हरियाणा बना बेरोजगारी हब, BJP-JJP बनी अभिशाप- सुरजेवाला, सैलजा और चौधरी ने एक साथ बोला खट्टर सरकार पर हमला

कांग्रेस के तीनों दिग्‍गज नेताओं ने कहा कि अब हरियाणा के युवाओं के सामने एक ही रास्ता बचा है। हरियाणा से बीजेपी-जेजेपी सरकार को उखाड़कर फेंक दें। अब आमूलचूल सत्ता परिवर्तन का संघर्ष ही युवाओं का रास्ता है।

हरियाणा बना बेरोजगारी हब, BJP-JJP बनी अभिशाप
हरियाणा बना बेरोजगारी हब, BJP-JJP बनी अभिशाप
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धीरेंद्र अवस्थी

हरियाणा की बीजेपी-जेजेपी सरकार पर कांग्रेस ने बड़ा हमला बोला है। यह हमला बोला गया है मनोहर लाल खट्टर सरकार की सबसे कमजोर कड़ी रोजगार के सवाल पर। 37 फीसदी (सीएमआईई के मुताबिक) तक बेरोजगारी का आंकड़ा छूने वाले हरियाणा ने देश के बेरोजगारी इंडेक्‍स में सर्वाधिक उंचाई तक पहुंचने का रिकार्ड बनाया है। देश में लंबे समय तक बेरोजगारी में अव्‍वल रहने का रिकार्ड बनाने वाले हरियाणा के खाते में यह एक ऐसी उपलब्धि है, जिसे कोई भी सरकार कभी याद नहीं रखना चाहेगी। खट्टर सरकार के पास भी इसका कोई जवाब नहीं है।

कांग्रेस के 3 दिग्‍गजों एआईसीसी महासचिव और कर्नाटक प्रभारी रणदीप सुरजेवाला, छत्‍तीसगढ़ प्रभारी कुमारी सैलजा और पूर्व मुख्‍यमंत्री चौ. बंसीलाल की बहू और भिवानी के तोशाम से विधायक किरण चौधरी ने एक साथ हरियाणा के इस सबसे बड़े सवाल पर खट्टर सरकार को घेरा है। तीनों ने कहा कि    

खट्टर सरकार है, ‘युवाओं के लिए अभिशाप’! 

बीजेपी-जेजेपी ने युवाओं के भविष्य की ‘भ्रूण हत्या की’! 

दुष्यंत-मनोहर की जोड़ी - लाखों युवाओं की किस्मत फोड़ी!

तीनों दिग्‍गजों ने कहा कि हरियाणा देश का ‘‘बेरोजगारी हब’’ बन गया है। प्रदेश के युवाओं को तबाही की राह पर धकेलकर मुख्यमंत्री, मनोहर लाल खट्टर राहगिरी कर रहे हैं। बीजेपी-जेजेपी सरकार हरियाणा के युवाओं के लिए अभिशाप बन गई है। हरियाणा के लाखों गुणी युवा दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं, न सरकारी नौकरी है और न ही प्राईवेट सेक्टर में नौकरी की उम्मीद। कुछ है तो 40 से अधिक परीक्षाओं के पेपर बेचने वाला ‘‘पेपर लीक माफिया’’।  

कांग्रेस नेताओं ने सरकार को घेरते हुए कहा कि बेरोजगारी में हरियाणा देश में लगातार नंबर वन है। सीएमआईई के जनवरी 2023 के आंकड़ों के मुताबिक हरियाणा में बेरोजगारी की दर 37.4 प्रतिशत है। पिछले कई सालों से बेरोजगारी दर 20 प्रतिशत से अधिक है। तीन तथ्‍यों से बीजेपी-जेजेपी निर्मित ‘‘बेइंतहा बेराजगारी’’ का सबूत साबित हो जाता हैः- 

(i) अकेले सीईटी के पेपर के लिए 11,22,000 युवाओं ने फॉर्म भरा।  

(ii) 7,72,000 युवाओं ने कच्ची नौकरी के लिए हरियाणा कौशल रोजगार निगम में रजिस्ट्रेशन करवाया है। इसमें पीएचडी, एमएससी, एमटेक और एमबीए पास बेरोजगार भी शामिल हैं।  

(iii) हरियाणा के सरकारी विभागों, बोर्ड और निगमों में क्लास 3 और क्लास 4 के 60,000 पदों की भर्ती के लिए 1000,000 से ज्यादा युवाओं ने दरखास्त दी है।

