गन्ना किसानों के गुस्से से उबल रहा पश्चिम यूपी, शामली में मिल पर किसानों का कब्जा, कलेक्ट्रेट में जड़ा ताला

उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का गुस्सा अबफूटने लगा है। बीते नौ दिनों से इन किसानों अपना बकाया भुगतान की मांग को लेकरपश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली में दोआब चीनी मिल पर कब्जा कर रखा है। साथ हीकलेक्ट्रेट पर भी ताला जड़ दिया गया है।

फोटो : आस मोहम्मद कैफ
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आस मोहम्मद कैफ

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों का गुस्सा उबाल पर है। इस इलाके की कई चीनी मिलों पर किसानों का धरना-प्रदर्शन चल रहा है। सबसे बड़ा विरोध शामली जिले में हो रहा है जहां हजारों किसान पिछले एक सप्ताह से दोआब शुगर मिल और कलक्ट्रेट में जुटे हैं और प्रदर्शन कर रहे है।

शामली शुगर मिल पर किसानों का लगभग 200 करोड़ रुपए का बकाया है। इनमें से 80 करोड़ रुपये तो अकेले पिछले साल पिराई सत्र के ही हैं। परेशान किसान अपनी मांगों की तरफ सरकार का ध्यान दिलाने के लिए कई जतन अपना चुके हैं। किसानों ने यहां मुंडन करवाया है। सामूहिक धर्म परिवर्तन की बात कहते हुए नमाज़ पढ़ी है। कुछ किसान आत्महत्या की बात कहकर पानी की टंकी पर चढ़ गए है। कुछ अर्धनग्न होकर धरने पर बैठे हैं।

गन्ना किसानों के गुस्से से उबल रहा पश्चिम यूपी, शामली में मिल पर किसानों का कब्जा, कलेक्ट्रेट में जड़ा ताला

किसानों का गुस्सा इस हद तक बढ़ गया है कि उन्होंने कलक्ट्रेट पर भी ताला जड़ दिया है। शामली में यह धरना भारतीय किसान यूनियन नेता सावित मलिक की अगुवाई में चल रहा है, जबकि अन्य जगहों पर अलग-अलग संगठन इसका नेतृत्व कर रहे हैं। जैसे बिजनोर के चांदपुर शुगर मिल भारतीय किसान मजदूर संगठन के बैनर तले किसान संघर्ष कर रहे हैं।

शामली में किसानों की भीड़ लगातार बढ़ रही है और सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है। किसानों का आरोप है सरकार को किसानों की दिक्कतें नजर नहीं आ रही हैं और वह ‘गाय, मंदिर, मस्जिद में उलझी हुई है।’ किसानों के इस धरने को कैराना सांसद तब्बुसम हसन, पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक समेत विपक्षी दलों के स्थानीय तमाम नेताओं का समर्थन शामिल है। वो धरने पर पहुंचते है और भाषण देकर लौट आते है। रोचक है कि उत्तर प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश राणा भी इसी जिले के रहने वाले हैं।

इलाके के पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक का कहना है कि गन्ना मंत्री के गृह जनपद में गन्ना किसानों की यह दुर्दशा है तो प्रदेश भर में स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि, “किसानों को 14 दिन में भुगतान कराने का दावा करने वाले आज मिल मालिकों के साथ खड़े हैं।“

गन्ना किसानों के गुस्से से उबल रहा पश्चिम यूपी, शामली में मिल पर किसानों का कब्जा, कलेक्ट्रेट में जड़ा ताला

शामली के युवा किसान शुभम मलिक पहले दिन से धरने पर हैं। वो बताते हैं कि सूबे की बीजेपी सरकार ने किसानों का छलने का काम किया है। शुभम का कहना है कि, “मिल मालिक अपने किसानों का पैसा रोककर उससे ब्याज कमाते हैं या दूसरे कारोबार में लगाते हैं, जबकि किसान का बेटा स्कूल फीस न होने के चलते स्कूल से बाहर निकाल दिया जाता है। उसकी बेटी की शादी समय से नहीं हो पाती है और बिना पैसे उसका इलाज नहीं हो पाता है।“ उनका कहना है कि, “जिस सरकार को अडानी -अंबानी की परवाह हो, उसमें किसानों का जीवन संकटमय ही हो सकता है।“

हालात अब बेकाबू होने की तरफ बढ़ रहे हैं। कई बुजुर्ग किसानों ने तो अब आत्महत्या करने की धमकी भी दी है। अभी दो दिन पहले ही जयपाल सिंह नाम का किसान पानी की टंकी पर चढ़ गया था। लोगों को काफी समझाने बुझाने पर वह नीचे उतरा। उसका कहना है कि अगर जल्द ही भुगतान नहीं हुआ तो वह रेल के सामने कूदकर जान दे देगा।

