‘अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए बीजेपी ने मुस्लिमों को बना दिया बलि का बकरा’, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज का बयान

काटजू ने लिखा कि मुझे यह कहने में खेद है, लेकिन मुझे सच बोलना चाहिए। 200 मिलियन भारतीय मुसलमानों के लिए बुरे दिन आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने अपनी सभी विफलताओं के लिए ये बहाना ढूंढा है और मुस्लिमों को बलि का बकरा बनाया है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ पूरे देश में प्रदर्शन हो रहा है। देश के कई हिस्सों में धारा 144 लाग दी गई है। राजधानी दिल्ली में कई जगह मोबाइल सेवा तक बंद कर दी गई है। लोग कानून के खिलाफ नाराजगी जाहीर कर रहे हैं। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मार्कंडे काटजू ने भी अपनी नाराजगी व्यक्त की है। काटजू ने लिखा कि मुझे यह कहने में खेद है, लेकिन मुझे सच बोलना चाहिए। 200 मिलियन भारतीय मुसलमानों के लिए बुरे दिन आ रहे हैं। पंजाब टुडे नाम की एक साइट पर अपनी विचार व्यक्त हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी ने अपनी सभी विफलताओं के लिए ये बहाना ढूंढा है और मुस्लिमों को बलि का बकरा बनाया है।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ने लिखा कि भारतीय आबादी का लगभग 80% हिंदू है, और अधिकांश भारतीय हिंदू अत्यधिक सांप्रदायिक और ध्रुवीकृत हो गए हैं (यानी मुस्लिम विरोधी), खासकर 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद। उनकी नजर में, ज्यादातर मुसलमान कट्टरपंथी, राष्ट्र विरोधी और आतंकवादी हैं। इसलिए जब कोई मुस्लिम गौ-रक्षकों द्वारा लिंच कर दिया जाता है तो ये लोग खुशी मानते हैं और यह समझते हैं कि एक आतंकवादी और कम हो गया। मुसलमानों को हिंदू लड़कियों के साथ छेड़छाड़ करने वाले के रूप में चित्रित किया जाता है। जिसे लोग लव जिहाद भी कहते हैं।


काटजू ने लिखा, भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत बेहद खराब है। जीडीपी लगातार गिर रही है। विनिर्माण सैक्टर में भी गिरावट है, ऑटो सेक्टर में बिक्री में 30-40% की गिरावट है। रियल एस्टेट सेक्टर भी बुरे दौर से गुजर रहा है और बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। 12 मिलियन युवा हर साल भारतीय नौकरी बाजार में प्रवेश कर रहे हैं, लेकिन नौकरियों की संख्या में गिरावट आई है। एक ही समय में सब्जियों और ईंधन की कीमतें आसमान छू गई हैं, किसान संकट बढ़ गए हैं, और बाल कुपोषण में वृद्धि हुई है (लगभग 50% भारतीय बच्चे वैश्विक भूख सूचकांक और यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार कुपोषित हैं, और 50% भारतीय महिलाएं एनीमिक हैं)। भारतीय जनता के लिए उचित स्वास्थ्य सेवा और अच्छी शिक्षा मौजूद नहीं है।

1922 में इटली में और 1933 में जर्मनी में फासीवादी सरकारों के सत्ता संभालने के समय ठीक यही स्थिति थी। भाजपा सरकार के पास इस बात का कोई संकेत नहीं है कि जिस भयानक आर्थिक संकट ने भारत को जकड़ लिया है, उसे कैसे सुलझाया जाए, इसलिए सरकार ने इन सब से बचने के लिए मुसलमानों को बलि के बकरे के रूप में खोज लिया है। जिस तरह जर्मनी में सभी बुराइयों के लिए यहूदियों को दोषी ठहराया गया था, भारत में सभी बुराइयों के लिए मुसलमानों को दोषी ठहराया जा रहा है।


काटजू ने लिखा कि मुझे नहीं लगता कि यूरोप की तरह भारत में भी होलोकॉस्ट होगा। क्योंकि गैस चैंबरों में भेजने के लिए मुस्लिमों की संख्या बहुत ज्यादा है। लेकिन 2002 में गुजरात में उनके नरसंहार की तरह इससे भी भयानक अत्याचार उनके साथ किया जाएगा।

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Published: 19 Dec 2019, 3:31 PM