'जीएसटी दरों में कमी का स्वागत, लेकिन बहुत देर हो गई', चिदंबरम बोले- हमारी दलीलों पर नहीं दिया ध्यान

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि GST में व्यापक सुधारों का यह कदम सही दिशा में है लेकिन “आठ साल की देरी” से लिया गया है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

जीएसटी परिषद ने बुधवार को माल एवं सेवा कर (GST) में व्यापक सुधारों को मंजूरी दे दी। परिषद ने आम सहमति से मौजूदा चार स्लैब (5, 12, 18 और 28%) को घटाकर सिर्फ दो दरों 5% और 18% पर सहमति जताई है। नई दरें 22 सितंबर से लागू होंगी। साथ ही, व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम को पूरी तरह टैक्स मुक्त कर दिया गया है।

दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिली है। अब मक्खन-घी, सूखे मेवे, पनीर, नारियल पानी, नमकीन, जेली, बिस्कुट, आइसक्रीम, जैम, पेस्ट्री, कॉर्न फ्लेक्स और चीनी से बनी मिठाइयों पर टैक्स घटाकर 5% कर दिया गया है। वहीं, महंगी कारों, तंबाकू और सिगरेट पर 40% का विशेष स्लैब प्रस्तावित है, जबकि अनाज और सामान्य खाद्य वस्तुएँ पूरी तरह टैक्स फ्री रहेंगी।


इस फैसले का स्वागत करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि यह कदम सही दिशा में है लेकिन “आठ साल की देरी” से लिया गया है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि मौजूदा जीएसटी ढांचा और दरें पहले दिन से लागू होनी चाहिए थीं। विपक्ष ने लगातार चेतावनी दी थी लेकिन सरकार ने अनसुना किया।

चिदंबरम ने सरकार के इस अचानक फैसले के पीछे के कारणों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने लिखा कि जीएसटी को युक्तिसंगत बनाना और कई वस्तुओं व सेवाओं पर दरों में कमी स्वागत योग्य है, लेकिन आठ साल बहुत देर हो चुकी है। जीएसटी की मौजूदा व्यवस्था और आज तक प्रचलित दरों को शुरू में ही लागू नहीं किया जाना चाहिए था। हम पिछले आठ सालों से जीएसटी की व्यवस्था और दरों के खिलाफ लगातार आवाज उठा रहे हैं, लेकिन हमारी दलीलों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।

चिदंबरम ने सुधारों के लिए सरकार के समय पर भी सवाल उठाए और अचानक बदलाव के संभावित कारणों पर अटकलें लगाईं। उन्होंने कई आर्थिक और राजनीतिक कारकों का हवाला दिया, जिन्होंने आठ साल की देरी के बाद इस फैसले को प्रभावित किया होगा, जिनमें अमेरिका में भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए टैरिफ और इस साल के अंत में होने वाले बिहार चुनाव शामिल हैं।

उन्होंने आगे कहा कि यह अनुमान लगाना दिलचस्प होगा कि सरकार ने ये बदलाव क्यों किए: सुस्त विकास? बढ़ता घरेलू कर्ज? घटती घरेलू बचत? बिहार में चुनाव? ट्रम्प और उनके टैरिफ? ये सब?" हालांकि निर्मला सीतारमण ने साफ कह दिया है कि जीएसटी दरों में बदलाव का अमेरिकी टैरिफ से कोई संबंध नहीं है।

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