आलम यह है कि हरियाणा में न कच्ची नौकरी है, और न पक्की। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि साल 2019 से सीआईटी (कॉमन एलीजिबिलिटी टेस्‍ट) के नाम पर हरियाणा के युवाओं को बेवकूफ बनाने की साजिश की जा रही है। साल 2019 वाली सारी भर्तियां सीईटी में दे दी गईं। साल 2021 में ग्राम सचिव का पेपर लीक हो गया। उसे भी सीईटी में दे दिया गया।  ठोकरें खा रहे 11,22,200 युवाओं ने सीईटी के लिए दरख्वास्त दी। आखिर में चार शिफ्टों में सीईटी का पेपर 5 और 6 नवंबर, 2022 को लिया गया। इसका रिज़ल्ट 10 जनवरी, 2023 को आया। पर उसे ‘‘पब्लिक डोमेन’’ में जारी नहीं किया गया। हाईकोर्ट के आदेश पर 29 जून, 2023 को रिज़ल्ट पब्लिश किया गया, जिसमें 3,59,146 युवा सीईटी पास दिखाए गए हैं। हालांकि हाईकोर्ट में खट्टर सरकार और एचएसएससी ने सीईटी पास होने वाले युवाओं की संख्या 2,92,000 बताई थी।


कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सीईटी का तथाकथित रिवाईज़्ड रिज़ल्ट हरियाणा के नौजवानों से एक भद्दा मजाक है। युवाओं की ज़िंदगी से सीईटी के नाम पर खिलवाड़ हो रहा है। पहले सीईटी ले लिया गया और अब पासहुए 3,59,000 युवाओं को कहा जा रहा है कि केवल एडवरटाईज़ पोस्ट के 4 गुना उम्मीदवार ही बुलाए जाएंगे। तो बाकी कहां जाएंगे? उत्तर प्रदेश में ऐसे उम्मीदवारों की संख्या 15 गुना है और राजस्थान में भी 15 गुना है। हालांकि भारत सरकार में सीईटी नहीं होता पर एसएससी, रेलवेज़ और बैंकिंग के पदों में भी 10 से 12 गुना उम्मीदवार बुलाए जाते हैं। फिर खट्टर सरकार इन्हें चार गुना तक सीमित कर युवाओं की जिंदगी से छल क्यों कर रही है?

कांग्रेस नेताओं ने सवाल किया कि अलग-अलग योग्यता वाली सारी श्रेणियों के लिए एक ही सीईटी क्यों? इंजीनियरिंग, जेईई, सिस्टम इंजीनियर और अनेकों ऐसी टेक्निकल पोस्ट हैं, पर उनका अलग सीईटी नहीं लिया गया। इसी प्रकार से 12वीं और ग्रेजुएट्स का सीईटी भी एक ही है। अलग-अलग योग्यता रखने वाले यानी 12वीं से मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग तक योग्यता वाले युवाओं का आकलन एक ही सीईटी से कैसे किया जा सकता है? सीईटी के पेपर में 63 ग्रुप्स (12 वीं पास, ग्रेजुएट्स, इंजीनियर आदि) और 401 कैटेगरी  (एएलएम, जेईई, जेएससी)  इत्यादि हैं। जब 63 ग्रुप्स और 401 कैटेगरी का सीईटी रिज़ल्ट कॉमन है तो फिर इनकी अलग-अलग छंटनी कर 4 गुना उम्मीदवार खट्टर सरकार कैसे बुलाएगी? जब रिज़ल्ट की प्रक्रिया में ही सालों लग गए तो इस छंटनी और पेचीदगी में तो कई महीने और साल लगेंगे। 

उन्होंने कहा कि सीईटी का रिज़ल्ट अपने आप में त्रुटिपूर्ण है। अनेक उम्मीदवारों ने ‘‘सोशियो इकॉनॉमिक कैटेगरी एसईसी के अंक हटाने के लिए दरखास्त दी पर सीईटी रिज़ल्ट में वो नहीं हटाए गए। हजारों से अधिक उम्मीदवारों ने एसईसी के नंबर जोड़ने के लिए दरखास्त दी पर वो नहीं जोड़े गए। कई ऐसे उम्मीदवार हैं, जिन्हें ‘‘नो गवर्नमेंट जॉब’’ के 5 नंबर दिए हैं और नौकरी में तजुर्बे के भी 5 नंबर दिए हैं, जो अपने आप में विरोधाभासी है। सीईटी के रिज़ल्ट में सैकड़ों-हजारों ईब्‍लूएस, एक्‍स सर्विसमैन कैटेगरी के उम्मीदवारों को जनरल कैटेगरी में दिखाया गया है और उसे दुरुस्त भी नहीं किया जा रहा।

