शंभू बार्डर पर फिर बहा किसानों का खून, जमकर चला मिर्च स्प्रे और आंसू गैस के गोले

पुलिस ने सॉफ्ट दिखने के लिए गुरुवाणी लगा रखी थी, लेकिन यह उसका असली चेहरा नहीं था। इसके बाद देखते-देखते आंसू गैस के गोले दागे जाने लगे। एक बार फिर वही नजारा जीवंत होता दिखा जैसे 13 फरवरी को किसानों के दिल्ली कूच के वक्त था।

शंभू बार्डर पर किसानों पर दागे गए आंसू गैस के गोलों के बाद धुंआ-धुंआ होती हरियाणा-पंजाब सीमा
शंभू बार्डर पर किसानों पर दागे गए आंसू गैस के गोलों के बाद धुंआ-धुंआ होती हरियाणा-पंजाब सीमा
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धीरेंद्र अवस्थी

शंभू बार्डर पर एक बार फिर किसान आंदोलन के इतिहास में नई इबारत लिखी गई। हरियाणा-पंजाब की सीमा पर एक बार फिर किसानों का खून बहा। किसानों पर दागे जा रहे आंसू गैस के गोलों से शंभू बार्डर धुंआ-धुआ होता नजर आया। किसानों की आंखों में मिर्च स्प्रे डाला गया। कई किसान दम घुटने व दर्द से तड़पते नजर आए। लहूलुहान हालत में कई किसानों को एंबुलेंस में डालकर ले जाया गया। दुश्मन देश की सेना की मानिंद किसानों के साथ व्यवहार किया गया। हरियाणा की नायब सिंह के नेतृत्व वाली बीजेपी की सरकार ने किसानों को पैदल दिल्ली कूच से रोकने के लिए वह सब कुछ किया, जो कर सकती थी। पैलेट गन का इस्तेमाल किया गया। किसानों ने खाली कारतूस दिखाते हुए ऐेसा दावा किया। यह भी दावा किया कि उन पर एक्सपॉयर्ड आंसू गैस के गोले दागे गए।

शंभू बार्डर पर फिर बहा किसानों का खून, जमकर चला मिर्च स्प्रे और आंसू गैस के गोले

6 दिसंबर 2024 को शंभू बार्डर केंद्र की पीएम नरेंद्र मोदी और राज्य की नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार की वादाखिलाफी गवाह बना। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य और कर्ज से मुक्ति की अपनी मुख्य मांग के साथ दिल्ली जाना चाह रहे किसानों को पैदल जाने देने के अपने वादे से वह मुकर गई। 13 फरवरी से शंभू बार्डर पर बैठे किसान सरकार की इस वादाखिलाफी से हैरान हैं। शंभू बार्डर पर तकरीबन 10 महीने से भारी बैरीकेड्स लगाकर दिल्ली जा रहे किसानों का रास्ता रोके सरकार की मंशा एक बार फिर साफ हो गई है। किसानों ने ऐलान किया था कि 6 दिसंबर से शंभू बार्डर से रोजाना 101 किसानों का जत्था दिल्ली की तरफ पैदल कूच करेगा। हरियाणा सरकार ने किसानों को जाने देने के लिए शंभू बार्डर पर 4 फीट का रोस्ता खोलने की बात कही थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। दिल्ली कूच के लिए किसानों ने 6 दिसंबर को दोपहर 1 बजे का वक्त तय किया था। ये वक्त नजदीक आने के साथ हरियाणा पुलिस,रैपिड एक्शन फोर्स व पैरा मिलिट्री फोर्स की तैयारी देख कर यह साफ हो गया कि हरियाणा सरकार ने किसानों को किसी भी हालत में रोकने का मन बना लिया है।

शंभू बार्डर पर फिर बहा किसानों का खून, जमकर चला मिर्च स्प्रे और आंसू गैस के गोले

पुलिस ने सॉफ्ट दिखने के लिए गुरुवाणी लगा रखी थी, लेकिन यह उसका असली चेहरा नहीं था। इसके बाद देखते-देखते आंसू गैस के गोले दागे जाने लगे। एक बार फिर वही नजारा जीवंत होता दिखा जैसे 13 फरवरी को किसानों के दिल्ली कूच के वक्त था। उस वक्त दिल्ली कूच रोकने के लिए किसानों पर इतिहास में सर्वाधिक आंसू गैस के गोले दागने का रिकॉर्ड पुलिस ने बनाया था। अनवरत आंसू गैस के गोलों की बारिश की गई थी।

