उत्तराखंड में चरम पर फर्जीवाड़ा! श्रद्धालुओं को हेली सेवा के नाम पर लगाया जा रहा लाखों का चूना, क्या कर रही धामी सरकार?

देवभूमि उत्तराखंड इन दिन भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े का अड्डा बन गया है, हर दिन यहां धोखाधड़ी के मामले सामने आ रहे हैं। बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए केदारनाथ आ रहे श्रद्धालुओं के लिए हेलीकॉप्टर टिकट की फर्जी बुकिंग की जा रही है और उन्हें लाखों रुपये का चूना लगाया जा रहा है।

फोटो: सोशल मीडिया
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पवन नौटियाल @pawanautiyal

उत्तराखंड की बीजेपी सरकार में फर्जीवाड़े का बोलबाला हो गया है। UKSSSC पेपर लीक फर्जीवाड़े के बाद चारधाम की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं से जुड़ा फर्जीवाड़ा लगातार सामने आ रहा है। यह खबर उन श्रद्धालुओं के लिए है, जो चारधाम यात्रा करने की सोच हैं। अगर आप बाबा केदानाथ के दर तक हेली सेवा लेने की सोच रहे तो यह खबर आपके लिए ही है। क्योंकि आपके साथ भी इस तरह का फर्जीवाड़ा हो सकता है। बीजेपी सरकार के नाक के नीचे यह फर्जीवाड़ा हो रहा है और वह बेखबर है, और अगर उसे खबर है तो सवाल यह है कि वह कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है?

हेली सेवा के नाम पर ताजा फर्जीवाड़े का मामला उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग सामने आया। जहां दिल्ली से केदारनाथ दर्शन करने आए लोग फर्जीवाड़े का शिकार हो गए। यह एहसास उन्हें तब हुआ जब वह फाटा से केदारनाथ के लिए बुकिंग टिकट के अनुसार, हेलीपैड पर पहुंचे। जब वह वहां पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि यह टिकट असली नहीं बल्कि नकली है। मतलब यह कि इन श्रद्धालुओं जो टिकट दिया गया, वह फर्जी निकला है। ऐसे में उन्हें हजारों रुपये का चून लग गया।

उत्तराखंड में चरम पर फर्जीवाड़ा! श्रद्धालुओं को हेली सेवा के नाम पर लगाया जा रहा लाखों का चूना, क्या कर रही धामी सरकार?

श्रद्धालु के साथ कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?

आखिर पूरा मामला क्या है अब यह भी जान लीजिए। दरअसल, हेली सेवा के नाम पर Himalayan Heli Pvt ltd जैसी फर्जी कंपनियां बाहर से आए लोगों को मूर्ख बना रही हैं, और हेली बुकिंग के नाम पर लाखों रुपये का चूना लगा रही हैं। केदारनाथ यात्रा पर गए कई श्रद्धालुओं ने इस तरह की शिकायतें की हैं कि उनके साथ हेलीकॉप्टर टिकट की बुकिंग के नाम पर फर्जीवाड़ा किया गया है। दिल्ली के रहने वाले राहुल और उनके दो साथी भी इसी फर्जीवाड़े का शिकार हुए हैं।

राहुल कुमार ने ‘नवजीवन’ से बातचीत में उत्तराखंड में चल रहे इस बड़े फर्जीवाड़े के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि हेली सेवा के नाम पर फर्जी वेबसाइटें चलाई जा रही हैं। और उससे बुकिंग के नाम पर लाखों का चूना लगाया जा रहा है। राहुल ने बताया कि जब उन्होंने उस वेबसाइट पर दिए नंबर पर बात की तो सामने से कहा गया कि वह GMVN यानी गढ़वाल मंडल विकास निगम से ही बात कर रहे हैं। जब बुकिंग के लिए पूछा गया तो उन्होंने तुरंत हामी भरते हुए कहा कि टिकट बुक हो जाएगा और तुरंत अपना खाता नंबर भी दिया जो महाराष्ट्र बैंक (उत्तराखंड) का है और जैसे ही राहुल ने अपनी और अपने दो साथियों की बुकिंग के लिए पैसे भेजे वैसे ही थोड़ी देर में मोबाइल पर टिकट भी भेज दिया गया। राहुल कहते हैं कि उस समय यह उन्हें नहीं पता चला कि यह टिकट नकली है, इसके नकली होने की जानकारी उन्हें फाटा हैलीपैड पर ही मिली।

ये वो फर्जी टिकट है जो हेली कंपनियां श्रद्धालुओं को भेज रही है।
ये वो फर्जी टिकट है जो हेली कंपनियां श्रद्धालुओं को भेज रही है।

राहुल कुमार ने आरोप लगाया कि इस तरह की फर्जीवाड़ों की जानकारी प्रशासन को है, लेकिन वो पूरे मामले को अनदेखा कर रहा है। राहुल ने विस्तार से बताया कि जब उन्होंने केदारनाथ धाम जाने का प्लान किया तो उन्होंने सबसे पहले गूगल पर हेली सेवा की जानकारी लेने की कोशिश की। इस दौरान उन्हें एक वेबसाइट मिली जिसका नाम 'यात्री सेवा' (https://yatrioseva.com/) है। ऐसा नहीं है कि यह वेबसाइट काम नहीं कर रही है, ये ठीक ढंग काम कर रही है और इसपर हेली सेवाओं से संबंधित वह सभी जानकारियां हैं जो GMVN की वेबसाइट (https://heliservices.uk.gov.in/) पर हैं।