तीनों दिग्‍गजों ने खामियों का सिलसिलेवार ब्‍यौरा देते हुए कहा कि सीईटी के प्रश्नों के तमाम जवाब तक गलत थे। ‘अंसर की’ के आधार पर 100 रुपये प्रति सवाल जमा करवाकर सैकड़ों-हजारों उम्मीदवारों ने ऐतराज दर्ज किए, पर सीईटी के 29 जून, 2023 के नतीजे में न उसकी सुनवाई हुई, न भरपाई। अब खट्टर सरकर और एचएसएससी का कहना है, कि ऐतराज सुने ही नहीं जाएंगे। ऐसे में पूरी सीईटी की प्रक्रिया ही गलत है। प्रक्रिया और नतीजे पर अदालत में सवाल उठना वाजिब है। फिर हरियाणा के युवाओं के भविष्य का क्या होगा?

राज्‍य में खाली पदों का ब्‍यौरा देते हुए कांग्रेस नेताओं ने कहा कि हरियाणा सरकार में करीब 200,000 पद खाली पड़े हैं। पर साल 2019 से 2023 के बीच कोई बड़ी भर्ती नहीं की गई। युवा दर-दर की ठोकरें खाते हैं और भाजपाई और जजपाई सत्ता की मलाई उड़ाते हैं। साथ ही हज़ारों भर्तियों का या तो नतीजा नहीं निकाला गया या फिर रद्द कर दी गईं या फिर गलत नीति बनाकर कोर्ट के पचड़े में उलझा दी गईं, जो निम्न हैं

(i) साल 2018, HSIIDC, Senior Manager (Estate) व Senior Manager (Utility) की डॉक्युमेंट वैरिफिकेशन साल 2021 में हुई। पर आज तक न इंटरव्यू और न नतीजा आया।  

(ii) साल 2020-21, स्टाफ नर्स, पोस्ट- 275, रिवाईज़्ड पोस्ट-307। सालों तक प्रक्रिया लटकी रही और डॉक्युमेंट वैरिफिकेशन के समय हाईकोर्ट के मुकदमे में उलझ गईं। 

(iii) साल 2019, Harco Bank पोस्ट संख्या 978, क्लर्क और जूनियर अकाउंटैंट इत्यादि। आज तक भी नतीजा नहीं निकल पाया। 

(iv) साल 2019 (एडवरटाईज़मेंट नं. 6/2019) में विधानसभा चुनाव से पहले 6,500 पुलिस कॉन्सटेबल की भर्तियां निकालीं गईं। विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें कैंसल कर दिया। साल 2020 (एडवरटाईज़मेंट नं. 4/2020) में फिर 6600 पुलिस कॉन्सटेबल की भर्ती निकाली (पुरुष 5500, महिला, 1100)। अगस्त 2021 में भर्ती पेपर लीक हो गया। फिर नवंबर-दिसंबर 2021 में दोबारा पेपर लिया गया। बगैर प्रक्रिया पूरी किए 17 जून, 2022 को रिज़ल्ट निकाला गया। मामला हाईकोर्ट में गया और 2413 पुरुष पुलिस कॉन्सटेबल और 1100 महिला पुलिस कॉन्सटेबल की भर्ती पर रोक लग गई।  

(v) साल 2019, आरोही स्कूलों में टीचिंग/नॉनटीचिंग पोस्ट संख्या 895। सालों तक भर्ती लटकी रही और फिर रद्द कर दी गई। 

