किसान आंदोलनों के गढ़ में किसान आत्महत्या पर मजबूर, मतलब बहुत बड़े संकट में है देश का अन्नदाता

सिसौली, उत्तर प्रदेश सरकार में गन्ना मंत्री सुरेश राणा के विधानसभा क्षेत्र के लगभग पास में है। ऐसे में किसानों के हक के लिए संघर्ष करने वाले चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के ही गांव में किसान की आत्महत्या केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े करती है।

फोटोः आस मोहम्मद कैफ
फोटोः आस मोहम्मद कैफ
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आस मोहम्मद कैफ

उत्त प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के फुगाना थाना क्षेत्र में आने वाला कस्बा सिसौली किसानों की राजधानी कहलाता है। किसानों के हितों के लिए लड़ने वाले संगठन भारतीय किसान यूनियन का मुख्यालय सिसौली में ही है। उत्तर प्रदेश में किसानों के सबसे बड़े संगठन के इस मुख्यालय में किसानों के लिए संघर्षों में मर चुके लोगों की तस्वीरें लगी हैं, जिनपर उन्हें शहीद लिखा हुआ है।

किसानों की राजधानी सिसौली अनगिनत बार किसानों की ताकत की नुमाइश करने की जमीन रही है। दिवंगत किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत इसी सिसौली के रहने वाले हैं। उनके पुत्र और भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत यहीं रहते हैं। सिसौली का उत्तर प्रदेश के एक मुख्यमंत्री को करवे से पानी पिलाने और पूरी सरकारी ताकत लगाकर भी किसान नेता चौधरी टिकैत की गिरफ्तारी नहीं होने देने का इतिहास रहा है।

इसी सिसौली के आर्थिक संकट से जूझ रहे एक किसान ओमपाल ने गन्ने की पर्ची न मिलने पर आत्महत्या कर ली। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के बीच इस एक घटना ने कोलाहल फैला दिया है। किसान सवाल कर रहे हैं कि अगर यह सिसौली में हो सकता है तो किसान सचमुच बहुत बड़े संकट में हैं। सिसौली तमाम किसान आंदोलनों का गढ़ रही है।

बता दें 4 जून को यहां के गन्ना किसान ओमपाल ने गन्ने की खरीद नहीं होने से परेशान होकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। किसान ओमपाल पर दो बेटियों और एक बेटे के भरण पोषण की जिम्मेदारी थी। उसका गन्ना खेत मे खड़ा सुख रहा था, जिससे वो तनाव में आ गया। और इसी तनाव में उसने खुद की जान ले ली।

किसान आंदोलनों के गढ़ में किसान  आत्महत्या पर मजबूर, मतलब बहुत बड़े संकट में है देश का अन्नदाता

खास बात ये है कि सिसौली, उत्तर प्रदेश सरकार में गन्ना मंत्री सुरेश राणा के विधानसभा क्षेत्र के लगभग पास में है। ऐसे में किसानों के हक के लिए संघर्ष करने वाले चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के ही गांव में किसान की आत्महत्या केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों पर कई सवाल खड़े करती है। हालांकि, किसान की मौत के बाद मौके पर पहुंचे मंत्री संजीव बालियान और नेताओं के प्रयासों से ओमपाल के परिजनों को फिलहाल 5 लाख रुपये की सहायता तो मिल गई, मगर इसी तरह की समस्याओं से जूझ रहे दूसरे किसानों को रास्ता नहीं सूझ रहा है।

सिसौली की नई बस्ती, पट्टी चौधरान के रहने वाले ओमपाल 55 साल के थे। वो अपने तीनों भाइयों सहित करीब 35 बीघा जमीन पर खेती करते थे। बृहस्पतिवार को दोपहर वो लगभग तीन बजे खेत पर गए, मगर वापस नहीं आए। बाद में उनका शव श्मशान घाट मार्ग स्थित एक खेत में पेड़ पर लटका मिला।

किसान नेता अजीत राठी ने बताया कि ओमपाल की ढाई बीघा जमीन पर गन्ना खड़ा था। खतौली शुगर मिल ने पेराई बंद करने की चेतावनी जारी की है और गांव में लगे तौल कांटे भी उखाड़ लिए गए हैं और कोल्हू संचालकों ने भी गन्ना खरीदने से मना कर दिया। इससे ओमपाल तनाव में आ गया और उसने आत्महत्या कर ली। यही कारण है कि मृतक ओमपाल के भाई जयवीर की ओर से खतौली शुगर मिल के वाइस प्रेजीडेंट डॉ अशोक कुमार और जीएम कुलदीप राठी के खिलाफ तहरीर दी गई है।

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने परिजनों को हर संभव मदद देने की बात कही है। उन्होंने कहा है कि गरीब किसान ने अपनी जान दे दी है, बड़े किसान भी बुरी हालत में हैं। उन्होंने कहा, “इससे बुरी हालत किसानों की और क्या हो सकती है! इसके लिए सरकार जिम्मेदार है। वाजिब दाम न मिलने, पेमेंट न होने, बिजली के बिल ज्यादा आने से किसान आत्महत्या कर रहा है। सरकार को चाहिए कि बिजली के बिल माफ हों, गरीब किसानों को फ्री में बिजली मिले। आर्थिक रुप से कमजोर किसानों को चिह्नित कर सरकार उनकी हर संभव मदद करे।”

इस घटना पर समाजवादी पार्टी के नेता चंदन चौहान ने कहा है कि उस किसान की गन्ने की फसल खेत में सूख रही थी और गन्ना कोई खरीद नहीं रहा था। वो बेचारा लगातार तनाव में था। मिल पर्ची नहीं मिल रही थी। हजारों करोड़ रुपये दबाकर चीनी मिलें बंद हो चुकी हैं। ज़मीन पर किसान की हालत बेहद ख़राब है। उसके गन्ने का भुगतान नहीं हो रहा है। फूलों को खेती बर्बाद हो चुकी है। तरबूज और खरबूजों की खेती करने वाले किसान इस बार तबाह हो गए हैं। गन्ना खेत में खड़ा सुख रहा है। किसानों की हालत आप इसी से समझ सकते हैं। वो बुरी तरह मानसिक तनाव में हैं।

वहीं जिला प्रशासन इन आरोपों को सिरे से नकार रहा है। मुजफ्फरनगर की डीएम सेल्वाकुमारी की ओर से जारी एक वीडियो बयान के अनुसार किसान का बेसिक कोटा 143 कुंतल और एडिशनल 13.4 कुंतल मार्च में जारी किया जा चुका है। कुल 156.4 कुंतल इनका बेसिक कोटा जारी हुआ है। इसमें से किसान ने 149 कुंतल गन्ने की ही आपूर्ति की है। 9 कुंतल की पर्ची किसान को 7 अप्रैल को भी जारी की गई थी।किसान ने अपने कोटे से 20 कुंतल गन्ना की आपूर्ति भी नहीं की है। इस आत्महत्या का कारण पारिवारिक है, जिसकी जांच हो रही है।

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Published: 06 Jun 2020, 8:14 PM