टैक्स टेररिज़्म की उठाई बात को किरण मजूमदार शॉ को आ गया फोन- ऐसे बयान न दें तो अच्छा है

कैफे कॉफी डे के संस्थापक की आत्महत्या का कारण टैक्स टेररिज़्म सामने आने के बाद कई प्रमुख उद्योगपतियों ने इस विषय पर अपने विचार सामने रखे हैं। लेकिन अब सरकारी अधिकारी उन्हें फोन कर धमकी भरे लहजे में कुछ न बोलने की हिदायत दे रहे हैं। ताजा मामला बायोकॉन प्रमुख किरण मजूमदार शॉ का है।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

बायोकॉन की प्रमुख किरण मजूमदार शॉ ने इस बात की तस्दीक की है कि हाल ही में एक सरकारी अधिकारी ने उन्हें फोन कर आयकर उत्पीड़न यानी टैक्स टेररिज़्म जैसे मुद्दों पर कुछ ना बोलने को कहा था। ध्यान रहे कि कैफे कॉफी डे के संस्थापक वीजी सिद्धार्थ की मौत के बाद इस मामले को लेकर कार्पोरेट जगत काफी बेचैनी है और कुछ लोगों ने इस विषय पर अपने विचार सामने रखे हैं। किरण मजूमदार शॉ इन्हीं में से एक हैं।

अंग्रेजी अखबार टेलीग्राफ ने मजूमदार के हवाले से लिखा है, “उसने बस इतना कहा कि कृपया ऐसे बयान नदें, यहां तक की मोहनदास पाई को भी ऐसा नहीं करना चाहिए। मैं आपको एक दोस्त के नाते यह सलाह दे रहा हूं।”

ध्यान रहे कि इंफोसिस के पूर्व डायरेक्टर मोहनदास पाई ने ऐसा ही बयान दिया था। उन्होंने क्विंट से बातचीत में बताया था कि बायोकॉन की संस्थापक को इस तरह का फोन आया था। गौरतलब है कि मोहनदास पाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मनमोहन सिंह दोनों के प्रशंसक रहे हैं। अखबार ने जब किरण से पूछा कि फोन कॉल क्या धमकी या चेतावनी की तरह से लग रहा था या सलाह की तरह, तब उन्होंने कहा, “आप इसे दोनों तरह से ले सकते हैं।” उन्होंने कहा, “व्यक्तिगत रूप से मुझे कभी इनकम टैक्स विभाग से कोई दिक्कत नहीं रही है।”


मजूमदार इस बात से चकित नजर आईं कि उद्योग जगत इतना खामोश क्यों है। उन्होंने कहा, “कोई आपका मुंह नहीं बंद कर रहा, ये निर्णय केवल आपको करना है कि बोलना है या नहीं। अगर आप अपना टैक्स दे रहे हैं तो फिर फिक्र किस बात की? उद्योग जगत इतना खामोश क्यों है? उद्योग जगत से बोलने की अपील करते हुए उन्होंने कहा, “मैं हमेशा बोलती रही हूं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि देश में यूपीए शासन में है या एनडीए।”

उधर मोहनदास पाई ने भी कहा कि सिर्फ किरण या वे अकेले नहीं हैं, जिन्हें इस तरह के फोन आए। उन्होंने कहा कि बहुत से लोगों को इस तरह की धमकियां दी गई हैं। उन्होंन कहा कि टैक्स टेररिज़्म पहले से था, और एनडीए ने भी इसे ठीक करने का वादा पूरा नहीं किया।” पाई ने कहा कि सिद्धार्थ की मौत उद्योग बिरादरी को टैक्स आतंक से चेताने के लिए ट्रिगर की तरह थी।

पाई ने 2011 में इंफोसिस से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने कहा था, “हमारे नियमों में बदलाव की जरूरत है, जैसे अभी इनकम टैक्स अधिकारियों के पास किसी को हिरासत में लेने का अधिकार है. इस तरह की शक्तियां उत्पीड़न को बढ़ावा देती हैं.”

पाई ने कहा कि राजनेताओं को उद्योग जगत से सीधे संपर्क में रहना चाहिए, लेकिन वे ऐसा नहीं करते हैं, बल्कि वे टैक्स अधिकारियों पर भरोसा करते हैं. उन्होंने कहा कि यूपीए-2 के दौरान भी ऐसा हुआ और एनडीए में अरुण जेटली ने भी ऐसा ही किया.

उन्होंने कहा कि इस माहौल ने निकलने का केवल एक ही उपाय है कि सरकारी संपर्क बढ़ाया जाए. पाई ने कहा, “उद्योग और उद्योगपतियों का सरकार से सीधा संपर्क बढ़ाया जाना चाहिए. प्रधानमंत्री और मंत्रालयों को हर तिमाही में उद्योगपतियों से मिलना चाहिए और विश्वास को बनाए रखना चाहिए.”

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