(vi) ऐसी हज़ारों अन्य नौकरियां हैं, जिनका इश्तेहार निकाला, युवाओं से पैसा भरवाया, तैयारी का करोड़ों रुपया खर्च करवाया और बाद में उन्हें रद्द कर दिया गया। उदाहरण के तौर पर ग्राम सचिव (एडवरटाईज़मेंट नं. 9/2019, पोस्ट-697), पटवारी (एडवरटाईज़मेंट नं. 7/2019, पोस्ट- 530), कैनाल पटवारी (एडवरटाईज़मेंट नं. 8/2019, पोस्ट- 1100), महिला सुपरवाईज़र/इंस्पेक्टर (एडवरटाईज़मेंट नं. 15/2019, पोस्ट- 920), फायर ड्राईवर (एडवरटाईज़मेंट नं. 1/2019, पोस्ट- 1,780), कृषि विभाग की पोस्ट (एडवरटाईज़मेंट नं. 2/2020, पोस्ट-740), जूनियर लेक्चरर असिस्टेंट, जेएलई (एडवरटाईज़मेंट नं. 11/2017, पोस्ट- 61),पीजीटी संस्कृत (एडवरटाईज़मेंट नं. 4/2015, पोस्ट-626), टीजीटी संस्कृत (एडवरटाईज़मेंट नं. 7/2015, पोस्ट- 664, इलेक्शन तहसीलदार+ आईटीआई (एडवरटाईज़मेंट नं. 1/2020)।  पहले पेपर लीक हुआ फिर दोबारा एग्ज़ाम हुआ। 17 जून, 2022 को आनन-फानन में रिज़ल्ट निकाला।  

(vii)   हाल में ही 2 दिसंबर, 2022 को पीजीटी और टीजीटी श्रेणी में 2,069 अध्यापकों की भर्ती हुई। अब उन सबको बगैर कारण बताए खारिज कर दिया गया। 

(viii) पीजीटी अध्यापकों के 4600 पदों के साथ भी फुटबॉल बना लगातार खिलवाड़ हो रहा है। साल 2019 में पीजीटी अध्यापकों की पोस्ट एचएसएससी के माध्यम से निकाली गई। बाद में उस भर्ती प्रक्रिया को कैंसल कर साल 2022 में एचपीएससी को ट्रांसफर कर दिया गया। कई बार क्राइटेरिया बदलने के बाद अब 25 मई, 2023 को 8 विषयों के 3,863 पीजीटी पद और 613 मेवात काडर के पीजीटी पदों की भर्ती खारिज कर दी गई। अब फिर इश्तेहार निकला है और फिर नई भर्ती का नाटक होगा।


खट्टर सरकार की मनमानी का आलम यह है कि जहां भर्ती हो पाती है वहां भी हरियाणा से बाहर के युवाओं को ही रोजगार दिया जाता है। हरियाणा की माटी के सपूत ठगे हुए से खड़े-खड़े देखते रहते हैं। जैसे- 

(i) साल 2019 एसडीओ बिजली विभाग भर्ती में 80 पदों में मात्र 2 उम्मीदवार ही हरियाणा के भर्ती हुए। फिर वह भर्ती कैंसल करनी पड़ी।    

(ii) साल 2019 एचसीएस भर्ती में एक तिहाई उम्मीदवार हरियाणा से बाहर के भर्ती हुए। साल 2020-21 में एसडीओ के 180 पदों में मात्र 22 हरियाणा के युवाओं की ही भर्ती हो पाई। फिर यह भर्ती भी कैंसल करनी पड़ी।  

(iii) साल 2019 में असिस्टेंट प्रोफेसर पॉलिटिकल साईंस की भर्ती में 18 में से 11 उम्मीदवार बाहरी थे और 7 हरियाणवी थे। एग्रीकल्चर डेवलपमेंट ऑफिसर की जनरल कैटेगरी के 23 पदों में 16 बाहरी और केवल 7 हरियाणा के युवाओं की ही भर्ती हो पाई।  

(iv) साल 2021 में टेक्निकल एजुकेशन लेक्चरर के पदों में जनरल कैटेगरी की श्रेणी में 157 पदों में 106 बाहरी व्यक्तियों की भर्ती हुई व केवल 51 हरियाणा के युवाओं को मौका मिल पाया।  

(v) हरियाणा अकेला ऐसा प्रांत है जहां स्टाफ नर्स व वेटेरिनरी की पोस्ट के लिए हरियाणा नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल व हरियाणा वेटेरिनरी रजिस्ट्रेशन काउंसिल का पंजीकरण अनिवार्य नहीं, जबकि दूसरे प्रदेशों में प्रांतीय काउंसिल का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। नतीजा यह है कि बाहर के युवा हरियाणा में नर्सिंग व वेटेरिनरी में भर्ती हो रहे हैं और हरियाणा के युवाओं को न हरियाणा में जगह मिलती और न बाहर।  

कांग्रेस के तीन दिग्‍गज नेताओं ने कहा कि अब हरियाणा के युवाओं के सामने एक ही रास्ता बचा है। हरियाणा से बीजेपी-जेजेपी सरकार को उखाड़कर फेंक दें। अब आमूलचूल सत्ता परिवर्तन का संघर्ष ही युवाओं का रास्ता है। 

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