सरकार ने ताज महल में रिसाव की बात स्वीकारी, ऐतिहासिक धरोहरों के प्रति संवदेनशील होने की बात कही

केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने प्रश्नकाल के दौरान एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी के प्रश्न के उत्तर में कहा कि जहां तक ताज महल के रखरखाव का विषय है तो यह बात सही है कि पानी के रिसाव की एक घटना सामने आई थी, उसमें तुरंत सुधार किया गया है।

सरकार ने ताज महल में रिसाव की बात स्वीकारी, ऐतिहासिक धरोहरों के प्रति संवदेनशील होने की बात कही
सरकार ने ताज महल में रिसाव की बात स्वीकारी, ऐतिहासिक धरोहरों के प्रति संवदेनशील होने की बात कही
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पीटीआई (भाषा)

लोकसभा में सोमवार को केंद्र सरकार ने इस बात को स्वीकार किया कि बारिश के दौरान ताजमहल में पानी के रिसाव की एक घटना सामने आई थी। साथ ही सरकार ने सदन को आश्वासन दिया कि वह ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के प्रति संवेदनशील है। केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने प्रश्नकाल के दौरान एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी के पूरक प्रश्न के उत्तर में यह बात कही।

गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, ‘‘जहां तक ताज महल के रखरखाव का विषय है तो यह बात सही है कि पानी के रिसाव की एक घटना सामने आई थी। लगातार बारिश के कारण जो स्थिति बनी, उसमें तुरंत सुधार किया गया है।’’ उन्होंने कहा कि भारत सरकार पूरी तरह संवेदनशील है और ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के लिए काम कर रही है। शेखावत ने कहा, ‘‘सरकार प्रतिबद्धता के साथ विरासत का सम्मान करते हुए विकास के लिए काम कर रही है।’’


ओवैसी ने पूरक प्रश्न पूछते हुए आरोप लगाया, ‘‘पिछले 50 साल से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) हिंदुत्व की विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहा है।’’ उन्होंने पूछा, ‘‘एएसआई को ‘डिटॉक्सिफाई’ (विषमुक्त) करने के लिए सरकार क्या कदम उठाएगी। क्या सरकार सुनिश्चित करेगी कि एएसआई संविधान के धर्मनिरपेक्षता और बहुलवाद के सिद्धांत के साथ काम करे?’’

अपने उत्तर में शेखावत ने कहा, ‘‘50 साल के बारे में तो मैं टिप्पणी नहीं कर सकता, लेकिन पिछले 10 साल आठ महीने से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ की विचारधारा के साथ साथ काम कर रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोगों को पूजा पद्धति या वोट बैंक की ताकत के आधार पर कुछ विशेषाधिाकार मिलते थे, लेकिन अब समानता की श्रेणी में आने की वजह से विशेषाधिकार समाप्त होने के बाद इस तरह का विचार शायद किसी के मन में आता होगा।’’

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