राजस्थान निकाय चुनाव: न मंदिर चला, न कश्मीर, गहलोत के एक मास्टर स्ट्रोक से बीजेपी के हाथ से निकल गई बाज़ी

न राम मंदिर पर आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला चला और न ही कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का प्रचार। राजस्थान में कमजोर तबकों के लिए पिछले महीने शुरु की गई गहलोत सरकार की योजनाओं ने राजस्थान निकाय चुनावों में कर दिया बीजेपी का बंटाधार।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया

राजस्थान स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस ने बीजेपी को करारी शिकस्त दी है। कांग्रेस ने कुल 2105 निकायों के लिए हुए चुनावों में 973 सीटें जीतीं जबकि बीजेपी को 737 से संतोष करना पड़ा। इस जीत के पीछे राजस्थान की गहलोत सरकार का वह मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है जो पिछले महीने गरीबों के लिए लागू योजनाओं से खेला गया था। राजस्थान में शहरी निकायों को बीजेपी का गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन इस बार के चुनावों में कांग्रेस ने कम से कम 20 निकायों में बहुमत हासिल किया है।

गहलोत सरकार ने निकाय चुनावों से करीब एक महीना पहले लैंड एंड बिल्डिंग नियमावली के उन प्रावधानों को खत्म कर दिया था जो पिछड़े वर्ग के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण देने में रोड़ा बने हुए थे। राजस्थान के कार्मिक विभाग ने सरकारी अधिसूचना जारी कर तय कर दिया था कि आरक्षण का फायदा उठाने के लिए सिर्फ एक ही शर्त है, और वह है कि परिवार की वार्षिक आय अधिकतम 8 लाख रुपए सालाना हो।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह घोषणा करते हुए कहा था कि, “कमजोर तबकों के आरक्षण की शर्त और नियमों के कारण कमजोर रूप से पिछड़े लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है, इसलिए मैं केंद्र सरकार को भी प्रस्ताव दे रहा हूं कि वह पूरे देश में इस तरह का प्रावधान करे ताकि ज्यादा से ज्यादा गरीबों को इसका लाभ मिल सके।”

गहलोत सरकार के इस फैसले से ब्राह्मण, राजपूत बनिया आदि उच्च सवर्ण जातियों के लोगों को भी आरक्षण का लाभ मिला और परंपरागत रूप से बीजेपी का वोट बैंक माना जाने वाला यह तबका भी कांग्रेस के पाले में आ गया। इस घोषणा के बाद सवर्ण जातियों के लोगों का मुख्यमंत्री गहलोत के घर पर उन्हें धन्यवाद कहने के लिए तांता लग गया था।


इसी फैसले ने निकाय चुनावों में जादू कर दिया। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस की उपाध्यक्ष अर्चना शर्मा ने मुताबिक यह योजना गेम चेंजर साबित हुई। उन्होंने कहा कि, “बीते 10 महीनों से हमारी सरकार के कामकाज पर लोगों की नजर है कि हम किस तरह अपने वादे पूरे कर रहे हैं। लोगों का भरोसा हम पर बढ़ रहा है। इसके अलावा ईडब्लूएस मॉडल में बदलाव से लोगों ने देखा कि यह सरकार अपने वादों से आगे जाकर लोगों की भलाई के फैसले लेती है, इसीलिए शहरी निकायों में भी कांग्रेस को भारी वोट मिले।”

इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्थानीय निकाय चुनावों में जीत को कांग्रेस सरकार के काम पर लोगों की मुहर बताया है। उन्होंने कहा, “वोटर बहुत समझदार होता है और देश में, राज्य में और स्थानीय स्तर पर होने वाली हर गतिविधि पर नजर रखता है। उन्होंने राजस्थान की ही तरह महाराष्ट्र और हरियाणा में मतदान किया है।” गहलोत ने राजस्थान के लोगों को भरोसा दिलाया कि वे लोगों और राज्य की भलाई के लिए इसी तरह काम करते रहेंगे।


लेकिन बीजेपी इस जीत को लेकर कांग्रेस पर सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा, “सरकार ने जीत के लिए हर हथकंडे का इस्तेमाल किया। कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों के बाद स्थानीय निकायों के सीधे चुनावों का वादा किया था, लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद इन्हें टाल दिया गया। इतना ही नहीं कांग्रेस ने वार्डो का डिलिमिटेशन (पुनर्निर्धारण) भी कराया, जो कि 2021 में होना था।”

पूनिया ने उदयपुर, बीकानेर और भरतपुर निकाय में बीजेपी की जीत के लिए कार्यकर्ताओं का आभार जताया।

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