कोरोना से लड़ने के बजाय शराब के ठेके खोलना है हरियाणा सरकार की प्राथमिकता, कांग्रेस ने उठाए सवाल

हरियाणा में खट्टर की अगुवाई वाली बीजेपी-जेजपी सरकार शराब की फैक्टरियां खुलवाने और शराब की बिक्री शुरु कराने का फरमान जारी करने के बाद निशाने पर आ गई है। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इस पर सरकार से जवाब मांगा है।

फोटो : सोशल मीडिया
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धीरेंद्र अवस्थी

पूरा देश इस समय कोरोना वायरस महामारी के संकट से दो चार है, लेकिन हरियाणा में बेजेपी की अगुवाई वाली खट्टर सरकार जल्द से जल्द शराब की फैक्टरियां खुलवाने और शराब की बिक्री शुरु कराने को आतुर नजर आ रही है। सरकार के इस फरमान को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि ऐसे वक्त में जब पूरा देश कोरोना से लड़ रहा है, उस समय बीजेपी सरकार शराब को लेकर चिंतित नजर आ रही है। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने कहा है कि शराब की बिक्री शुरु कराने से पहले सरकार की प्राधमिकता कोरोना टेस्ट की संख्या बढ़ाने और पीपीई, मास्क और ग्लव्स जैसे संसाधनों को मुहैया कराने पर होनी चाहिए।

कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने इस मुद्दे पर खट्टर सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि बीजेपी-जेजपी सरकार ने एक बार फिर पूरे प्रदेश को शर्मसार करते हुए यह साबित किया है कि खट्टर-चौटाला की जोड़ी दशा व दिशा भ्रम से ग्रस्त है। उन्होंने कहा कि लगता है कोरोना से जंग लड़ने की बजाए मुख्यमंत्री-उप-मुख्यमंत्री की जोड़ी शराब की फैक्ट्रियां चलवाने, होलसेल व रिटेल के शराब के ठेके खुलवाने तथा शराब बिकवाने को ही जनसेवा का रास्ता मान बैठी है।

दरअसल शनिवार 11 अप्रैल, 2020 की शाम को जारी खट्टर-चौटाला सरकार के फरमान ने पूरे प्रदेश को स्तब्ध कर दिया है। इस आदेश के मुताबिक खट्टर सरकार की प्राथमिकता है कि सब जिलों में जल्द से जल्द शराब की फैक्ट्रियां चालू हो जाएं, होलसेल व रिटेल के सब शराब ठेके चालू हों व शराब की बिक्री जोरशोर से हो। सुरजेवाला ने कहा है कि ऐसा लगता है कि बीजेपी-जेजेपी सरकार ने अपनी प्राथमिकताएं शराब लॉबी को गिरवी रख दी हैं और प्रदेश की जनता को भगवान भरोसे छोड़ दिया है।

कोरोना से लड़ने के बजाय शराब के ठेके खोलना है हरियाणा सरकार की प्राथमिकता, कांग्रेस ने उठाए सवाल

सुरजेवाला ने कहा कि,वक्त की मांग है कि विदेश से आए व्यक्तियों व कोरोना संक्रमण से संदिग्ध हर व्यक्ति का टेस्ट हो। लेकिन 1 फरवरी से 12 अप्रैल, 2020 तक, यानि 71 दिन बीत जाने के बाद भी सर्विलांस पर लिए गए 25,337 व्यक्तियों में से मात्र 3,663 व्यक्तियों का ही कोरोना टेस्ट करवाया गया है। उसमें से भी 1,026 लोगों की तो आज तक रिपोर्ट ही नहीं आई। साफ है कि प्रदेश में एक दिन में केवल 51 कोरोना टेस्ट ही हो पा रहे हैं। इतनी बड़ी आबादी वाले प्रदेश में यह आंकड़ा अपने आप में चिंताजनक भी है तथा सरकार की नाकामी को जगजाहिर करता है।

सुरजेवाला ने कहा कि हरियाणा में डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए न पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट हैं, न एन-95 मास्क हैं, न बॉडी कवरऑल, न ग्लव्स और न गॉगल्स। कोरोना की रोकथाम के लिए प्रदेश के 85 शहरों व लगभग 7,500 गांव में भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा चिन्हित ‘सोडियम हाईपोक्लोराईट’ दवा का कहीं भी छिड़काव तक नहीं किया गया। दो अपवाद केवल कैथल व नरवाना शहर हैं, जहां कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने अपने स्रोतों से यह छिड़काव करवाया। सरकार द्वारा केवल ब्लीचिंग पाऊडर छिड़काव के लिए उपलब्ध करवाया गया, जो न तो रिकमेंडेड है और न ही कोरोना के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है। सवाल है कि सरकार हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठी है?


उन्होंने कहा कि सबसे पहले खट्टर-चौटाला सरकार ने 1000 रुपये के लाइसेंस में घर-घर शराब ठेके खुलवाने की आबकारी नीति बनाई। इसके बाद लॉकडाऊन के शुरुआती दिनों में शराब ठेके खुले रखे। फिर शराब ठेके बंद होने के बावजूद दोगुने-तिगुने दामों में शराब की होम डिलीवरी की छूट पर आंख मूंद ली और यह कालाबाजारी आज भी जारी है। अब खट्टर-चौटाला सरकार की पूरी ताकत शराब की फैक्ट्रियां चलवाने, होलसेल व रिटेल ठेके खुलवाने तथा शराब बिकवाने में लगी है। हमारी मांग है कि जनविरोधी खट्टर-चौटाला सरकार सामने आई शराब नीति पर हरियाणा को जवाब दे।

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