उत्तर प्रदेश के किसानों से वापस ले रही सरकार किसान सम्मान निधि का पैसा, नए आवेदनों पर भी लगा दी गई है रोक

यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय लल्लू कहते हैं कि ‘वोट लेने के लिए सरकार ने बिना मांगे चुनावी घूस दिया। सरकार की गलतियों का खामियाजा किसान उठा रहे हैं। यूपी में चुनाव नहीं होता तो कई किसानों को सरकार जेल में ठूस चुकी होती।’

सोशल मीडिया
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के संतोष

वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले 24 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गोरखपुर के खाद कारखाना परिसर से प्रधानमंत्री सम्मान निधि का शुभारंभ किया था। तब प्रधानमंत्री ने कहा था कि ‘इस योजना से अन्नदाता को पूरा पैसा मिलेगा और हर साल मिलेगा। इसे कोई वापस नहीं ले सकता है।’ लेकिन 28 महीने बाद ही योजना को लेकर तस्वीर उलटी हो गई है।

दरअसल, योजना के तहत रकम खुले हाथों से बांटी जाने लगी। मतलब यह कि आप किसान हैं या नहीं, जरूरी नियमों के तहत आप पात्र हैं या नहीं- इसे नहीं देखा-भाला गया और किसी के भी एकाउंट में पैसे डाल दिए गए। अब जैसे-जैसे पता चल रहा है कि रेवड़ी गलत हाथों में भी चली गई है, तो रकम की वसूली के लिए कुर्की और जेल का खौफ दिखाया जा रहा है।

उपनिदेशक कृषि संजय सिंह का कहना है कि बिना अप्लाई किए ही राशि भेजे जाने की बात उनकी जानकारी में नहीं है। उनकी दलील है कि ‘शुरुआत में आधार की अनिवार्यता नहीं थी। स्वघोषणा से योजना का लाभ दिया गया।’ लेकिन सिंह यह जरूर बताते हैं कि जिन्हें गलत ढंग से रकम दी गई, वे वापस नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उत्तर प्रदेश में 2.36 लाख किसानों से 258 करोड़ रुपये की वसूली होनी है।’

लेकिन ऐसे कई उदाहरण हैं कि बिना आवेदन भी पैसे बांट दिए गए। गोरखपुर के गोला तहसील के कोहड़ा बुजुर्ग गांव के सगे भाई रामेश्वर और तारकेश्वर चंद सरकारी सेवा से रिटायर हैं। उनके खाते में सम्मान निधि का लाभ पहुंचा तो गांव के ही एक व्यक्ति ने फर्जीवाड़े की शिकायत कर दी। दोनों भाई सफाई देते रहे कि उन्होंने कोई आवेदन नहीं किया है। सेवानिवृत्ति के बाद मिली रकम खाते में पहले से थी। ऐसे में पता ही नहीं चला कि कब छह हजार खाते में आ गए। रामेश्वर चंद कहते हैं कि ‘विभाग की गलती से खाते में आई रकम तो वापस करनी ही पड़ी, पुलिस और कोर्ट की कार्रवाई में 75 हजार से अधिक खर्च हो गए। गांव-समाज में प्रतिष्ठा गई, वह अलग।’


यही किस्सा कानपुर के शिवराजपुर विकास खंड के उत्तरीपुरा निवासी मेवालाल का भी है। वह भी सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने योजना के लिए आवेदन नहीं किया। पर बाद में नोटिस मिला, तो 16 हजार बैंक को वापस किए हैं। इसी तरह स्योड़ी ललईपुर ग्राम पंचायत निवासी रामकुमार और भीतरगांव के महेश प्रसाद ने 16 हजार तक की सम्मान निधि वापस की है।

यूपी के सभी 75 जिलों में किसानों को कृषि विभाग का नोटिस मिला है। कइयों ने तो कार्रवाई से बचने के लिए रकम वापस करना शुरू कर दिया है। गोरखपुर में 300 से अधिक लोगों ने विभाग में 3.50 लाख रुपये वापस किए हैं। पिछले दिनों गोरखपुर के लालपुर टीकर गांव में 75 घंटे का प्रवास लेने के दौरान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के सामने भी ग्रामीणों ने इस मुद्दे को उठाया। प्रदेश अध्यक्ष कहते हैं कि‘वोट लेने के लिए सरकार ने बिना मांगे चुनावी घूस दिया। सरकार की गलतियों का खामियाजा किसान उठा रहे हैं। यूपी में चुनाव नहीं होता तो कई किसानों को सरकार जेल में ठूस चुकी होती।’

