क्‍या खट्टर सरकार और अडानी की दोस्‍ती का खामियाजा बिजली कटौती के रूप में भुगत रहा है हरियाणा!

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सवाल उठाया है कि क्या खट्टर सरकार और अडानी की दोस्ती का खामियाजा हरियाणा को घंटों बिजली कटौती के रूप में भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को स्पष्ट करना होगा कि राज्य को राहत देने के लिए क्या किया जा रहा है।

Getty Images
Getty Images
user

धीरेंद्र अवस्थी

क्‍या मोदी-खट्टर सरकार और अडानी की दोस्‍ती का खामियाजा हरियाणा घंटों की बिजली कटौती के तौर पर भुगत रहा है? 12 घंटे तक की भीषण बिजली कटौती से गुजर रहे हरियाणा में जिंदगी दुश्‍वार हो गई है। हालात ऐसे हैं कि खेती सूखे की कगार पर है व अंबाला, यमुनानगर, कुंडली, फरीदाबाद, गुड़गांव, मानेसर समेत पूरे प्रांत में उद्योग ठप्प पड़े हैं। कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इसके लिए चंडीगढ़ में खट्टर सरकार पर हमला करते हुए गंभीर सवाल उठाए हैं।

जुलाई से सितंबर, 2022 तक हर महीने प्रांत में बिजली की मांग लगभग 12,000 मेगावॉट होगी। इस मांग के मुकाबले में जून से सितंबर तक हर महीने 3000 मेगावॉट से 4000 मेगावॉट बिजली की कम आपूर्ति हो पाएगी। सुरजेवाला ने कहा कि इसका कारण है अडानी पॉवर, मुंद्रा, गुजरात से मिलने वाली 1424 मेगावॉट बिजली का 1 यूनिट भी न मिलना व प्रांतीय सरकार की विफलता के चलते खुद के बिजलीघरों में उत्पादन न हो पाना।

उन्होंने कहा कि हरियाणा के लोग इसलिए भुगत रहे हैं क्योंकि खट्टर सरकार की प्राईवेट बिजली उत्पादकों से मिलीभगत साफ है। हरियाणा के लोगों पर दोहरी मार पड़ रही है। पहला, हरियाणा को सस्ते रेट पर मिलने वाली कॉन्ट्रेक्टेड बिजली सप्लाई नहीं मिल पा रही। दूसरा, बिजली की कम आपूर्ति को पूरा करने के लिए हरियाणा को दोगुने रेट पर बिजली खरीदनी पड़ रही है। सरकार के खजाने को चूना लगाया जा रहा है और सत्ता में बैठे मठाधीश एक नए किस्म के क्रोनी कैपिटलिज़्म को बढ़ावा दे रहे हैं।

सुरजेवाला ने कहा कि 24-11-2007 को अडानी पॉवर ने 25 साल के लिए 1424 मेगावॉट बिजली 2.94 रुपये प्रति यूनिट की दर से हरियाणा को सप्लाई करने के लिए कंपटिटिव बिड दी। 31-07-2008 को अडानी पॉवर की बिड मंजूर कर ली गई। 07 अगस्त, 2008 को हरियाणा की बिजली कंपनियों द्वारा 1424 मेगावॉट बिजली 2.94 रुपये प्रति यूनिट के रेट से 25 साल के लिए खरीदने हेतु अडानी पॉवर से ‘बिजली खरीद समझौता’ (पीपीए) कर लिया गया, जिसके तहत मुंद्रा से महेंद्रगढ़ तक अडानी पॉवर द्वारा बिजली की लाईन भी बिछाई गई। इसके बाद 2010-11 में इंडोनेशिया में कोयले के रेट को लेकर कानून में बदलाव हुआ। इसके आधार पर अडानी पॉवर ने हरियाणा के साथ हुए पीपीए को सिरे से खारिज करने या बढ़ी हुई कोयले की कीमतें हरियाणा द्वारा दिए जाने की मांग रखी।


उन्होंने कहा कि 11-04-2017 को केंद्रीय बिजली नियमन आयोग (सीईआरसी) से सुप्रीम कोर्ट तक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अडानी पॉवर द्वारा पीपीए को सिरे से खारिज किए जाने या फिर इंडोनेशिया के कोयले की बढ़ी हुई कीमत हरियाणा द्वारा दिए जाने की मांग को सिरे से खारिज कर दिया। अब साल 2021 से ही इंडोनेशिया के कोयले की बढ़ी हुई कीमतों को कारण बताकर अडानी पॉवर ने हरियाणा की बिजली कंपनियों को बिजली सप्लाई रोक रखी है।

