पंजाब में फ्री बस सेवा पर संकट, डीजल की कमी से रोडवेज ठप, यात्रियों को उठानी पड़ रही परेशानी
पंजाब में महिलाओं के लिए शुरू की गई मुफ्त बस यात्रा योजना पर संकट गहराता जा रहा है। रोडवेज पर 1200 करोड़ का बकाया, डीजल की कमी से बस सेवाएं ठप। यात्रियों को निजी बसों का सहारा लेना पड़ा, यूनियन ने सरकार पर बजट न जारी करने का आरोप लगाया।

पंजाब सरकार की ओर से महिलाओं के लिए शुरू की गई मुफ्त बस यात्रा योजना अब संकट में घिरती नजर आ रही है। इस योजना के तहत पंजाब रोडवेज पर 1200 करोड़ रुपए से अधिक का बकाया हो चुका है। साथ ही, बसों को चलाने के लिए डीजल तक उपलब्ध नहीं है।
पठानकोट डिपो में डीजल खत्म, बस सेवाएं ठप
पठानकोट रोडवेज डिपो में डीजल खत्म होने के कारण शुक्रवार को चक्काजाम हो गया, जिससे चंडीगढ़, अमृतसर, जालंधर और गुरदासपुर जैसे विभिन्न रूटों पर बस सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं। इससे यात्रियों, खासकर महिलाओं और छात्राओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
यात्रियों की बढ़ी मुश्किलें
पठानकोट बस अड्डे पर यात्रियों की भीड़ जमा हो गई। रोडवेड बसों के न चलने से कई लोगों को निजी बसों का सहारा लेना पड़ा। छात्राओं और महिलाओं को किराया देकर यात्रा करनी पड़ी, जिससे सरकार की मुफ्त यात्रा योजना पर सवाल उठने लगे।
यूनियन का सरकार पर हमला
पंजाब रोडवेज पनबस कांट्रेक्ट वर्कर यूनियन के प्रधान जोगिंद्र पाल सिंह लवली ने सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने से पहले सरकार ने बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन अब रोडवेज डिपो को डीजल के लिए बजट तक नहीं मिल रहा। पठानकोट डिपो में डीजल की कमी के कारण बसें खड़ी हैं और कुछ रूटों पर जो बसें चलीं, वे कल के बचे हुए डीजल से चलाई गईं। इन बसों में भी ओवरलोडिंग की समस्या देखी गई।
"सरकार जारी नहीं कर रही बजट"
जोगिंद्र पाल ने बताया कि सरकार मुफ्त बस सेवा का दावा तो कर रही है, लेकिन इसके लिए जरूरी बजट जारी करने में नाकाम रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए किलोमीटर स्कीम को बरकरार रख रही है, जिसका टेंडर 31 अक्टूबर को फिर से खोला जाएगा। यूनियन ने इस टेंडर का विरोध करने की चेतावनी दी है।
किलोमीटर स्कीम पर विवाद
उनका कहना है कि यह स्कीम रोडवेज के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है। यात्रियों ने भी सरकार से नाराजगी जताई। उनका कहना है कि मुफ्त यात्रा का वादा तो किया गया, लेकिन बसें ही नहीं चल रही हैं। हमें मजबूरी में किराया देकर निजी बसों में जाना पड़ रहा है।
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