प्रवासी मजदूरों का यही हाल रहा तो हो सकते हैं दंगे, पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने किया आगाह 

देश के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद् प्रणव सेन ने आशंका जताई है कि लॉकडाउन से घबराकर पलायन कर रहे प्रवासी मजदूरों की समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया तो स्थिति बहुत भयावह हो सकती है। उन्होंने कहा कि यही हालात रहे तो खाने के दंगे हो सकते हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए देशव्यापी लॉकडाउन से देश के कई हिस्सों में हाहाकार मचा हुआ है। खासकर ऐसे राज्यों और शहरों में जहां बड़े पैमाने पर यूपी-बिहार जैसे दूसरे राज्यों से लाखों मजदूर काम की तलाश में आते हैं। राजधानी दिल्ली से लगने वाली लगभग सभी सीमाओं पर हजारों लोगों की भीड़ जमा है, जो किसी तरह अपने घर लौटना चाहती है, लेकिन उन्हें किसी तरह रोका गया है।

लेकिन इसी बीच हजारों-हजार लोग ऐसे भी हैं, जो कई सौ किलोमीटर दूर अपने राज्यों के लिए पैदल ही निकल। ऐसी सैकडो़ं तस्वीर सोशल मीडिया से लेकर तमाम जगहों पर देखी जा सकती हैं, जिनमें सिर पर अपनी 'गृहस्थी' लादे हजारों लोगों की भीड़ पैदल ही बढ़ती जा रही है। इनमें पुरुषों के साथ महिलाएं और बच्चे भी हैं।

इनमें से ज्यादातर प्रवासी मजदूर हैं, जो यूपी, बिहार, झारखंड और ओडिसा जैसे राज्यों से दो वक्त की रोटी कमाने बड़े शहरों में आए थे। लेकिन कोरोना से मौत के भय ने उनके सामने अपनों के बीच जिंदा रहने का सवाल खड़ा कर दिया है। ऐसे में हजारों भूखे-प्यासे मजदूर लोग पैदल ही घर के लिुए निकल पड़े हैं। दिल्ली से बिहार के रास्ते में जगह-जगह हजारों की तादाद में ऐसे लोग भूखे-प्यासे लोग नजर आ सकते हैं।

लेकिन इस बीच अब आशंका जताई जा रही है कि अगर इनकी समस्या पर ध्यान नहीं गया तो स्थिति बहुत ही भयावह हो सकती है। देश के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद् प्रणव सेन ने ऐसी ही चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर इन प्रवासी मजदूरों को खाना नहीं दिया गया तो देश में 'खाने के लिए दंगे' होने की पूरी आशंका है। उन्होंने एक इंटरव्यू में ये भी कहा कि अगर कोरोना गांवों तक पहुंच गया तो इसे रोकना असंभव हो जाएगा।

पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद् प्रणव सेन ने साफ कहा कि समस्या ये है कि अगर प्रवासी श्रमिकों को भोजन उपलब्ध नहीं कराया गया तो खाने के लिए दंगे हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश में ऐसा हमने पहले भी देखा है, जब यहां अकाल के समय खाने के लिए दंगे हुए थे। सेन ने कहा कि जिन लोगों के पास कोई आय नहीं है, अगर उनकी बुनियादी जरूरतों में से सबसे अहम भूख का इंतेजाम नहीं किया गया तो इस बात की पूरी आशंका है कि खाने के लिए दंगे हो सकते हैं।

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