मध्य प्रदेश विधानसभा में गूंजा हरदा विस्फोट कांड, कांग्रेस का न्यायिक जांच की मांग को लेकर हंगामा, किया वॉकआउट

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सदन के बाहर कहा कि हरदा में जो हुआ उसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए। अधिकारी जांच करेंगे तो वह अपने साथियों को बचाएंगे ही। एसपी और कलेक्टर का सिर्फ तबादला काफी नहीं है बल्कि उन पर आपराधिक मामला दर्ज होना चाहिए।

मध्य प्रदेश विधानसभा में गूंजा हरदा विस्फोट कांड, कांग्रेस ने न्यायिक जांच की मांग को लेकर किया हंगामा
मध्य प्रदेश विधानसभा में गूंजा हरदा विस्फोट कांड, कांग्रेस ने न्यायिक जांच की मांग को लेकर किया हंगामा
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नवजीवन डेस्क

मध्य प्रदेश विधानसभा में गुरुवार को कांग्रेस के विधायकों ने हरदा में पटाखा फैक्ट्री में हुए भीषण विस्फोट मामले की न्यायिक जांच की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया। बीजेपी सरकार ने जब मांग नहीं मानी गई तो कांग्रेस विधायकों ने नारेबाजी करते हुए विधानसभा से वॉकआउट कर दिया। कांग्रेस नेता उमंग सिंघार ने कहा कि मामले की अधिकारी जांच करेंगे तो वह अपने साथियों को बचाएंगे। मामले की न्यायिक जांच करानी चाहिए।

विधानसभा सत्र के दूसरे दिन गले में पटाखे की आकृति लटकाए आए कांग्रेस विधायकों ने हरदा की पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट का मामला उठाया और मामले की न्यायिक जांच करने की मांग की। इस पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने यह करते हुए इनकार कर दिया कि विस्फोट मामले की जांच कराई जा रही है, जो दोषी होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी।


जब सरकार की ओर से न्यायिक जांच कराने का आश्वासन नहीं मिला तो कांग्रेस विधायक हंगामा करते हुए सदन से बाहर आ गए। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सदन के बाहर कहा कि हरदा में जो हुआ है, वह चिंताजनक है। मामले में अधिकारियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाना चाहिए। साथ ही न्यायिक जांच करानी चाहिए। इस मामले की अधिकारी जांच करेंगे तो वह अपने साथियों को बचाएंगे ही। एसपी और कलेक्टर का सिर्फ तबादला काफी नहीं है बल्कि उन पर आपराधिक मामला दर्ज होना चाहिए।

वहीं उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे का कहना है कि यह अवैध पटाखा फैक्ट्री सत्ताधारी दल के नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों के संरक्षण में चल रही थी। इसलिए जरूरी है कि इस पूरे घटनाक्रम की न्यायिक जांच कराई जाए। बता दें कि हरदा फैक्ट्री विस्फोट मामले में पटाखा फैक्ट्री संचालक सहित तीन लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है और संचालक का मकान भी सील किया जा चुका है। इसके साथ ही पूरे मामले की जांच के लिए मुख्यमंत्री ने प्रशासनिक समिति गठित की है, लेकिन न्यायिक जांच से इनकार कर रहे हैं।

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