इस बीच उत्तर प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश राणा का कहना है कि, ‘सरकार में मिल मालिकों को गन्ना किसानों के भुगतान के हिसाब से 4 हजार करोड़ का सॉफ्ट लोन दिया था। लेकिन, शामली की दोआब मिल औपचारिकता पूरी नहीं कर पाई, इसलिए उसे यह नहीं मिला। वो भुगतान कराने के प्रयास में जुटे हैं।‘

गौरतलब है शामली की दोआब मिल उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े चीनी मिलों में से एक है। यह मिल इथेनॉल भी बनाती है। इससे उसे 50 रुपए प्रति किवंटल का अलग से फायदा होता है। इससे भी मिल को करोड़ों की कमाई होती है, लेकिन किसानों को सिर्फ चीनी का ही पैसा दिया जाता है।

शामली दोआब मिल धरने पर बैठे किसान आंकड़ो की बात करते हुए बताते हैं कि उन्हें अभी तक सिर्फ 23 मार्च 2018 तक का भुगतान किया गया है। मौजूदा पेराई सत्र में शामली मिल ने 124 करोड़ 70 लाख 49 हजार रुपए का गन्ना खरीदा है, जिसमें से कोई भुगतान अब तक नहीं किया गया है, जबकि इसी मिल पर 79 करोड़ 83 लाख 31 हजार किसानों का सिर्फ पिछले साल का भी बकाया है।

मौजूदा सत्र में अभी तक किसानों ने 12 हजार 876 करोड़ 54 लाख का गन्ना मिल के पास पहुंच चुका है, जिसका 8 हजार 222 करोड़ 69 लाख रुपया अब तक बकाया है, जबकि 1343 करोड़ 96 लाख रुपया पिछले सत्र का भी किसानों को अब तक नहीं मिला है। यानी 9 हजार 665 करोड़ 65 लाख रुपए अब किसानों के मिल मालिकों के पास है।

लेकिन सरकारी आंकड़े अलग तस्वीर दिखाते हैं। उत्तर प्रदेश गन्ना विभाग की वेबसाईट बताती है कि किसानों का सिर्फ 5400 करोड़ रुपए बकाया है, जो भुगतान का 44 फीसद है। 2017-18 के 1331 करोड़ बकाए की बात भी गन्ना विभाग मानता है और इसकी जानकारी सरकारी वेबसाइट पर है।

सरकारी बकाए और किसानों के आंकड़ो में यह अंतर सवाल खड़ा करता है। जितेंद्र हुड्डा बताते है कि यह सरकार की आंकड़ो की बाजीगरी है जिसमें वो 14 दिन पहले की स्थिति बताते है, जबकि गन्ना की आमद लगातार जारी रहती है। आंकड़ो के खेल से भार कम दिखता है। जितेंद्र बताते हैं कि पहले हर एक मिल के भुगतान की जानकारी मिल जाती थी मगर अब ऐसा नही किया जाता और पूरे मंडल के आंकड़े एक साथ दे दिए जाते हैं।

उत्तर प्रदेश में निजी मिल मालिकों की 94 मिलें हैं, जबकि बाकी मिलें सहकारी और निगम की हैं। कोढ़ में खाज यह है कि सरकार ने अपनी मिलों का भी भुगतान नहीं किया है। गन्ना विभाग की वेबसाइट के मुताबिक इन सरकारी मिलों का भी आधा पैसा अभी बकाया है। जितेंद्र कहते हैं कि जब सरकार अपना पैसा ही अभी तक नही दे पाई है तो निजी मिल मालिक दूसरा पक्ष है।

युवा किसान नेता वाजिद अली प्रमुख बताते हैं कि भुगतान की इसी रकम में किसानों की हर एक उम्मीद है उसके बच्चो की स्कूल की फीस है और बेटी की शादी की चाहत भी वह याद दिलाते हैं कि सरकार ने भुगतान न करने वाले मिल मालिकों को जेल भेजने की बात कही थी, मगर अब वो किसानों की तहरीर पर उनके खिलाफ एफआईआर तक दर्ज नही कर रहे हैं।

मुजफ्फरनगर के गन्ना किसान चौधरी धनवीर बताते हैं कि मिल मालिक इस बार मुनाफे में है इस बार उन्हें 25 रुपए प्रति कुंतल का अतिरिक्त फायदा हुआ है, इसके उलट किसान की पैदावार में 15 फीसद की कमी आई है। इससे किसान लगभग 15 हजार रुपये प्रति एकड़ नुकसान में है।

कैराना की सासंद तब्बुसम हसन ने सरकार से किसानों के बकाया भुगतान की मांग की है। उनका कहना है कि किसानों के भुगतान की जिम्मेदारी सरकार की है, जिसे वो सही तरीके से नहीं निभा रही हैं। वो शौचालय बनवाने में पैसे खर्च कर रही है जबकि अन्नदाता को भूखे रखना चाहती है।

इस पूरे मामले पर शामली के जिलाधिकारी अखिलेश सिंह मजबूरी का रोना रोते हैं। उनका दावा है कि किसानों से बातचीत चल रही है जल्द ही समाधान हो जाएगा।

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