नहीं लगाया मास्क तो कोरोना केयर सेंटर में करना होगा काम, गुजरात हाईकोर्ट ने दिया बड़ा आदेश

इसके अलावा हाईकोर्ट ने बीजेपी विधायक कांति गामित द्वारा आयोजित एक पारिवारिक समारोह में सभी कोविड-19 प्रोटोकॉल और दिशानिर्देशों की धज्जियां उड़ाने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए राज्य सरकार से पूछा है कि वह इस मामले को लेकर क्या कर रही है।

फोटोः सोशल मीडिया
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आसिफ एस खान

गुजरात हाईकोर्ट ने बुधवार को कोविड-19 महामारी को लेकर एक बड़ा फैसला दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य में जो लोग मास्क नहीं पहन रहे हैं, उनसे जुर्माना वसूलना ही काफी नहीं है, बल्कि इन लोगों से कोरोना मरीज देखभाल केंद्रों (कोरोना केयर सेंटर) में पांच से 15 दिनों के लिए सेवा कराई जाए। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस संबंध में एक नोटीफिकेशन जारी करने का आदेश दिया है।

न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला के साथ मुख्य न्यायाधीश विक्रमनाथ की पीठ ने कोरोना वायरस और राष्ट्रव्यापी बंद की स्थिति पर सुनवाई की, जिसके लिए 50 से अधिक जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। अदालत ने गुजरात सरकार को कोविड-19 के नियमों का उल्लंघन करते हुए फेस मास्क न पहनने वाले लोगों पर 1000 हजार रुपये का जुर्माना वसूलने के साथ ही कोविड-19 देखभाल केंद्रों पर सेवा सुनिश्चित करने के लिए एक अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया।

इसके अलावा हाईकोर्ट ने बीजेपी विधायक कांति गामित की ओर से कथित तौर पर आयोजित एक पारिवारिक समारोह में सभी कोविड-19 प्रोटोकॉल और दिशानिर्देशों की धज्जियां उड़ाने पर आश्चर्य व्यक्त किया। अदालत ने यह भी पूछा कि राज्य सरकार इस मुद्दे के बारे में क्या कर रही है।सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो के अनुसार 6,000 से अधिक व्यक्ति उनके पोते की सगाई समारोह में शामिल हुए थे और इनमें से अधिकांश बिना मास्क के थे और सभी कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर रहे थे।

अदालत ने इस पर कहा, "यह चौंकाने वाला और दुर्भाग्यपूर्ण है। इतनी बड़ी संख्या में लोगों के जुटने पर पुलिस क्या कर रही थी? सरकार जिस तरह से स्थिति को संभाल रही है, उससे हम बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हैं। इस तरह की घटनाएं आपके अब तक के सभी प्रयासों को व्यर्थ कर देती हैं।"

इससे पहले हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह सरकार को सुझाव दिया था कि चूंकि लोग महज जुर्माने की चेतावनी पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, इसलिए उनसे जुर्माना वसूलने के अलावा आठ से 10 दिनों के लिए कोविड केयर सेंटर्स पर सेवा भी कराई जानी चाहिए, ताकि वह महामारी को गंभीरता से लें।

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