कोविड बूस्टर डोज निजी हाथों में सौंपना, देश की जनता के साथ भेदभाव और अन्याय, कांग्रेस का सरकार पर हमला

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा कि 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोग जिन्होंने दूसरी खुराक लेने के नौ महीने पूरे कर लिए हैं, वे निजी केंद्रों पर एहतियाती खुराक के लिए पात्र होंगे, जो शुल्क देकर टीका लगवा सकते हैं।

फोटो: IANS
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नवजीवन डेस्क

कांग्रेस ने केंद्र 8 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए एहतियाती कोविड-19 टीके की तीसरी खुराक केवल निजी अस्पताल में उपलब्ध कराने की घोषणा पर निशाना साधा है। पार्टी ने इसे गरीब और अमीर के बीच भेदभाव और अन्याय करार दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा कि 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोग जिन्होंने दूसरी खुराक लेने के नौ महीने पूरे कर लिए हैं, वे निजी केंद्रों पर एहतियाती खुराक के लिए पात्र होंगे, जो शुल्क देकर टीका लगवा सकते हैं। केंद्र सरकार के इसी फैसले पर सवाल उठाते हुए, कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देश भी मुफ्त में बूस्टर डोज दिए जा रहे हैं पर केंद्र की मोदी सरकार पर निजी निकायों को बूस्टर खुराक को 'बेचने' की अनुमति देकर मुनाफाखोरी को बढ़ावा क्यों दे रही है।

सिंघवी ने रविवार को कहा कि यह समझ नहीं आ रहा है कि केंद्र सरकार ने चीन के एप को तो प्रतिबंधित कर दिया, लेकिन वह लोगों के बीच चीन की दीवार बना रही है। सरकार का कदम गरीब और अमीर के बीच दीवार खड़ी करता है। यह शहरी और ग्रामीण भारत के बीच दीवार खड़ी करता है।

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि निजी क्षेत्र उन भारतीयों की कीमत पर करोड़ों रुपये कमाएगा जो पहले से ही उच्च कीमतों और मुद्रास्फीति से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक बूस्टर खुराक का खर्च 800 रुपये होगा। यह कोई इतनी कम रकम नहीं है कि हर व्यक्ति खर्च सके। अगर हर व्यक्ति इतना पैसा खर्च करना भी चाहे तो भी देश के बड़े हिस्से में निजी अस्पताल नहीं है। जबकि सरकारी अस्पतालों में बूस्टर खुराक लेने की सुविधा नहीं दी गई।


उन्होंने दावा किया देश में 18 से 60 साल की आयु वर्ग के लोगों की आबादी करीब 60 करोड़ है। इस हिसाब से 48000 करोड़ रुपया निजी क्षेत्र को जाएगा। ये केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार की चालाक और कठोर प्रकृति को उजागर करता है।

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Published: 10 Apr 2022, 9:13 AM