राहुल सही और गलत की पहचान नहीं कर सके। पहली नजर में हर कोई धोखा खा सकता है। क्योंकि इस वेबसाइट का डिजाइन और बाकी की चीजें भी हूबहू वैसी ही हैं जैसे सरकारी वेबसाइट की हैं। यही नहीं आप स्क्रोल कर नीचे की तरफ आएंगे तो आपको इस पर एक नंबर भी मिलेगा, जिसकी मदद अमूमन हर कोई लेता है। जैसे ही आप उसपर फोन करेंगे वह सामने से कहते हैं कि हम GMVN यानी गढ़वाल मंडल विकास निगम से बात कर रहे हैं और जहां आपने फोन किया है वो हेली की बुकिंग करते हैं। राहुल को भी उनके बातों पर विश्वास हो गया। और उनके द्वारा दिए गए बैंक खाते पर पैसे भेज दिए। यह करीब 7000 रुपये का भुगतान था। राहुल ने बताया कि उन्होंने Whats App पर भी उस नंबर पर चैट की थी, जिनसे बुकिंग की बात हुई थी। उन्होंने नवजीवन के साथ वो चैट भी साझा की है।

राहुल ने नवजीवन के  साथ साझा की Whats App चैट
राहुल ने नवजीवन के साथ साझा की Whats App चैट

फर्जीवाड़े का शिकार श्रद्धालु की नहीं हुई कोई सुनवाई

बात यहीं खत्म नहीं हुई। फर्जीवाड़े का शिकार होने के बाद जब राहुल ने वहां मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों से इसकी शिकायत तो उन्होंने यह कहकर बात अनसुनी कर दी कि यह हमारी गलती नहीं है और ऐसे हर रोज कई यात्री यहां आते हैं। मतलब यह कि प्रशासनिक अधिकारियों को इस बात की जानकारी है कि श्रद्धालुओं से हर रोज फर्जीवाड़ा हो रहा है। इतना ही नहीं जब राहुल ने एफआईआर करने की बात कही तो वहां मौजूद पुलिसकर्मी ने कहा इसकी एफआईआर नहीं होती है, इसकी कंप्लेन साइबर क्राइम में करें। दर-दर भटक रहे इस यात्री ने साइबर क्राइम में भी शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन साइबर क्राइम में कई घंटों बाद जब फोन उठा तो लंच का बहाना कर उन्होंने भी फोन रख दिया, इसके बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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महाराष्ट्र से आए श्रद्धालुओं को लगाया गया 5.89 लाख का चूना

ये तो दिल्ली के राहुल कुमार के साथ हुए फर्जीवाड़े की ऱिपोर्ट थी, जो उन्होंने नवजीवन को बताई। एक ऐसी ही ऑनलाइन धोखाधड़ी महाराष्ट्र से आए श्रद्धालुओं के साथ भी हुई। इस बार हेली कंपनी पवन हंस के नाम पर लाखों का चूना लगाया गया। जानकारी के मुताबिक 70 श्रद्दालुओं ने ऑनलाइन हेली टिकट कराई थी, लेकिन उन्हें भी इसके फर्जी होने की जानकारी हेलीपैड पर मिली। दल के लीडर श्रीरामपुर-महाराष्ट्र निवासी देवीदास वाकचौरे ने बताया कि उन्होंने 5.89 लाख की धनराशि जमा कर 70 तीर्थ यात्रियों के टिकट आनलाइन बुक कराए थे। लेकिन, हेली कंपनी पवन हंस के दफ्तर में पहुंचने पर पता चला कि सारे टिकट फर्जी हैं।

गुस्साए श्रद्धालुओं का कहना है कि प्रशासन की ओर से सख्ती के जो दावे किए जाते हैं वो झूठे हैं, उन्होंने सवाल किया कि अगर सख्त है तो फिर केदारनाथ आने वाले तीर्थ यात्री हेली टिकटों की आनलाइन ठगी का लगातार शिकार क्यों हो रहे हैं?


फर्जीवाड़े की जानकारी होने के बाद भी सरकार क्यों नहीं कर रही कार्रवाई?

उधर, तीर्थ यात्रियों को ठगे जाने की इस घटना से केदारघाटी के व्यवसायियों में भी शासन-प्रशासन के प्रति आक्रोश है। स्थानीय निवासी का कहना है कि इतना समय बीत जाने के बाद भी हेली टिकटों की आनलाइन ठगी पर लगाम नहीं लग पा रही। बहरहाल, यह ठगी का पहला या दूसरा मामला नहीं है ऐसे कई मामले पिछले कुछ सालों से समाने आते रहे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि जब इसकी जानकारी पुलिस प्रशासन, साइबर क्राइम को है तो फिर इसपर कोई कठोर कार्रवाई क्यों नहीं की जाती? जबकि वेबसाइट भी एक्टिव है और मोबाइल नंबर भी, फिर भी क्यों सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि जिन खातों में श्रद्धालु पैसे भेज रहे हैं, आखिर क्यों उस खाते की भी अब तक जांच नहीं की गई?

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