कश्मीर में पाबंदियों के बीच राज्यपाल ने किया 50000 नौकरियों का ऐलान, कहा- फोन-इंटरनेट आतंकियों का हथियार

जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने दावा किया कि पिछले 24 दिन से जारी प्रतिबंधों में कश्मीर में एक भी आम व्यक्ति की जान नहीं गई है। उन्होंने राज्य प्रशासन में 50,000 नौकरियों का ऐलान करते हुए कहा कि हम यहां एक भी जान का नुकसान नहीं चाहते हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बुधवार को एक प्रेस कांफ्रेंस कर आने वाले दिनों में राज्य के लोगों के लिए 50,000 नौकरियों का ऐलान किया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के युवाओं से नौकरियों की तैयारी में पूरे जोश से जुटने की अपील करते हुए कहा कि आने वाले 2 से तीन महीनों में ये नियुक्तियां कर ली जाएंगी। साथ ही उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लिए केंद्र सरकार जल्द ही बड़ा ऐलान करेगी।

सत्यपाल मलिक ने दावा किया कि पिछले 24 दिनों में जम्मू-कश्मीर में जारी प्रतिबंधों में एक भी व्यक्ति की जान नहीं गई है, जो एक उपलब्धि है। राज्यपाल ने कहा कि उनका मुख्य फोकस राज्य की कानून व्यवस्था है और वे इसमें सफल रहे। उन्होंने दावा किया कि उनके लिए हर कश्मीरी की जान कीमती है और वे एक भी जान का नुकसान नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हिंसक होने की कोशिश कर रहे कुछ लोग घायल जरूर हुए हैं, लेकिन उन्हें भी कमर के नीचे चोट लगी है।


मोदी सरकार द्वारा राज्य का दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजन और अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने के बाद से कश्मीर घाटी में जारी प्रतिबंधों को लेकर आलोचना का सामना कर रहे राज्यपाल ने कुपवाड़ा और हंदवाड़ा में मोबाइल फोन सेवा चालू करने की घोषणा करते हुए जल्द ही दूसरे जिलों में भी संचार सेवा शुरू करने का ऐलान किया। फोन और इंटरनेट बंद करने पर उन्होंने कहा कि राज्य में फोन और इंटरनेट का इस्तेमाल हम लोग कम, आतंकवादी और पाकिस्तानी ज्यादा कर रहे थे। इटंरनेट राज्य के लोगों की भावनाओं को भड़काने और उन्हें गोलबंद करने का साधन बन गया था। उन्होंने कहा कि यह ऐसा हथियार बन गया था जिसका इस्तेमाल हमारे खिलाफ किया जा रहा था, इसलिए उसे रोका गया।

राज्य में कई जगहों पर सरकारी स्कूलों के खुलने के बावजूद बच्चों के नहीं पहुंचने को लेकर पूछे गए सवाल पर राज्यपाल ने कहा कि वे अभिभावकों पर अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए दबाव नहीं डाल सकते और न ही दुकानदारों को दुकान खोलने के लिए मजबूर कर सकते हैं। राज्यपाल ने कहा कि वह केवल इतना ही कहना चाहते हैं कि वह ऐसे लोगों के लिए अनुच्छेद-370 वापस नहीं ला सकते हैं।

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