किसान आज मनाएंगे खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस, देश भर में राज्यपालों के जरिये राष्ट्रपति को भेजेंगे ज्ञापन
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि इस अवसर पर राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सभी मुद्दों को उठाता है और उनसे हमारे संवैधानिक मूल्यों और सिद्धांतों तथा हमारे लोकतंत्र की रक्षा करने के अलावा इसमें हस्तक्षेप करने और किसानों की मांगों को पूरा करने की अपील करता है।
केंद्र के विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों के आंदोलन को आज सात महीने पूरे होने पर किसानों ने आज पूरे भारत मे 'खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ 'दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया है। इस अवसर पर हजारों किसान और अन्य नागरिक राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के राज्यपालों और उपराज्यपालों के माध्यम से अपना ज्ञापन भारत के राष्ट्रपति को भेजेंगे।
दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे किसानों ने दिल्ली के उपराज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के लिए समय की मांग की है, लेकिन अभी तक किसानों को समय नहीं दिया गया है। वहीं किसानों ने ये तय किया है कि यदि उपराज्यपाल से मिलने जाने के दौरान पुलिस द्वारा दुर्व्यवहार किया गया तो बॉर्डर पर बैठे अन्य किसान दिल्ली की ओर कुच करेंगे। भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र ने कहा कि ढांसा से कुछ किसान दिल्ली के उपराज्यपाल से मिलने जाएंगे। यदि उनके प्रदर्शन के दौरान किसी तरह का दुर्व्यवहार किया गया तो बॉर्डर पर बैठे किसान दिल्ली की ओर कूच करेंगे।
दिल्ली बॉर्डर पर बैठे किसानों के ऐलान को देखते हुए दिल्ली मेट्रो रेल कॉपोरेशन की तरफ से एक दिन पहले ही शनिवार को दिल्ली मेट्रो के तीन स्टेशन- विश्वविद्यालय, सिविल लाइन, विधान सभा मेट्रो स्टेशन को सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक बंद करने का ऐलान कर दिया है। मेट्रो ने इस फैसले के पीछे दिल्ली पुलिस द्वारा सुरक्षा कारणों को लेकर मिली सूचना को बताया है।
इससे पहले शुक्रवार को गाजीपुर बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के साथ किसान नेताओं की बैठक हुई, जिसमें किसानो ने मांग रखी कि दिल्ली के उपराज्यपाल से मिलने का समय आप हमें लेकर दें। वहीं, दिल्ली पुलिस की तरफ से ये साफ कर दिया गया कि ऐसा मुमकिन नहीं है। इसके बाद दिल्ली पुलिस और किसानों के बीच सहमति नहीं बनी और बैठक को खत्म कर दिया गया।
वहीं संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक शनिवार को 20वीं सदी के भारत के प्रतिष्ठित किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती की पुण्यतिथि भी है, जिन्होंने जमींदारी व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। मोर्चा ने एक बयान साझा कर कहा कि, भारत में आज का अधिनायकवादी शासन उन काले दिनों की याद दिलाता है जब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, असहमति का अधिकार और विरोध का अधिकार सबों का गला घोंट दिया गया था। यह एक ऐसा समय है जो अघोषित आपातकाल जैसा दिखता है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि इस अवसर पर राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन इन सभी मुद्दों को उठाता है और उनसे हमारे संवैधानिक मूल्यों और सिद्धांतों तथा हमारे लोकतंत्र की रक्षा करने के अलावा इसमें हस्तक्षेप करने और किसानों की मांगों को पूरा करने की अपील करता है।
किसान मोर्चा के मुताबिक, आज जब भारत भर के हजारों किसान विभिन्न राज्यों में राजभवनों तक रैलियों में मार्च करने के लिए तैयार हो रहे हैं, एकजुटता की अभिव्यक्ति के रूप में, भारतीय प्रवासियों ने भी रैलियां निकालने का फैसला किया है। ऐसी ही एक रैली की योजना अमेरिका के मैसाचुसेट्स में बनाई जा रही है।
इसके अलावा आंदोलन को मजबूत करने के लिए अलग-अलग जगहों पर किसानों की अधिक लामबंदी हो रही है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और सिसौली से हजारों किसान बीकेयू अध्यक्ष नरेश टिकैत के नेतृत्व में गाजीपुर गेट पहुंचे हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में लाभकारी गारंटीकृत मूल्यों के लिए गेहूं किसानों, गन्ना किसानों, आम किसानों, सेब किसानों, हरे चने के किसानों, धान किसानों, ज्वार किसानों और अन्य लोगों का विरोध जारी है।
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