सुरजेवाला ने बताया कि अडानी पॉवर को पीपीए के मुताबिक बिजली सप्लाई करने के लिए बाध्य करने की बजाय खट्टर सरकार ने रहस्यमयी चुप्पी साध रखी है। उल्टा खट्टर सरकार हरियाणा के खजाने पर सैकड़ों करोड़ रुपये का बोझ डालकर 5 से 8 रुपये प्रति यूनिट तक की शॉर्ट टर्म बिजली की खरीद कर रहे हैं।

सुरजेवाला ने कहा कि कमाल की बात यह है कि खट्टर सरकार यह महंगी बिजली अडानी पॉवर की ‘रिस्क एवं कॉस्ट’ पर नहीं कर रही। यहां तक कि एचईआरसी ने भी खट्टर सरकार द्वारा महंगी बिजली की खरीद अडानी पॉवर की ‘‘रिस्क एंड कॉस्ट’’ पर न करने पर सवाल उठाया है। हरियाणा सरकार ने अब 15 अप्रैल, 2022 से 14 अप्रैल, 2025 तक 3 साल के लिए 500 मेगावॉट बिजली एमबी पॉवर, मध्यप्रदेश से 5.70 रुपये प्रति यूनिट की दर से व आरकेएम पॉवर, छत्तीसगढ़ से 5.75 रुपये प्रति यूनिट की दर से खरीदने का निर्णय किया है। गौरतलब है कि अडानी पॉवर के पीपीए में जो बिजली हरियाणा को 2.94 रुपये प्रति यूनिट मिलनी थी वह अब उपरोक्त दोनों पीपीए में 5.75 रुपये प्रति यूनिट की दर से मिलेगी। इसका मतलब हरियाणा को 2.81 रुपये प्रति यूनिट कीमत अधिक देनी होगी। केवल 500 मेगावॉट बिजली खरीद पर, अतिरिक्त देय राशि 140.50 करोड़ प्रति दिन या 51,282 करोड़ सालाना होगी।

ज्ञात रहे कि इसके अलावा भी हरियाणा शॉर्ट टर्म पॉवर के नाम पर और अधिक महंगी बिजली खरीद रहा है, क्योंकि अडानी पॉवर की बिजली उपलब्ध नहीं है।


सुरजेवाला ने कहा कि कमाल की बात यह है कि 22 अप्रैल, 2022 को ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने गुड़गांवां में बयान देकर कहा कि वह प्राईवेट बिजली उत्पादक कंपनियों को अनुरोध करेंगे कि वे ‘‘रीज़नेबल रेट’’ पर बिजली दें। अगर अडानी पॉवर को कोयले की बढ़ी हुई कीमतें दी गईं तो सरकारी खजाने पर सालाना 2200 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। कुछ इसी तरह की बात देश के बिजली मंत्री ने 19 अप्रैल, 2022 की बैठक में कही है। उन्‍होंने कहा कि अब खट्टर सरकार से जनता के सवाल हैं कि साल 2021 से लगातार 1424 मेगावॉट बिजली सप्लाई न करने पर भाजपा-जजपा सरकार द्वारा अडानी पॉवर के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई।

सुरजेवाला ने सवाल पूछा कि आखिर मुख्यमंत्री व सरकार भविष्य में यह 1424 मेगावॉट बिजली सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए क्या कार्रवाई करेंगे? खट्टर सरकार महंगी बिजली की खरीद अडानी पॉवर के ‘रिस्क व कॉस्ट’ पर क्यों नहीं कर रही? 500 मेगावॉट महंगी बिजली 5.75 रुपये प्रति यूनिट खरीदने से सरकार के खजाने पर पड़ने वाले सालाना 51,282 करोड़ के बोझ की रिकवरी खट्टर सरकार कब तक और कैसे करेगी? मुख्यमंत्री व केंद्रीय बिजली मंत्री अडानी पॉवर को पीपीए में निर्धारित 2.94 रुपये प्रति यूनिट के रेट के अलावा अतिरिक्त रेट देने की चर्चा बार-बार क्यों कर रहे हैं?

सुरजेवाला ने कहा कि क्या यह सही नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोयले की बढ़ी हुई कीमतों का मुआवज़ा हरियाणा सरकार द्वारा दिए जाने को लेकर अडानी पॉवर की दलील को पहले ही रद्द कर दिया गया है? क्या अडानी पॉवर को कोयले की बढ़ी कीमतों के भुगतान के कारण हरियाणा सरकार को 2200 करोड़ का अतिरिक्त चूना नहीं लगेगा? इसके लिए कौन जिम्मेवार होगा?

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia