आंदोलन के 100वें दिन केएमपी एक्सप्रेसवे बंद करेंगे किसान, संयुक्त मोर्चा के नेता चुनावी राज्यों का करेंगे दौरा

संयुक्त किसान मोर्चा ने 8 मार्च को महिला किसान दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया है। साथ ही केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर आगामी 15 मार्च को ‘निजीकरण विरोधी दिवस’ का समर्थन करते हुए सयुंक्त किसान मोर्चा द्वारा देश भर में विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।

फोटोः IANS
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नवजीवन डेस्क

केंद्र के विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए किसानों को मंगलवार को 96वें दिन पूरे हुए, इस दौरान सिंघु बॉर्डर पर आज संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बैठक आयोजित की। इस बैठक में आंदोलन के 100 दिन पूरे होने पर किसान संगठनों ने आगामी दिनों की रणनीति सबके सामने रखी।

किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने बताया कि आगामी 6 मार्च को, दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन के 100 दिन हो जाएंगे। उस दिन दिल्ली और दिल्ली के बॉर्डर के विभिन्न विरोध स्थलों को जोड़ने वाले केएमपी एक्सप्रेसवे पर 5 घंटे की नाकाबंदी होगी। यह सुबह 11 से शाम 4 बजे के बीच जाम किया जाएगा और टोल प्लाजा को टोल फीस जमा करने से भी मुक्त किया जाएगा।" साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा ने शेष भारत में आंदोलन के समर्थन और सरकार के विरोध में घरों और कार्यालयों पर काले झंडे लहराने की बात कही। वहीं प्रदर्शनकारियों से उस दिन काली पट्टी बांधने की भी आह्वान किया गया है।

आगामी समय में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर भी संयुक्त किसान मोर्चा ने रणनीति बनाई है, जिसके तहत जिन राज्यों में अभी चुनाव होने वाले हैं, वहां भी जनता से अपील की जाएगी। संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि भी इस उद्देश्य के लिए इन राज्यों का दौरा करेंगे और विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेंगे।

इसके अलावा संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया कि 8 मार्च को महिला किसान दिवस के रूप में मनाया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर आगामी 15 मार्च को 'निजीकरण विरोधी दिवस' का समर्थन करते हुए सयुंक्त किसान मोर्चा द्वारा विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। मोर्चा इस दिन को 'कॉरपोरेट विरोधी' दिवस के रूप में देखते हुए ट्रेड यूनियनों के आह्वान का समर्थन करेगा और एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

किसान संगठनों के नेताओं ने बताया कि, "मोर्चा पूरे भारत में एक 'एमएसपी दिलाओ अभियान' शुरू करेगा। अभियान के तहत, विभिन्न बाजारों में किसानों की फसलों की कीमत की वास्तविकता को दिखाया जाएगा, जो सरकार के एमएसपी पर दावों और वादों को उजागर करेगा। यह अभियान दक्षिण भारतीय राज्यों कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में शुरू किया जाएगा। पूरे देश के किसान भी इस अभियान में शामिल किए जाएंगे।"

दरअसल मोदी सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। ये लोग किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 पर किसान सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता कानून के खिलाफ सरकार का विरोध कर रहे हैं।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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