फडणवीस सरकार में हुए ‘कड़कनाथ’ घोटाले के बाद किसान कर रहे खुदकुशी, पिछली सरकार में रहे एक मंत्री के बेटे पर आरोप

महाराष्ट्र के कोल्हापुर में करोड़ों रुपए के कड़कनाथ मुर्गीपालन घोटाले में पैसा गंवाने के बाद 29 साल के किसान सरजेराव जमदाड़े ने आत्महत्या कर ली। इस घोटााले का आरोप फडणवीस सरकार में रहे कृषि मंत्री के बेटे पर लगा है, जो किसानों को झांसा देकर उन्हें शिकार बनाया है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवीन कुमार

महाराष्ट्र के किसान सरकारी लापरवाही और प्राकृतिक आपदा से त्रस्त होकर आत्महत्या तो कर ही रहे हैं। अब कड़कनाथ की वजह से भी किसान आत्महत्या की घटना सामने आने लगी है। पहली घटना 18 जनवरी को कोल्हापुर जिले में उजागर हुई। जिले के मसूद माले गांव के 29 साल के युवा किसान प्रमोद सरजेराव जमदाड़े ने आत्महत्या कर ली जो कड़कनाथ मुर्गी पालन घोटाले का शिकार था।

कड़कनाथ मुर्गी पालन योजना के तहत किसानों को लाखों रूपए कमाने का झांसा देकर एक कंपनी ने करोडो़ं रूपये का कथित तौर पर घोटाला किया है। इस कंपनी का नाम महारायत एग्रो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड है। जिसके निदेशक मंडल में सागर खोत भी हैं। सागर खोत के पिता सदाभाऊ खोत पिछली बीजेपी सरकार में कृषि राज्यमंत्री थे। इस वजह से सागर के खिलाफ पुलिस मामला दर्ज नहीं कर रही थी। इसके बाद में पाटण पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ मामला तो दर्ज किया गया। लेकिन पुलिस ने दबाव में उन्हें आरोपी के बजाए गवाह बना दिया। अब दिग्विजय पाटील के नेतृत्व में पीड़ित किसानों ने इसकी शिकायत वर्तमान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से की है और उन्हें न्याय दिलाने का आश्वासन मिला है।


कड़कनाथ घोटाले का मामला बीजेपीनीत देवेंद्र फडणवीस सरकार के राज में बीते साल ही उजागर हुआ था। जब पूर्व सीएम फडणवीस ने पीड़ित किसानों की सुध नहीं ली तो विधानसभा चुनाव से पहले फडणवीस की महाजनादेश यात्रा के दौरान किसान नेता राजू शेट्टी की पार्टी स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के कार्यकर्ताओं और पीड़ित किसानों ने कड़कनाथ फेंककर विरोध जताया था। इसके बावजूद इन किसानों के दर्द को पूर्व सीएम फडणवीस दूर नहीं कर पाए।

राजू शेट्टी ने खुद मुंबई में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के कार्यालय में जाकर कड़कनाथ घोटाले की जांच करने की मांग की थी। लेकिन उनकी मांग पर ईडी पूरी तरह से सुस्त दिखाई दी। राजू शेट्टी का कहना है कि यह 550 करोड़ रूपये से ज्यादा का घोटाला है और इसमें तत्कालीन राज्यमंत्री और एक खास पार्टी के नेता शामिल हैं। राज्य के 10 हजार से ज्यादा किसान इस घोटाले के शिकार हुए हैं।


इस घोटाले में ज्यादातर पश्चिम महाराष्ट्र के किसान शिकार हुए हैं। महारयत एग्रो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और उसकी 6 उप कंपनियों ने सांगली, सतारा, कोल्हापुर और पुणे सहित संपूर्ण महाराष्ट्र में कड़कनाथ से ज्यादा कमाई का झांसा देकर किसानों से करोड़ों रूपये निवेश कराए। लेकिन वादा करके कंपनी ने न तो किसी किसान को कड़कनाथ के चूजे दिए और न ही उनसे कड़कनाथ खरीदे। इससे किसानों के निवेश किए ढ़ाई-ढ़ाई और पांच-पांच लाख रूपए डूब गए। इस बीच कंपनी ने अपना नाम भी बदल लिया। सांगली में 2017 में कंपनी का मुख्यालय खुला था और कंपनी के निदेशक मंडल में पूर्व कृषि राज्यमंत्री खोत के बेटे सागर के होने से पहले पुलिस ने शिकायत लेने से इनकार किया। लेकिन जब पीड़ित किसान एकजुट हुए तो पाटण पुलिस ने सागर समेत पांच आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया और फाइल को दबा कर रखा। राज्य के कई पुलिस स्टेशनों में मामले दर्ज हुए हैं और पुलिस ने सागर के अलावा कंपनी के चार अधिकारियों को गिरफ्तार भी किया है।

कड़कनाथ मुर्गी की यह प्रजाति मध्य भारत के कुछ हिस्सों में खासतौर पर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के साथ महाराष्ट्र में भी खासी लोकप्रिय है। इसे इसके पोषण और चिकित्सकीय मूल्यों की वजह से जाना जाता है। इस प्रजाति का काले रंग का एक किलोग्राम चिकन 900 से 1200 रुपये तक का बिकता है। इसके अंडे भी 20 से 60 रूपये तक में बिकते हैं। किसानों के फंसने की वजह भी यही है।


कड़कनाथ मुर्गी पालन व्यवसाय में निवेश के लिए किसानों को यह लालच दिया गया था कि निवेशक को चूजे दिए जाएंगे, उसे बड़े करने का तरीका सिखाया जाएगा और बड़े होने से उनसे महंगे दामों पर कड़कनाथ खरीद लिया जाएगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। फायदे का व्यवसाय देखकर किसानों ने सूद पर पैसे लेकर भी निवेश किए। आत्महत्या करने वाले प्रमोद ने भी साहूकार से दो लाख रूपये सूद पर लेकर कंपनी को पूरी रकम के साथ निवेश किया था। यह योजना बंद होने के बाद प्रमोद को लाखों रूपये का नुकसान हुआ और उसे अपनी दूकान भी बेचनी पड़ी। उसने पुलिस में कंपनी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला भी दर्ज कराया था। अभी तक कंपनी के खिलाफ सांगली, सतारा, पुणे, कोल्हापुर, पालघर, नासिक और औरंगाबाद में कई मामले दर्ज हो चुके हैं। लेकिन पुलिस अभी तक इस मामले में घोटाले की रकम का पता नहीं लगा पाई है।

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