कोई न पूछे सवाल, कोरोना के नाम पर संसद सत्र में सरकार ने किया इंतजाम, पीएम समेत सभी को पहले कराना होगा टेस्ट

परंपरा के मुताबिक एक सत्र खत्म होने के 6 महीने के भीतर संसद का दूसरा सत्र तो सरकार ने बुला लिया है, लेकिन इस दौरान न कोई सवाल पूछने की गुंजाइश है और न ही किसी बहस की। इतना ही नहीं पहला मौका है जब दोनों सदन अलग-अलग समय पर चलेंगे।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

इस साल संसद का मॉनसून सत्र 14 सितंबर से शुरु हो रहा है। लेकिन इस बार कई अनोखी बातों के साथ ही सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सरकार ने प्रश्नकाल न करने का ऐलान किया है। साथ ही शून्यकाल की अवधि भी आधी यानी एक घंटे से घटाकर आधा घंटा कर दी है।

देश की संसदीय परंपरा है कि एक सत्र खत्म होने के 6 महीने के भीतर संसद का अगला सत्र बुला लिया जाए। सरकार ने ऐसा कर तो लिया, लेकिन ऐसे बदलाव कर दिए हैं जो सरकार की मंशा पर सवाल खड़ करते हैं। सरकार ने बहाना कोरोना महामारी का बनाया है और इसी के चलते संसद का बजट सत्र भी जल्दबाजी में समेट दिया गया था। इसके चलते तमाम संसदीय और विधायी काम अटके हुए हैं। ऐसे में संसद का सत्र बुलाना जरूरी था, लेकिन सरकार ने कोरोना के नाम पर लोकतंत्र की बुनियाद माने जाने वाले उस हिस्से को स्थगति कर दिया है जिसमें सांसद सरकार से सवाल पूछते हैं।

दोनों सदनों के सचिवालयों ने साफ-साफ कहा है कि मानसून सत्र में प्रश्नकाल नहीं होगा और शून्यकाल भी सीमित किया गया है। प्रश्नकाल में दोनों सदनों में सांसद सरकार और मंत्रियों से सवाल करते हैं। सरकार को इन सवालों पर जवाब देने होते हैं। प्रश्नकाल सभी मंत्रालयों में जवाबदेही लाता है। विपक्ष का आरोप है कि मोदी सरकार गंभीर सवालों से बचना चाहती है। इसी तरह शून्यकाल भारतीय संसदीय व्यवस्था की ही देन है। इसमें बिना किसी पूर्व निर्धारित सूचना के कोई भी सांसद अपने संसदीय क्षेत्र या राष्ट्रीय महत्व का कोई भी मुद्दा उठा सकता है।

इस बार संसद सत्र के दौरान जो बदलाव हैं उनके मुताबिक सांसदों को संसद परिसर में तभी प्रवेश मिल पाएगा जब उन्होंने 72 घंटे पहले अपना कोरोना टेस्ट कराया हो और रिपोर्ट निगेटिव आई हो। सांसदों को साथ ही उनके स्टाफ और परिजनों के लिए भी यह नियम है। इस नियम से प्रधानमंत्री, कैबिनेट और राज्यमंत्री भी अछूते नहीं रहेंगे।


बताया गया है कि अगर किसी सांसद की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो उसे अस्पताल भेजा जाएगा और सारे प्रोटोकॉल फॉलो किए जाएंगे। इतना ही नहीं अगर सांसद निगेटिव है और उसके परिजन या स्टॉफ में से कोई पॉजिटिव है तो सांसद को 14 दिन के स्वंय एकांतवास यानी सेल्फ क्वेरेंटाइन में रहना होगा। वैसे तो सांसदों को कोरोना टेस्ट अपने संसदीय क्षेत्र में कराने की छूट है लेकिन 11 सितंबर के बाद संसद के रिसेप्शन पर भी टेस्ट की सुविधा देने के लिए कैंप लगाया जाएगा।

