यूपी के संदिग्ध आतंकियों के परिवार ने बेगुनाह होने का किया दावा, एटीएस पर लगाए गंभीर आरोप

रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शोएब ने एटीएस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि विडंबना है कि निष्क्रिय अल-कायदा के नाम का इस्तेमाल किया जा रहा है। क्या ऐसा संगठन यूपी में आतंकी वारदात के लिए जंग लगे चाकू, बेकार बंदूकें और कुकर बम का इस्तेमाल कर सकता है?

फोटोः रिहाई मंच
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नवजीवन डेस्क

उत्तर प्रदेश में आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) द्वारा अलकायदा की शाखा अंसार गजवात-उल-हिंद के साथ कथित संबंधों के आरोप में पांच लोगों को गिरफ्तार किए जाने के लगभग एक पखवाड़े बाद, उनके परिवार ने दावा किया है कि वे निर्दोष हैं और उनको रिहा किया जाना चाहिए।

रिहाई मंच की पहल पर शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए इनमें से एक आरोपी शकील की पत्नी अंबरीन ने कहा कि उसके पति को एटीएस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद उसका जीवन खतरे में पड़ गया था। उसने कहा कि उसका पति दिहाड़ी मजदूर है और उसकी सास बीमार है।

गिरफ्तार किए गए एक दूसरे संदिग्ध आरोपी और ई-रिक्शा चालक 50 वर्षीय मसीरुद्दीन की पत्नी ने कहा, "मेरे पति हमारे घर के बाहर खड़े थे, जब एटीएस अधिकारी उन्हें अपने साथ ले गए। उन्होंने कहा कि वे उससे पूछताछ करेंगे और वह जल्द ही घर लौट आएगा। बाद में , उन्होंने घर में तोड़फोड़ की। उन्होंने एक प्रेशर कुकर उठाया और इसे सबूत होने का दावा किया।"


30 वर्षीय मिनाज अहमद के माता-पिता सिराज और तलत फातिमा ने दावा किया कि उनके बेटे की मार्च में हर्निया की सर्जरी हुई थी और उसके बाद उसे आराम करने की सलाह दी गई थी।
एक अन्य आरोपी मुस्तकीम की पत्नी ने कहा कि वह पिछले 18 वर्षों से विकलांग है और उसकी मदद करने के लिए उसके पास केवल उसका पति है।

आतंकी होने के आरोप में गिरफ्तार एक अन्य आरोपी मोइद की पत्नी उजमा ने कहा, "मेरे पति की गिरफ्तारी के दिन से ही हमारे पड़ोस में रहने वाले हिंदू और मुसलमान दोनों ही हमें तीनों वक्त का खाना मुहैया करा रहे हैं। क्या यह उनकी बेगुनाही का सबूत नहीं है?"


रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शोएब ने यूपी एटीएस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह विडंबना है कि अल-कायदा का नाम, जो अब निष्क्रिय है, उसका इस्तेमाल किया जा रहा है। क्या ऐसा संगठन यूपी में आतंकी गतिविधियों के लिए जंग लगे चाकू, बेकार बंदूकें और कुकर बम का इस्तेमाल कर सकता है?

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