शंभू बार्डर पर फिर बहा किसानों का खून, जमकर चला मिर्च स्प्रे और आंसू गैस के गोले

इस बीच किसान कई पुलिस बैरीकेड्स् घसीट कर ले गए और कई घग्घर नदी में फेंक दिए। आंसू गैस के गोलों की मार से किसानों के साथ पत्रकार भी नहीं बच पा रहे थे। मिर्च स्प्रे के असर को कम करने के लिए किसान आंखों में डालने के लिए दवा लेकर आए थे। आंसू गैस के गोलों से बचने की भी उनकी तैयारी थी। नमक, पानी और गीली बोरियां वह लेकर आए थे। कई पत्रकार मिर्च स्प्रे का शिकार हुए, जिसके बाद वह आंखों में जलन से बेहाल दिखे। हैरानी उस वक्त हुई जब पत्रकारों की तरफ आंसू गैस के गोले दागे गए, जिसमें दम घुटने से वह भी परेशान दिखे। किसान बार-बार पुलिस के मोर्चे की तरफ जाने की कोशिश कर रहे थे, जिस पर पुलिस लगातार मिर्च स्प्रे का प्रयोग कर रही थी। इस बीच किसान आंसू गैस के गोलों से लहूलुहान होने लगे। किसी के चेहरे से खून बह रहा था, किसी के पैरों से तो किसी के शरीर के कई हिस्सों से खून बह रहा था। कोई किसान तो पूरी तरह बेसुध हो गया था। घायल किसानों को उनके साथी कंधों पर उठाकर एंबुलेंस तक ले जा रहे थे। स्ट्रेचर का भी इस्तेमाल किया गया। एंबुलेंस में डालकर किसानों को इलाज के लिए ले जाया जा रहा था। फिर भी आंसू गैसे के गोले दागने का सिलसिला रुक नहीं रहा था। ऐसा लग रहा था मानो दुश्मन देश की सेना को रोकने के लिए सरकार ने पूरी ताकत झोंक रखी है। किसान गोलों पर गीली बोरियां डालकर उनका असर कम करने की कोशिश कर रहे थे। एक वक्त शंभू बार्डर धुआं-धुआं होता नजर आया और लोग बचने के लिए भाग रहे थे।

शंभू बार्डर पर फिर बहा किसानों का खून, जमकर चला मिर्च स्प्रे और आंसू गैस के गोले

किसान खाली कारतूस दिखा कर दावा कर रहे थे कि उन पर पैलेट गन का इस्तेमाल किया जा रहा है। किसानों का यह भी दावा था कि एक्सपॉयर्ड आंसू गैस के गोले चलाए जा रहे थे। तकरीबन दो घंटे किसान और सरकार की ताकत के बीच जद्दोजहद चली। तकरीबन दर्जन भर किसान घायल हुए। अंत में किसानों ने अपने जत्थे को वापस बुला लिया। किसानों ने ऐलान किया कि सरकार को 1 दिन का वह वक्त देंगे। उसके बाद 8 दिसंबर यानि रविवार को वह फिर दिल्ली के लिए कूच करेंगे। इससे पहले किसानों ने अपना दर्द बयां किया। किसानों का कहना था कि सरकार कह रही थी कि किसानों को पैदल जाने की अनुमति है। आज वह अपनी बात से पलट रही है। अब वह कह रही है कि पहले दिल्ली जाने की अनुमति दिखाओ। आश्चर्य की बात है कि अनुमति तो भाजपा की सरकार को ही देनी थी और उसी का तंत्र किसानों से परमिशन दिखाने की बात कह रहा था। किसान कह रहे थे कि आज पता चल जाएगा कि वह कितनी सच्ची है। वह कह रहे थे कि सरकार की मंशा इसी से पता चल रही थी कि किसानों को रोकने के लिए ड्रोन की ट्रेनिंग दी गई है। आंसू गैस के गोले छोड़ने की तैयारी है। किसान-मजदूर संघर्ष कमेटी के प्रमुख और किसान आंदोलन के मुख्य चेहरे सरवन सिंह पंधेर का कहना था कि आज पूरी दुनिया में संदेश चला गया है कि भारत जम्हूरी देश नहीं है। भारत कल्याणकारी देश नहीं है। सरकार किसानों के ट्रैक्टर ट्रालियों में हथियार होने की बात करती थी। पूरे देश-दुनिया का मीडिया यहां खड़ा है। मीडिया देख ले कि कितने हथियार उनके पास हैं। उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के किसानों को लेकर हालिया बयान पर पंधेर का कहना था कि यदि उन्हें किसानों का पक्ष ठीक लगता है तो वह सरकार से कहें। ये उनका असली चेहरा नहीं है। ये उनका दोमुंहापन है। पंधेर कहते हैं कि आज देश में तानाशाही के हालात हैं। वह कहते हैं कि किसान अंबाला पहुंच गए तो दंगे हो जाएंगे। अंबाला में स्कूल बंद कर दिए गए। सरकार दहशत का माहौल बना रही है।

