुल हेट स्पीच में से 259, यानि 259 भाषण, अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हिंसा का आव्हान करने वाले थे– यह संख्या वर्ष 2023 की तुलना में 8.4 प्रतिशत अधिक है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी हेट स्पीच को खूब बढ़ावा दे रहे हैं। कुल 1165 मामलों में से 995 भाषण को सोशल मीडिया पर व्यापक तौर पर प्रचारित किया गया। ऐसे भड़काऊ और हिंसक वक्तव्य सभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म के सामाजिक दिशानिर्देशों के विरुद्ध हैं फिर भी इन्हें हटाया नहीं गया। बीजेपी शासित राज्यों में हेट स्पीच की भारी बढ़ोत्तरी के बीच कांग्रेस शासित कर्नाटक एक ऐसा राज्य है जहां हेट स्पीच में 20 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
हेट स्पीच के 274 मामलों में अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों को ध्वस्त करने का भी आह्वान किया गया था। अब तो बांग्लादेश के नागरिकों और रोहींग्या के लिए भी थोक के भाव में हिंसक भाषा का उपयोग किया जाता है। हास्यास्पद यह है कि शेख हसीना को देश में पनाह देने वाले ही बांग्लादेशियों के विरुद्ध जहर उगल रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार हेट स्पीच भारतीय राजनीति की एक नियमित भाषा बन चुकी है, इसका सामान्यीकरण और सामाजिक स्वीकृति भविष्य के लिए और प्रजातंत्र के लिए एक भयावह भविष्य की ओर इशारा करता है।
हेट स्पीच का आधार झूठी, आधारहीन और मनगढ़ंत सूचनाएं, होती हैं जिन्हें पहले जनता के बीच व्यापक तरीके से प्रचारित किया जाता है। अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के कुछ दिनों के भीतर ही डोनाल्ड ट्रंप ने विदेशों में आर्थिक मदद देने वाले, यूएसएड, के अरबों डॉलर के बजट को स्थगित कर दिया, इसमें 26.8 करोड़ डॉलर की वह राशि भी शामिल है, जो दुनियाभर में स्वतंत्र मीडिया को सहायता के तौर पर दी जाती थी। चीन, रूस, बेलारूस और अल साल्वाडोर जैसे देश जहां सत्ता द्वारा मानवाधिकार का हनन चरम पर है और समाचारों के नाम पर केवल सत्ता द्वारा फैलाए गए झूठे और भ्रामक समाचारों का वर्चस्व है, ने ट्रम्प के इस कदम का समर्थन किया है। रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स नामक संस्था ने कहा है कि ट्रम्प के इस कदम के बाद निरंकुश तानाशाही का दंश झेल रहे अधिकतर देशों में स्वतंत्र मीडिया पर व्यापक आर्थिक संकट खड़ा हो गया है, अधिकतर ऐसे मीडिया बंद होने के कगार पर पहुँच गए हैं और स्वतंत्र मीडिया के बंद होते ही सत्ता द्वारा फैलाए जाने वाले झूठ का वर्चस्व स्थापित हो जाएगा।
रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स के आकलन के अनुसार यूएसऐड के आर्थिक मदद के कारण वर्ष 2023 में दुनिया के 30 देशों में 6200 पत्रकारों को प्रशिक्षण मिला, 707 निष्पक्ष और स्वतंत्र मीडिया, मीडिया की स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाते 279 गैर-सरकारी संगठनों को आर्थिक मदद मिली। इन देशों में अफगानिस्तान, ईरान, रूस, बेलारूस, म्यांमार, कोलंबिया, हंगरी जैसे देश शामिल हैं, जहां निष्पक्ष पत्रकारिता को सत्ता द्वारा कुचला जाता है।
युद्ध की विभीषिका झेल रहे यूक्रेन में लगभग 90 प्रतिशत मीडिया संस्थानों को अमेरिकी मदद मिलती थी पर अब इनमें से अधिकतर संस्थान बंद किए जा रहे हैं या फिर कर्मचारियों की व्यापक स्तर पर छटनी की जा रही है। हरेक दक्षिणपंथी शासक के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष मीडिया एक बड़ी चुनौती प्रस्तुत करता है – डोनाल्ड ट्रम्प ऐसे मीडिया को “फेक न्यूज मीडिया” बताते हैं और उनके चहेते सलाहकार एलोन मस्क यूएसऐड को क्रिमिनल संस्थान बताते हैं जो पेड मीडिया को बढ़ावा देता है।
“पनामा पेपर्स” को उजागर करने वाले खोजी और जुझारू पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय समूह, ऑर्गनाइज्ड क्राइम एण्ड करप्शन रेपोर्टिंग प्रोजेक्ट, को कुल फंड में से 29 प्रतिशत फंड यूएसऐड से मिलती थी, पर अब इस मदद के बंद होने के बाद आर्थिक तंगी के कारण इसके 20 प्रतिशत कर्मचारियों की छटनी करनी पड़ी। निष्पक्ष सूचनाओं के अभाव में अब गलत सूचनाओं का वर्चस्व हो जाएगा। नीदरलैंड के फ्री यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक लंबे अध्ययन के बाद बताया है कि गलत सूचनाओं के प्रसार में कट्टर दक्षिणपंथी लोकलुभावन विचारधारा के लोग
गलत और भ्रामक सूचनाओं के प्रसार में मध्यमार्गी और वामपंथी विचारधारा के लोगों की तुलना में बहुत आगे रहते हैं। दक्षिणपंथी गलत सूचनाओं को प्रजातन्त्र को कमजोर करनी और सत्ता तक पहुँचने के लिए एक घातक हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं, यह उनकी रणनीति का एक अभिन्न अंग है।
फ्री यूनिवर्सिटी के अध्ययन दल ने वर्ष 2017 से 2022 के बीच 26 चुनिंदा देशों के सभी संसद सदस्यों द्वारा ट्विटर, अब एक्स, पर किए गए सभी पोस्ट का विश्लेषण किया। इन देशों में यूरोपीय संघ के 17 देशों के साथ ही यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भी शामिल हैं और इसके तहत 8198 सांसदों के 3 करोड़ से अधिक ट्वीट का विश्लेषण किया गया। इस अध्ययन में बताया गया है कि वामपंथी अधिकतर सामाजिक और आर्थिक नीतियों के बारे में गंभीर बातें करते हैं, जिसमें झूठ और भ्रामक कुछ भी नहीं होता है। दूसरी तरफ दक्षिणपंथी गंभीर और जनता से जुड़े मुद्दों से दूर पूरी संस्कृति और इतिहास बदलने की, छद्म राष्ट्रीयता की और काल्पनिक खतरों की बातें अधिक करते हैं, प्रजातन्त्र को नकारा बताते हैं – इसके लिए झूठ और हिंसक भाषा का उपयोग करना आवश्यक हो जाता है। वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम ने अगले दो वर्षों के भीतर झूठी खबरों के व्यापक प्रसार को दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया है, पर कट्टर दक्षिणपंथी सरकारों का फैलता दायरा इसी खतरे का नतीजा है।
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia