नए कृषि अध्यादेशों के खिलाफ पूरे पंजाब में आंदोलन, मोदी सरकार पर कॉरपोरेट को लूट की छूट देने का आरोप
केंद्र के कृषि अध्यादेशों के खिलाफ पंजाब में हो रहे किसान आंदोलनों में डीजल-पेट्रोल की बेतहाशा बढ़ती कीमतें भी अहम मुद्दा हैं। 22 और 23 जून को सूबे में 70 जगह पर किसानों ने इसके खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया। सभी जगह सामाजिक दूरी का बखूबी ध्यान रखा जा रहा है।
केंद्र सरकार के नए तीन खेती अध्यादेशों-2020 के खिलाफ पूरे पंजाब में किसान आंदोलन शुरु हो गए हैं। प्रमुख किसान संगठनों के साथ ही सूबे में चर्चित बैंस विधायक बंधुओं की अगुवाई वाली लोक इंसाफ पार्टी ने भी नरेंद्र मोदी सरकार की नई कृषि नीतियों के विरुद्ध बाकायदा जन आंदोलन का आगाज कर दिया है।
लोक इंसाफ पार्टी ने गुरु की नगरी अमृतसर सेे आंदोलन की शुरुआत की। पार्टी कार्यकर्ता अमृतसर से चंडीगढ़ तक साइकिल रोष मार्च निकाल रहेे हैं। प्रधान विधायक सिमरजीत सिंह बैंस और सरपरस्त विधायक बलविंदर सिंह बैंस ने स्वर्ण मंदिर साहिब और जलियांवाला बाग में नतमस्तक होकर आंदोलन का बिगुल बजाया। दोनों विधायक बंधुुु साइकिल रोष यात्रा मेंं साइकिल चलाकर पांच दिन में चंडीगढ़ पहुंचेंगे।
समरजीत सिंह बैंस के अनुसार, "चंडीगढ़ जाकर हम मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मांग करेंगे कि यथाशिघ्र विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर नरेंद्र मोदी सरकार के कृषि अध्यादेश को रद्द किया जाए। केंद्र के कृषि अध्यादेश देश के संघीय ढांचे पर सीधा हमला हैं। पंजाब कृषि प्रधान राज्य है। कृषि अध्यादेश का सबसे ज्यादा नागवार असर पंजाब पर ही पड़ेगा।"
इस बीच मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसी मुद्दे पर 24 जून दोपहर बाद सर्वदलीय बैठक बुलाई है। संकेत हैं कि इस बैठक में ऐसे अहम प्रस्ताव पास होंगे जो यकीनन केंद्र सरकार के लिए बड़ी परेशानी का सबब बनेंगे। सबकी निगाह शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी पर लगी हुई है कि सर्वदलीय बैठक में दोनों पार्टियों का रुख क्या होगा। फिलहाल दोनों ने बैठक में शामिल होने की पुष्टि की है।
वहीं सूबे में किसानों के बड़े संगठन क्रांतिकारी किसान यूनियन की अगुवाई में केंद्र के नए कृषि अध्यादेश के खिलाफ 22 से 28 जून तक मनाए जा रहे 'केंद्र विरोधी सप्ताह' के तहत आज गांवों, कस्बों और शहरों में मोदी सरकार की अर्थियां फूंक कर आंदोलन की शुरुआत की गई। क्रांतिकारी किसान यूनियन ने पटियाला में बड़ी रैली की। ठीक उसी वक्त अन्य गांवों, कस्बों और शहरों में भी आंदोलन विधिवत तौर पर शुरु हो गया। पंजाब में इन दिनों धान की रोपाई जोरों पर है और कोरोना वायरस का खौफ भी, लेकिन बावजूद इसके बड़े पैमाने पर किसान केंद्रीय कृषि अध्यादेश विरोधी आंदोलन में शिरकत कर रहे हैं।
यूनियन के प्रधान डॉक्टर दर्शन पाल के मुताबिक आंदोलन को धान रोपाई, गर्मी और कोरोना के बावजूद जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। वह कहते हैं, "कृषि अध्यादेश-2020 सरासर किसान विरोधी है। पंजाब के किसान इस मुद्दे पर जागृत हैं और इसलिए इसकी पुरजोर मुखालफत कर रहे हैं। सरकार फसलों के दाम मंडियों से बाहर कर के विदेशी कंपनियों को पैदावर की लूट का खुला मौका दे रही है। डीजल-पेट्रोल की निरंतर बढ़ती कीमतें भी हमारे आंदोलन का एक बड़ा पहलू हैं।" यूनियन के मुताबिक यह आंदोलन पंजाब के तमाम शहरों, गांवों और कस्बों तक फैल रहा है।
उधर भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) नेे भी लुधियाना के समराला में विशाल मोटरसाइकिल रोष रैली निकाल कर केंद्र के कृषि अध्यादेशों का जोरदार विरोध किया। यूनियन के प्रधान बलबीर सिंह की अगुवााई में हुई रोष रैली में किसानों के अलावा बड़ी तादाद में आढ़तियों, मुनिमों और मंडी मजदूरों ने भी शिरकत की। बलबीर सिंह कहते हैं, "पंजाब बड़े किसान आंदोलन की ओर बढ़ रहा है। पंजाब-हरियाणा के पास किसानों की फसलों की खरीद-फरोख्त के लिए दुनिया का सबसे बेहतरीन ढांचा मौजूद है, लेकिन मोदी सरकार ने बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा देनेे के लिए ऐसा कृषि अध्यादेश लागू किया है कि मंडीकरण व्यवस्था ही खत्म हो जाएगी। रोज-रोज बढ़ रहे डीजल-पेट्रोल के दाम भी किसानों की दुश्वारियों में इजाफा कर रहे हैं।"
गौरतलब है कि केंद्र के कृषि ऑर्डिनेंस के खिलाफ हो रहे किसान आंदोलनों में डीजल-पेट्रोल की बेतहाशा बढ़ती कीमतें भी अहम मुद्दा हैं। जानकारी के मुताबिक 22 और 23 जून को सूबे में अलहदा तौर पर 70 जगह किसानों ने इसके खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया। आंदोलन में सभी जगह सामाजिक दूरी का बखूबी ध्यान रखा जा रहा है।
इस बीच पंजाब के सम्मानित अर्थशास्त्री डॉक्टर सुच्चा सिंह गिल ने भी केंद्र सरकार के नए कृषि ऑर्डिनेंस को किसानी के लिए तबाहकुन खतरा बताया है। वह कहते हैं कि मंडीकरण ढांचे में किसी किस्म की छेड़छाड़ पंजाब के किसान बर्दाश्त नहीं करेंगे और बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरु होगा। पंजाब लोक मोर्चा के संयोजक अमोलक सिंह कहते हैं कि सोची-समझी साजिश के तहत कृषि ऑर्डिनेंस लाया गया है। पहलेे इसके लिए लोकसभा और राज्यसभा में बहस करवानी चाहिए थी। सरकार बारुद से खेेल रही है। पंजाब मेंं एक बड़े किसान आंदोलन की नींव इस बार खुद मोदी सरकार ने रखी है।
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