शंभू बार्डर पर फिर बहा किसानों का खून, जमकर चला मिर्च स्प्रे और आंसू गैस के गोले

किसानों ने तय किया था कि किसी भी हालत में वह शांति को कायम रखेंगे। वाहे गुरु का जाप करते हुए वह शांतिपूर्ण तरीके से पैदल दिल्ली की तरफ कूच करेंगे। दोपहर के 1 बजते ही शंभू बार्डर पर लगे अपने कैंप से 101 किसानों का जत्था जैसे ही दिल्ली की तरफ बढ़ा पुलिस पूरी तरह हरकत में आ गई। किसान पुलिस बैरीकेड्स की पहली लेयर तोड़ने के साथ कंटीली तारों व लोहे के नुकेले सीमेंटेड अवरोधकों को हटाते हुए धग्धर नदी पर बने पुलिस के पक्के मोर्चे तक पहुंच गए। पुलिस ऐलान कर रही थी कि दिल्ली जाने की अनुमति आपको नहीं दी गई है। आप कानून को हाथ में ले रहे हैं। किसान पुलिस से हाथ जोड़कर आगे जाने देने की अपील कर रहे थे। जवाब में पुलिस कह रही थी कि हमें मजबूर न करें। धारा 163 लगी है। पुलिस फोर्स की इतनी भारी तैनाती थी कि घग्धर नदी के किनारों को भी नहीं छोड़ा गया था। बिल्कुल साफ था कि सरकार का किसी भी हालत में किसानों को रोकने का उन्हें फरमान था। उधर, किसान वाहे गुरु का जाप कर रहे थे। जो किसान पुलिस के पक्के मोर्चे के नजदीक जा रहे थे पुलिस उनकी आंखों पर मिर्च स्प्रे कर रही थी, जिससे कई किसान दर्द से कराहते दिखे। मिर्च स्प्रे के असर से उनकी आंखों से आंसू बहने के साथ जलन से वह तड़प रहे थे। किसान कह रहे थे कि इतनी बसों व ट्रेनों में लोग दिल्ली जा रहे हैं और पुलिस हमसे कह रही है कि अनुमति नहीं है। उत्साह में एक किसान पुलिस के पक्के मोर्चे के ऊपर चढ़ गया, लेकिन पुलिस एक्शन के खौफ में उसे नीचे कूदना पड़ा, जिसमें वह घायल हो गया।

पुलिस ने सॉफ्ट दिखने के लिए गुरुवाणी लगा रखी थी, लेकिन यह उसका असली चेहरा नहीं था। इसके बाद देखते-देखते आंसू गैस के गोले दागे जाने लगे। एक बार फिर वही नजारा जीवंत होता दिखा जैसे 13 फरवरी को किसानों के दिल्ली कूच के वक्त था। उस वक्त दिल्ली कूच रोकने के लिए किसानों पर इतिहास में सर्वाधिक आंसू गैस के गोले दागने का रिकॉर्ड पुलिस ने बनाया था। अनवरत आंसू गैस के गोलों की बारिश की गई थी।


इस बीच किसान कई पुलिस बैरीकेड्स् घसीट कर ले गए और कई घग्घर नदी में फेंक दिए। आंसू गैस के गोलों की मार से किसानों के साथ पत्रकार भी नहीं बच पा रहे थे। मिर्च स्प्रे के असर को कम करने के लिए किसान आंखों में डालने के लिए दवा लेकर आए थे। आंसू गैस के गोलों से बचने की भी उनकी तैयारी थी। नमक, पानी और गीली बोरियां वह लेकर आए थे। कई पत्रकार मिर्च स्प्रे का शिकार हुए, जिसके बाद वह आंखों में जलन से बेहाल दिखे। हैरानी उस वक्त हुई जब पत्रकारों की तरफ आंसू गैस के गोले दागे गए, जिसमें दम घुटने से वह भी परेशान दिखे। किसान बार-बार पुलिस के मोर्चे की तरफ जाने की कोशिश कर रहे थे, जिस पर पुलिस लगातार मिर्च स्प्रे का प्रयोग कर रही थी। इस बीच किसान आंसू गैस के गोलों से लहूलुहान होने लगे। किसी के चेहरे से खून बह रहा था, किसी के पैरों से तो किसी के शरीर के कई हिस्सों से खून बह रहा था। कोई किसान तो पूरी तरह बेसुध हो गया था। घायल किसानों को उनके साथी कंधों पर उठाकर एंबुलेंस तक ले जा रहे थे। स्ट्रेचर का भी इस्तेमाल किया गया। एंबुलेंस में डालकर किसानों को इलाज के लिए ले जाया जा रहा था। फिर भी आंसू गैसे के गोले दागने का सिलसिला रुक नहीं रहा था। ऐसा लग रहा था मानो दुश्मन देश की सेना को रोकने के लिए सरकार ने पूरी ताकत झोंक रखी है। किसान गोलों पर गीली बोरियां डालकर उनका असर कम करने की कोशिश कर रहे थे। एक वक्त शंभू बार्डर धुआं-धुआं होता नजर आया और लोग बचने के लिए भाग रहे थे।

किसान खाली कारतूस दिखा कर दावा कर रहे थे कि उन पर पैलेट गन का इस्तेमाल किया जा रहा है। किसानों का यह भी दावा था कि एक्सपॉयर्ड आंसू गैस के गोले चलाए जा रहे थे। तकरीबन दो घंटे किसान और सरकार की ताकत के बीच जद्दोजहद चली। तकरीबन दर्जन भर किसान घायल हुए। अंत में किसानों ने अपने जत्थे को वापस बुला लिया। किसानों ने ऐलान किया कि सरकार को 1 दिन का वह वक्त देंगे। उसके बाद 8 दिसंबर यानि रविवार को वह फिर दिल्ली के लिए कूच करेंगे। इससे पहले किसानों ने अपना दर्द बयां किया। किसानों का कहना था कि सरकार कह रही थी कि किसानों को पैदल जाने की अनुमति है। आज वह अपनी बात से पलट रही है। अब वह कह रही है कि पहले दिल्ली जाने की अनुमति दिखाओ। आश्चर्य की बात है कि अनुमति तो भाजपा की सरकार को ही देनी थी और उसी का तंत्र किसानों से परमिशन दिखाने की बात कह रहा था। किसान कह रहे थे कि आज पता चल जाएगा कि वह कितनी सच्ची है। वह कह रहे थे कि सरकार की मंशा इसी से पता चल रही थी कि किसानों को रोकने के लिए ड्रोन की ट्रेनिंग दी गई है। आंसू गैस के गोले छोड़ने की तैयारी है। किसान-मजदूर संघर्ष कमेटी के प्रमुख और किसान आंदोलन के मुख्य चेहरे सरवन सिंह पंधेर का कहना था कि आज पूरी दुनिया में संदेश चला गया है कि भारत जम्हूरी देश नहीं है। भारत कल्याणकारी देश नहीं है। सरकार किसानों के ट्रैक्टर ट्रालियों में हथियार होने की बात करती थी। पूरे देश-दुनिया का मीडिया यहां खड़ा है। मीडिया देख ले कि कितने हथियार उनके पास हैं। उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के किसानों को लेकर हालिया बयान पर पंधेर का कहना था कि यदि उन्हें किसानों का पक्ष ठीक लगता है तो वह सरकार से कहें। ये उनका असली चेहरा नहीं है। ये उनका दोमुंहापन है। पंधेर कहते हैं कि आज देश में तानाशाही के हालात हैं। वह कहते हैं कि किसान अंबाला पहुंच गए तो दंगे हो जाएंगे। अंबाला में स्कूल बंद कर दिए गए। सरकार दहशत का माहौल बना रही है।