इस बार संसद का सत्र लगातार चलेगा और शनिवार-रविवार को भी छुट्टी नहीं होगी। एक अक्टूबर तक चलने वाले इस सत्र में कुल 18 दिन संसद की बैठक होगी। परंपरा रही है कि सत्र के दौरान हर शुक्रवार को बैठक के आखिरी ढाई घंटे प्राइवेट मेंबर्स बिजनेस के लिए होते हैं। लेकिन इस बार प्राइवेट मेंबर्स बिजनेस नहीं होगा।

जहां तक सांसदों के बैठने की व्यवस्था का प्रश्न है तो इस बार लोकसभा और राज्यसभा की अलग-अलग बैठकें होंगी। सोशल डिस्टेंसिंग नियमों का पालन करने के लिए पहली बार एक सदन की बैठक में दोनों सदनों के चैम्बर और गैलरी का इस्तेमाल होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री और कुछ मंत्री राज्यसभा चैम्बर में बैठेंगे। इसके अलावा सदन के नेता, सदन में विपक्ष के नेता और अन्य पार्टियों के नेताओं को राज्यसभा के चैम्बर में ही बिठाया जाएगा।

दोनों सदनों का समय अलग-अलग होगा। पहले दिन लोकसभा की कार्यवाही सुबह नौ से दोपहर एक बजे तक चलेगी। 15 सितंबर से एक अक्टूबर तक लोकसभा की बैठक दोपहर तीन बजे से शाम 7 बजे तक चलेगी। इसी तरह 14 सितंबर को राज्यसभा की बैठक दोपहर तीन बजे से सात बजे तक होगी। 15 सितंबर से इसका समय सुबह 9 बजे से दोपहर एक बजे तक चलेगी। दोपहर एक बजे से 3 बजे तक का समय दोनों चैम्बरों को डिसइंफेक्ट करने में किया जाएगा।


सांसद अपनी कुर्सी पर बैठे-बैठे स्पीकर या सभापति को संबोधित कर सकेंगे। उन्हें मास्क पहनकर रखना होगा। लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही कवर करने वाले पत्रकारों के भी आरटी-पीसीआर टेस्ट अनिवार्य होंगे। सांसदों का पर्सनल स्टाफ अलग जगह बैठेगा।

इस बार तकनीक का इस्तेमाल भी किया जा रहा है जिसके तहत चार बड़े डिस्प्ले स्क्रीन चैम्बर में लगेंगे। 6 छोटी स्क्रीन चार गैलरियों मे लगेंगी। ताकि सदस्य अलग-अलग बैठकर भी कार्यवाही में भाग ले सकें। इसके अलावाव ऑडियो कंसोल, अल्ट्रावायलेट जर्मीसाइडल इरेडिएशन, ऑडियो-वीडियो सिग्नल्स के लिए दोनों सदनों को जोड़ने वाले स्पेशल केबल्स, अधिकारियों की गैलरी को अलग करने के लिए पॉलीकार्बोनेट शीट का इस्तेमाल होगा।

सरकार की तरफ से हर हर सांसद को डीआरडीओ की किट दी जाएगी। इसमें 40 डिस्पोजेबल मास्क, 5 एन-95 मास्क, सैनिटाइजर की 50 मिलीलीटर की 20 बोतलें, फेस शील्ड्स, 40 जोड़ी ग्लव्ज, दरवाजों को खोलने-बंद करने के लिए टच-फ्री हूक, हर्बल सेनिटेशन वाइप्स और इम्युनिटी बढ़ाने के लिए हर्बल टी-बैग्स होंगे।

इसके अलावा सांसदों के जूतों और उनकी कारों को सैनिटाइज करने की व्यवस्था भी की है। सांसदों के जूते और कारों की मैट्स को हाइपोक्लोराइड जेल में डुबोकर सैनिटाइज किया जाएगा। इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय सांसदों को जागरुकता की शॉर्ट वीडियो क्लिप्स भेजेगा, मास्क पहनने का लाभ बताएगा।

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