हरियाणा सरकार ने रातोंरात सरसों खरीद केंद्र घटाए, किसानों को 7 निजी बैंकों में खाता खुलवाने का फरमान

कांग्रेस ने कहा कि हरियाणा की बीेजेपी-जेजेपी सरकार किसानों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। लगातार ध्यान दिलाने के बाद भी सरकार ने समय पर फसल खरीद शुरू नहीं की। लगता है कि सरकार ने पूरी ताकत सरसों-गेहूं की खरीद की बजाए शराब फैक्ट्रियां चलवाने में लगा रखी है।

फोटोः सोशल मीडिया
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धीरेंद्र अवस्थी

हरियाणा में 15 अप्रैल से शुरू हो रही सरसों की खरीद से पहले ही सरकार बेनकाब हो गई है। हालत यह है कि लॉकडाउन में भी सरकार ने सरसों के खरीद केंद्र कम कर दिए हैं। इसके साथ ही सरकार ने सात प्राइवेट बैंकों में किसानों को खाता खुलवाने का निर्देश जारी किया है, जबकि उनके खाते पहले से ही खुले हुए हैं। कोरोना संकट में किसानों को लेकर इन फैसलों से राज्य की बीजेपी सरकार की मंशा पर ही गंभीर सवाल उठे हैं। मुख्‍य विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार को घेरते हुए उससे जवाब मांगा है।

कांग्रेस नेता और पार्टी के मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि सरसों की खरीद में हरियाणा की बीेजेपी-जेजेपी सरकार किसानों के साथ घोर अन्याय और सौतेला व्यवहार कर रही है। कांग्रेस की ओर से बार-बार ध्यान दिलाए जाने के बावजूद सरकार ने सही समय पर फसल खरीद शुरू नहीं की। लगता है कि सरकार ने पूरी ताकत सरसों-गेहूं की खरीद की बजाए शराब फैक्ट्रियां चलवाने में लगा रखी है।

इसका सबूत भी अब सामने आ गया, जब हरियाणा सरकार ने सरसों खरीद शुरू होने से 24 घंटे पहले प्रदेश में खरीद केन्द्रों की संख्या को अचानक 192 से घटाकर 163 कर दिया। सभी जानते हैं कि सरसों महेंद्रगढ़, दादरी, भिवानी, रेवाड़ी, गुरुग्राम, मेवात, हिसार, सिरसा जैसे इलाकों की एक प्रमुख फसल है, लेकिन सरकार ने रातों-रात फैसला बदलते हुए महेंद्रगढ़ के खरीद केंद्रों की संख्या को 34 से घटाकर 18 कर दिया है। इसी प्रकार भिवानी में 32 से 22, हिसार में 23 से 17, गुरुग्राम में 4 से 3, सिरसा में 26 से 23 और दादरी में 17 से घटाकर 16 कर दिए गए।

सुरजेवाला ने कहा कि यह सरकार की नाकामी और निकम्मेपन का जीता जागता उदाहरण है। यहां तक कि 4435 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य होने के बावजूद खरीद शुरू होने से पहले ही किसान की सरसों 3500-3800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से औने-पौने दाम में बिक रही है।

सुरजेवाला ने कहा कि किसान का दाना-दाना खरीदना प्रदेश और केंद्र सरकार का कर्तव्य है। पर खट्टर-चौटाला की जोड़ी किसान को तकनीकी कारणों और पहलुओं में उलझाकर परेशान कर रही है। महत्वपूर्ण बात यह है कि 95 प्रतिशत किसानों के पास वेबसाइट और इंटरनेट सुविधा नहीं है, तो ऐसे में वे “मेरा खेत मेरा ब्योरा” वेबसाईट पर अपना ब्योरा कैसे भरते? सरकार पहले चाहती तो अपने सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों के माध्यम से गांव स्तर पर यह ब्यौरा इकट्ठा करवाया जा सकता था या मंडी में खरीद के मौके पर यह काम किया जा सकता है।

रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि अगर प्रदेश सरकार अन्य प्रदेशों के किसानों की फसलों को हरियाणा की मंडियों में आने से रोकना चाहती है तो उसे हरियाणा के किसानों को परेशान करने की बजाए अपनी प्रादेशिक सीमाओं पर उचित व्यवस्था करनी चाहिए। यदि लॉकडाऊन के दौरान भी सरकार प्रदेश की सीमाएं सील करने में विफल है, तो इससे बड़ा राजनैतिक और प्रशासनिक विफलता का सबूत और क्या हो सकता है?

कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रदेश सरकार ने प्रति एकड़ 8.33 क्विंटल सरसों की औसत के हिसाब से जिले की केवल 25 प्रतिशत सरसों खरीदने का फैसला किया है, जो नाकाफी है और किसानों से नाइंसाफी है। यदि तकनीकी विकास के कारण कोई किसान अपने खेत में 10 से 12 क्विंटल सरसों तक पैदा करता है, तो ऐसे अच्छे और प्रगतिशील किसानों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए, न कि उन्हें अपनी फसल एमएसपी से कम रेट पर बेचने के लिए बाध्य किया जाना चाहिए।

सीएम खट्टर और दुष्यंत चौटाला से कांग्रेस के सवाल

11 अप्रैल 2020 को हरियाणा सरकार के खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा जारी पत्र के अनुसार प्रदेश में 192 खरीद केंद्र थे, जिन्हें 13 अप्रैल, 2020 को घटाकर 163 कर दिया गया। इससे बीस प्रतिशत किसानों के खरीद केंद्र रातों रात बदल गए। उन किसानों का क्या होगा? उन्हें अपने नए खरीद केंद्र का कब पता चलेगा और वे अपनी सरसों कब और कैसे बेच पाएंगे?

सरसों के खरीद केंद्र कम होने का कारण क्या है? क्या यह समय से तैयारी न करने के कारण हुआ है या अधिकारियों और विभागों में तालमेल व सामंजस्य की कमी का नतीजा है? क्या इसका मतलब यह है कि गेहूं की खरीद शुरू होने से पहले ही सरकार की तैयारियों की पोल खुल गई है?

एक तरफ तो सरकार की ओर से आज अधिकृत रूप से सरसों की खरीद शुरू हो गई, लेकिन हमारी जानकारी के अनुसार निरस्त किए गए खरीद केंद्रों के किसानों को अभी तक यह नहीं बताया गया कि वे अब कब और कहां सरसों बेच पाएंगे? किसानों के पास खरीद से 24 घंटे पहले उनके मोबाइल से एसएमएस भेजने की बात कही गई थी। अब कब उनके एसएमएस आएंगे और किसान कौन से सेंटर पर अपनी फसल लेकर जाएंगे?

सभी आढ़तियों के पहले से ही बैंकों में खाते भी हैं और कैश-क्रेडिट लिमिट भी। 13 अप्रैल, 2020 को एक नया तुगलकी फरमान जारी करते हुए हरियाणा सरकार ने आढ़तियों को 7 प्राईवेट बैंकों में (डूबते हुए यस बैंक समेत) खाते खोलने का निर्देश जारी कर दिया। सवाल यह है कि आढ़ती कब नए खाते खुलवाएंगे, कब नई कैश-क्रेडिट लिमिट मंजूर करवाएंगे, कब उन खातों में सरकार भुगतान करेगी और कब किसान को भुगतान होगा? 7 प्राईवेट बैंकों पर यकायक यह मेहरबानी क्यों? डूबते हुए यस बैंक में आढ़तियों के खाते खुलवाने और पैसा जमा करवाने के लिए क्यों बाध्य किया जा रहा है?

यदि सरसों की खरीद में ही यह हाल है तो गेहूं की खरीद कैसे सुनिश्चित होगी? 26 मार्च, 2020 को खट्टर सरकार ने किसान-मजदूर-आढ़ती को गेहूं पर 125 रुपये प्रति क्विंटल बोनस देने का एक झुनझुना थमा दिया। पर बीस दिन बीत जाने के बाद अब गेहूं पर दिए जाने वाले बोनस की इस मांग पर खट्टर सरकार रहस्यमयी चुप्पी साधे है। हमारा सवाल है कि सरकार स्पष्ट करे कि किसान को बोनस दिया जाएगा या नहीं और दिया जाएगा तो कब?

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