एमएसपी और कर्ज खत्म करने के वादे थे। पंधेर कहते हैं कि कारपोरेट घराने सरकार की बांह मरोड़ रहे हैं। उनकी नजर किसानों की जमीनों पर है। अडानी के हिमाचल प्रदेश जाने के बाद सेब के किसान वहां परेशान हैं। पंधेर कहते हैं कि आज पूरी दुनिया देखेगी कि किसानों के साथ सरकार क्या कर रही है। सरकार ने खनौरी और डबवाली बार्डर पर भी फोर्स लगा दी है। वहां फोर्स का क्या काम है। जत्थे सिर्फ शंभू बार्डर से ही जाएंगे। पंधेर कहते हैं कि समय चाहे जितना लगे हम यह लड़ाई जीतेंगे। खनौरी बार्डर पर 11 दिन से मरण वृत चल रहा है। सरकार मूकदर्शक बनकर देख रही है। पंधेर ने पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार को भी दहशत फैलाने पर चेतावनी दी। सिंघू बार्डर पर चले किसान आंदोलन के चेहरे रहे बीकेयू दोआबा के पंजाब प्रधान मनजीत सिंह राय का कहना था कि आज गुरु तेग बहादुर जी का शहीदी पर्व है। कोर्ट और सरकार ने किसानों के पैदल जाने को मौलिक अधिकार बताया था। आज सरकार अनुमति लेने की बात कर रही है। गैर संवैधानिक तरीके से किसानों को रोका जा रहा है। नेशनल हाईवे देश की प्रॉपर्टी है। सरकार तानाशाही चला रही है। धर्म औैर जाति के नाम पर सत्ता के लिए लड़ाया जा रहा है। वादे से पीछे हटकर आज सरकार पूरी दुनिया के सामने बेपर्दा हा गई है। सरकार हमसे डर रही है कि हम दिल्ली पहुंच गए तो बिना मांग पूरी हुए वापस नहीं आएंगे। सरकार की नीयत में खोट है। देश का किसान-मजदूर मर जाए, लेकिन ये सिर्फ चंद घरानों के लिए काम कर रहे हैं। बिहार से आए किसान यूनियन के नेता परमजीत सिंह का कहना था कि यह लड़ाई जितनी लंबी जाएगी उतनी ही सफलता हमें मिलेगी। हमारी मुख्य लड़ाई फसलों की सही कीमत मिलना है। किसान नेता गुरिंदर सिंह भंगू का कहना था कि ये लड़ाई पूरे भारत की है। हमारी लड़ाई न पंजाब सरकार से है और न हरियाणा सरकार से। हमारी लड़ाई केंद्र की सरकार से है। सरकार को हमारे ट्रैक्टर ट्रालियों से दिक्कत थी। किसानों को बदनाम करने के लिए इस सरकार ने कोई कमी नहीं छोड़ी।

किसान नेता सुखदेव सिंह का कहना था कि सरकार ने किसानों से किया कोई वादा पूरा नहीं किया। सरकार की वादाखिलाफी पर किसान सिर पर कफन बांध कर अब आगे बढ़ेंगे। किसान नेता सरदार मनजीत सिंह का कहना था कि देश की फसल, नसल और किसान को बचाने के लिए यह लड़ाई लड़ रहे हैं। दिल्ली की सरकार के कहने पर ही हरियाणा की भाजपा सरकार ने बेरिकेडिंग की है। मनजीत सिंह सवाल खड़ा करते हुए कहते हैं कि किसान दिल्ली जाने की परमिशन के लिए आवेदन करते तो क्या सरकार परमिशन दे देती। हम दिल्ली जाना चाहते हैं कोई लाहौर नहीं जा रहे हैं। वह ये सवाल करते हैं कि तिरंगा में साथ में क्यों रखा है। हम तिरंगे की आन-बान-शान के लिए दिल्ली जाना चाहते हैं। किसानों के संकल्प और हौंसले से एक बात साफ हो गई है कि इतने लंबे संघर्ष के बाद भी अपना हक लेने के लिए उनका जज्बा आसमान पर है। शंभू बार्डर पर आए हरियाणा के किसान भी पंजाब के किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाने के लिए तैयार खड़े हैं।                         

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