यूपी के बिजली उपभोक्ताओं के लिए नए साल पर राहत की खबर! जानिए बिजली विभाग ने क्या फैसला लिया है?
UPPCL के आदेश के अनुसार, अक्टूबर महीने के ईंधन अधिभार का समायोजन जनवरी 2026 में किया जाएगा। यही वजह है कि जनवरी के बिजली बिल में उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।

उत्तर प्रदेश में नए साल की शुरुआत बिजली उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी खबर लेकर आ रही है। जनवरी 2026 में प्रदेश के करोड़ों उपभोक्ताओं को बिजली के बिल में सीधी छूट मिलने वाली है। बिजली विभाग ने घोषणा की है कि जनवरी महीने के बिजली बिल पर 2.33 फीसदी की छूट दी जाएगी। इसका सीधा फायदा आम उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा और नए साल के पहले महीने में बिजली का खर्च कुछ कम होगा।
क्यों घटेगा जनवरी का बिजली बिल
दरअसल यह राहत ईंधन अधिभार शुल्क (फ्यूल सरचार्ज) के समायोजन के कारण मिल रही है। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। आदेश के मुताबिक, जनवरी 2026 के बिजली बिल में 2.33 प्रतिशत की कटौती की जाएगी, जिससे एक महीने के लिए बिजली की दरें कम मानी जाएंगी।
यूपी में हर महीने बिजली उत्पादन की लागत के आधार पर फ्यूल सरचार्ज तय किया जाता है। जब किसी महीने उत्पादन लागत कम या ज्यादा होती है, तो उसका असर अगले महीनों के बिल में समायोजन के जरिए दिखता है। इसी प्रक्रिया के तहत यह छूट दी जा रही है।
अक्टूबर के अधिभार का होगा समायोजन
UPPCL के आदेश के अनुसार, अक्टूबर महीने के ईंधन अधिभार का समायोजन जनवरी 2026 में किया जाएगा। यही वजह है कि जनवरी के बिजली बिल में उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी। इस फैसले का लाभ घरेलू, वाणिज्यिक और अन्य सभी श्रेणियों के बिजली उपभोक्ताओं को मिलेगा।
आंकड़ों के मुताबिक, इस छूट से प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को करीब 141 करोड़ रुपये का सीधा फायदा होगा। यानी एक महीने में ही इतनी बड़ी रकम उपभोक्ताओं की जेब में बचेगी।
सितंबर का अधिभार बना था बोझ
हालांकि इससे पहले उपभोक्ताओं को झटका भी लगा था। सितंबर 2025 के ईंधन अधिभार को दिसंबर महीने में 5.56 प्रतिशत की दर से वसूला गया था। इसका असर यह हुआ कि उपभोक्ताओं को करीब 264 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ा।
यानी जहां दिसंबर में बिल बढ़े थे, वहीं अब जनवरी में कुछ राहत मिलने जा रही है। बिजली विभाग का कहना है कि यह पूरी तरह नियामकीय प्रक्रिया के तहत किया गया समायोजन है।
बिजली कंपनियों के पास भारी सरप्लस का दावा
इस पूरे मामले पर यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष और राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने सवाल भी उठाए हैं। उनका कहना है कि बिजली कंपनियों के पास पहले से ही भारी मात्रा में सरप्लस मौजूद है।
अवधेश वर्मा के अनुसार, बिजली कंपनियों के पास इस समय करीब 33,122 करोड़ रुपये का सरप्लस है। इसके अलावा चालू वित्तीय वर्ष में लगभग 18,592 करोड़ रुपये का अतिरिक्त सरप्लस जुड़ने की संभावना है। इस तरह कुल मिलाकर बिजली कंपनियों पर 51 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का सरप्लस बना हुआ है।
उपभोक्ताओं से अधिभार न वसूलने की मांग
उपभोक्ता परिषद का कहना है कि जब तक यह सरप्लस बिजली कंपनियों के पास मौजूद है, तब तक उपभोक्ताओं से ईंधन अधिभार शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए।
अवधेश वर्मा ने साफ कहा कि फ्यूल सरचार्ज का जो भी समायोजन करना है, वह इसी सरप्लस राशि से किया जाना चाहिए। जब यह सरप्लस पूरी तरह खत्म हो जाए, तभी उपभोक्ताओं से अधिभार वसूला जाना उचित होगा।
आम लोगों के लिए क्या मायने रखता है यह फैसला
जनवरी 2026 में मिलने वाली 2.33 प्रतिशत की छूट भले ही प्रतिशत में छोटी लगे, लेकिन इसका असर करोड़ों उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। खासकर घरेलू उपभोक्ताओं के लिए यह नए साल की शुरुआत में थोड़ी राहत लेकर आएगी।
हालांकि उपभोक्ता संगठनों की नजर इस बात पर टिकी है कि आगे आने वाले महीनों में बिजली दरों और अधिभार को लेकर सरकार और बिजली कंपनियां क्या रुख अपनाती हैं। फिलहाल, जनवरी के लिए यह फैसला प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
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