डल्लेवाल का अनशन खत्म कराने पर जल्द फैसला ले सरकार, शहादत से पीछे नहीं हटेंगे किसान: राकेश टिकैत

टिकैत ने कहा कि जब 750 लोगों के शहीद होने के बाद किसान वापस नहीं हुए, तो अब डल्लेवाल अनशन के दौरान इस स्थिति में पहुंच गए हैं कि वहां से वापसी तभी संभव है, जब भारत सरकार उनकी मांगों को मान लेगी। सरकार को कमेटी से बातचीत करनी चाहिए।

डल्लेवाल का अनशन खत्म कराने पर जल्द फैसला ले सरकार, शहादत से पीछे नहीं हटेंगे किसान: राकेश टिकैत
डल्लेवाल का अनशन खत्म कराने पर जल्द फैसला ले सरकार, शहादत से पीछे नहीं हटेंगे किसान: राकेश टिकैत
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नवजीवन डेस्क

खनौरी बॉर्डर पर पिछले एक महीने से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की बिगड़ती सेहत पर चिंता जताते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार को जल्द बातचीत कर अनशन खत्म कराने की पहल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसान शहादत से पीछे नहीं हटेंगे, इस मामले में संज्ञान सरकार को लेना है।

राकेश टिकैट ने कहा कि जगजीत डल्लेवाल 30 दिनों से अनशन पर बैठे हैं और जब वह इतने दिनों तक अनशन करेंगे तो उनकी सेहत खराब ही होगी। टिकैत ने कहा, "सिख समाज शहीदी से पीछे नहीं हटता है, यह भी इनकी खासियत है और डल्लेवाल इस स्थिति में पहुंच गए हैं कि या तो भारत सरकार उनकी मांगों को पूरा करें, नहीं तो वह वापस नहीं जाएंगे। मेरे या किसी और दूसरे के बोलने से कि अनशन खत्म कर दो, यह निर्णय व्यक्ति के विचारों का होता है। हमें नहीं लगता कि वह अब अनशन से पीछे हटेंगे। उन्हें किसी ने जबरदस्ती नहीं बैठाया है और यह उनका खुद का निर्णय है।"


राकेश टिकैत ने कहा, "उनके पास आगे का भी प्लान है। अगर वह शहीद हो जाते हैं, तो उनकी जगह कोई और शख्स अनशन पर बैठ जाएगा। अगर दूसरा शहीद होता है, तो तीसरा बैठेगा। इस मामले में संज्ञान सरकार को लेना है।" उन्होंने कहा कि जब 750 लोगों के शहीद होने के बाद किसान वापस नहीं हुए, तो अब डल्लेवाल अनशन के दौरान इस स्थिति में पहुंच गए हैं कि वहां से वापसी तभी संभव है, जब भारत सरकार उनकी मांगों को मान लेगी। सरकार को कमेटी से बातचीत करनी चाहिए और अगर समझौता हो जाए तो उसे भी करना चाहिए। मैं खुद उनसे मुलाकात करने के लिए गया था और उनसे बातचीत भी हुई थी।

राकेश टिकैत ने कहा, "डल्लेवाल का अनशन भी आंदोलन का हिस्सा है। मेरा मानना है कि जान कीमती होती है, लेकिन भूख हड़ताल भी आंदोलन का हिस्सा है और इसका समय-समय पर आंदोलन में इस्तेमाल किया गया है। विपक्ष के हाथ में कुछ नहीं है, उन्हें सिर्फ अपनी जान बचानी है। वह कहते हैं कि संसद में आवाज उठाई गई और सुप्रीम कोर्ट तक भी आवाज पहुंची। कोर्ट ने भी कहा है, लेकिन संज्ञान तो भारत सरकार को लेना है। यह आंदोलन पांच महीने और चलेगा, जब 15 महीने आंदोलन हो जाएंगे, तब यह समाप्त होगा।

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