यूट्यूब चैनल ‘4पीएम’ को ‘ब्लॉक’ करने का आदेश सरकार ने वापस लिया, सुप्रीम कोर्ट को सुनवाई के दौरान बताया गया
शीर्ष अदालत ने पांच मई को डिजिटल समाचार प्लेटफॉर्म ‘4पीएम’ के संपादक संजय शर्मा की याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगा था, जिसमें कहा गया था कि यह रोक पत्रकारिता की स्वतंत्रता और जनता के सूचना प्राप्त करने के अधिकार पर भीषण हमला है।

उच्चतम न्यायालय को मंगलवार को सूचित किया गया कि यूट्यूब पर 73 लाख सब्सक्राइबर वाले चैनल ‘4पीएम’ को ब्लॉक करने का आदेश सरकार ने वापस ले लिया है। शीर्ष अदालत डिजिटल समाचार प्लेटफॉर्म ‘4पीएम’ के संपादक संजय शर्मा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें चैनल को ‘‘ब्लॉक’’ करने के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया गया था।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ को बताया, ‘‘उन्होंने (चैनल को) ब्लॉक करने का आदेश वापस ले लिया है।’’ याचिका में दावा किया गया कि यूट्यूब ने कथित तौर पर केंद्र द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के अस्पष्ट आधारों का हवाला देते हुए जारी किए गए अज्ञात निर्देश के अनुसार चैनल को ब्लॉक कर दिया गया।
कपिल सिब्बल ने पीठ से अनुरोध किया कि इस याचिका को अलग-अलग लंबित याचिकाओं के साथ संलग्न किया जाए, जिनमें सूचना प्रौद्योगिकी (जनता द्वारा सूचना तक पहुंच को अवरुद्ध करने की प्रक्रिया और सुरक्षा उपाय) नियमावली, 2009 के नियम 16 को चुनौती दी गई है।उन्होंने कहा कि शर्मा की याचिका में 2009 की नियमावली के नियम 16 को भी रद्द करने का अनुरोध किया गया है। नियम 16 में कहा गया है कि प्राप्त सभी अनुरोधों और शिकायतों तथा उन पर की गई कार्रवाई के संबंध में सख्त गोपनीयता बनाए रखी जाएगी। पीठ ने याचिका को लंबित अलग-अलग याचिकाओं के साथ संलग्न कर दिया।
शीर्ष अदालत ने पांच मई को संजय शर्मा की याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगा था, जिसमें कहा गया था कि यह रोक पत्रकारिता की स्वतंत्रता और जनता के सूचना प्राप्त करने के अधिकार पर भीषण हमला है। अधिवक्ता तल्हा अब्दुल रहमान के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता को ब्लॉक करने से संबंधित आदेश या प्राप्त किसी शिकायत से अवगत नहीं कराया गया, जिससे वैधानिक और संवैधानिक सुरक्षा उपायों का उल्लंघन हुआ है।
याचिका में कहा गया कि यह एक स्थापित कानून है कि संविधान सुनवाई का अवसर दिए बिना किसी भी विषय-वस्तु को पूरी तरह से हटाने की अनुमति नहीं देता है। याचिका में कहा गया कि यह कार्रवाई न केवल मूल कानून के विरुद्ध है, बल्कि स्वतंत्र प्रेस द्वारा सुनिश्चित लोकतांत्रिक जवाबदेही के मूल पर भी प्रहार करती है।
इसमें कहा गया है, ‘‘ब्लॉक करने का यह कदम पत्रकारिता की स्वतंत्रता और जनता के सूचना प्राप्त करने के अधिकार पर एक भयावह हमला है।’’ चैनल को ‘‘ब्लॉक’’ करने के लिए मध्यस्थ को जारी किए गए आदेश के साथ कारण और रिकॉर्ड प्रस्तुत करने के लिए केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया गया। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता के यूट्यूब चैनल को उसके मामले को स्पष्ट करने या सही ठहराने का कोई उचित अवसर दिए बिना ही ‘‘ब्लॉक’’ कर दिया गया।
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