दिक्कत यह भी है कि इस बारे में शिकायत करने की भी कोई जगह नहीं है। गाजीपुर के किसान सुशील राय का कहना है कि ‘गूगल पर सर्च करने में योजना से जुड़ी शिकायतों के लिए जितने भी नंबर दिए गए हैं, उन पर कोई रिस्पॉन्स नहीं मिलता है। कई नंबर तो कनेक्ट ही नहीं होते।’

देश में 12 करोड़ से अधिक किसान पंजीकृत हैं। इनमें से 9.75 करोड़ को योजना का लाभ मिल रहा है। इनमें सर्वाधिक 2.36 करोड़ किसान उत्तर प्रदेश के हैं। अब कृषि विभाग की तरफ से कहा जा रहा है कि यूपी में 6 लाख से अधिक किसान फर्जी तरीके से योजना का लाभ ले रहे हैं। कृषि विभाग के आकड़ों के मुताबिक, करीब 3,86,000 किसानों का बैंक खाता या आधार फर्जी है। वहीं 2,34,010 आयकर देने वाले योजना का लाभ ले रहे हैं। 32,300 से अधिक ऐसे लोग भी योजना का लाभ ले रहे हैं जिनकी मौत हो चुकी है। गोरखपुर में 18,000 से अधिक अपात्र चिह्नित हैं। इनमें करीब 6,000 हजार ऐसे हैं जिनके कागज में गड़बड़ी है लेकिन 12,000 फर्जी तरीके से योजना का लाभ पा रहे हैं। कथित फर्जीवाड़े में पति-पत्नी से लेकर मृतक किसान, टैक्स पेयर्स, पेंशन धारक, गलत खाते में फंड ट्रांसफर, गलत आधार आदि के मामले शामिल हैं। मैनपुरी में 9,219 तो हाथरस में 2,548 आयकरदाता योजना का लाभ ले रहे हैं।


नए किसानों के आवेदन पर रोक

इस तरह की सरकारी गलती को दुरुस्त करने के नाम पर वैसे लोग रीते हाथ रहने को मजबूर हैं जो वास्तव में जरूरतमंद हैं। प्रदेश में 2 लाख से अधिक पात्र किसान आवेदन के लिए भटक रहे हैं। बस्ती जिले की अन्नपूर्णा देवी के पति अनिल कुमार का निधन बीते नवंबर में हो गया। अनिल के नाम की जमीन उनके और दो बालिग बेटों के नाम दर्ज हो गई। अबअन्नपूर्णा देवी और बालिग बेटे पीएम सम्मान निधि के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। जन सूचना केंद्र से लेकर कृषि विभाग के अधिकारी बता रहे हैं कि केंद्र सरकार ने नए आवेदनों पर रोक लगा रखी है।

गोरखपुर के चौरीचौरी के प्रगतिशील किसान संतोष मणि त्रिपाठी कहते हैं कि ‘प्रधानमंत्री मोदी जब भी किसानों के खातों में पीएम सम्मान निधि के रकम को ट्रांसफर करते हैं तो न्यूज चैनलों, अखबारों से लेकर सोशल मीडिया पर खूब मार्केटिंग होती है। लेकिन यह खबर कहीं नहीं आ रही है कि पीएम सम्मान निधि के लिए नए किसानों की एंट्री पिछले चार महीने से बंद है। वेबसाइट पर आवेदन के लिए जैसे ही आधार कार्ड के नंबर एंट्री हो रही है, प्रोसेस ब्रेक हो जा रहा है।’

मऊ जिले में जन सूचना केंद्र संचालित करने वाले यज्ञदेव का कहना है कि ‘रोज 15 से 20 किसान यह पूछने आते हैं कि वेबसाइट पर आवेदन की प्रक्रिया शुरू हुई क्या?’ उपनिदेशक कृषि संजय सिंह का कहना है कि ‘केंद्र सरकार की तरफ से ही वेबसाइट पर रोक है। नए आवेदन नहीं लिए जा रहे हैं। उम्मीद है कि योजना का फर्जी तरीके से लाभ ले रहे लोगों का मामला निपटने के बाद ही नए आवेदन होंगे।’

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