हरियाणाः किसानों की परेशानी पर हुड्डा ने सीएम खट्टर से की बात, कहा- ठीक करें मंडियों में फसल खरीद व्यवस्था

किसानों की फसल खरीद में अव्यवस्था पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार ने किसानों का दाना-दाना खरीदने का वादा किया था, लेकिन असल में वो दाना-दाना करके उनकी फसल खरीद रही है। कोरोना संकट में खरीद के नए प्रयोग करने की बजाए उसे आसान और सुविधाजनक बनाया जाए।

फोटोः सोशल मीडिया
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धीरेंद्र अवस्थी

हरियाणा में रबी फसलों की खरीद में मंडियों में फैली अराजकता चिंता का सबब बन गई है। मौसम का बदलता रुख और सरकार के अपर्याप्‍त इंतजाम किसानों की मुश्किलों को बढ़ाने वाले साबित हो रहे हैं। हालात नहीं ठीक हुए तो एक नया संकट सामने खड़ा होगा। किसानों की हालत को लेकर पूर्व मुख्‍यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सीएम मनोहर लाल खट्टर से फोन पर बात कर मंडियों में फैली अव्‍यवस्‍था को तत्‍काल ठीक करने के लिए कहा है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मुख्यमंत्री से आढ़तियों के साथ समन्वय बनाकर खरीद को सुचारू रूप से चलाने की अपील की है। हुड्डा ने बताया कि जिस गति से आज सरकारी ख़रीद हो रही है, उस हिसाब से तो 3 से 4 महीने में पूरा गेहूं ख़रीदा जा सकेगा। सरसों की खरीद तो और भी धीमी गति से हो रही है। एक हफ्ते में पैदावार की 15 प्रतिशत भी खरीद नहीं हो पाई है, इसलिए किसान के माथे पर चिंता की लकीरें हैं। वह अगली फसल की बुआई कैसे कर पाएगा, जब तक यह फसल नहीं बिकती। देशहित और किसानों के हित में जरूरी है कि अन्नदाता की फसल खरीद की गति को तेज किया जाए।

हुड्डा ने स्पष्ट कहा कि महामारी के इस दौर में विपक्ष किसी तरह की राजनीति नहीं करना चाहता, लेकिन किसानों की ऐसी हालत देखकर चुप रहना बड़ी नाइंसाफी होगी। यह हमारे लिए असहनीय है, क्योंकि अन्नदाता हर तरह की राजनीति से ऊपर है। वह पूरे देश और हम सबका पेट पालता है । सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, सभी की जिम्मेदारी बनती है कि वह किसान की आवाज उठाए। आज आढ़ती आंदोलन कर रहे हैं और सरकार अपनी जिद पर अड़ी है। दोनों के टकराव का खामियाजा अन्नदाता को भुगतना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि पहले धान, फिर सरसों और अब किसान के गेहूं की भी मंडियों में सरकार के अड़ियल रवैये से बेकद्री हो रही है। उसे अपनी फसल बेचने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है, लेकिन कई दौर की बैठकों के बाद भी आढ़तियों और सरकार में समझौता नहीं हो पाया है। प्रदेश भर की मंडियों में किसान अपनी फसल लेकर पहुंच रहा है, लेकिन न किसान की सरसों ढंग से बिक पाई और न गेहूं की बिकवाली हो रही है।

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नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हमने लगातार सरकार से आढ़तियों के साथ समन्वय बनाने की अपील की थी, लेकिन लगता है कि सरकार अपनी जिद और आढ़ती अपनी मांगें छोड़ने को तैयार नहीं हैं। बीच का रास्ता निकाले बिना खरीद प्रक्रिया सुचारू रूप से नहीं चल सकती। सरकार ने किसानों का दाना-दाना खरीदने का वादा तो किया था, लेकिन अब वो दाना-दाना करके फसल खरीद रही है। अपनी फसल बेचने के लिए किसान को बार-बार मंडियों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। महामारी के इस दौर में सरकार खरीद प्रक्रिया में नए-नए प्रयोग कर रही है, जबकि जरूरत यह है कि प्रक्रिया में नए प्रयोग करने की बजाए उसे ज़्यादा आसान और सुविधाजनक बनाया जाए। पंजाब, राजस्थान और अन्य राज्यों की सरकारों ने भी महामारी के चलते खरीद को पुराने तरीके से ही अंजाम दिया है, इसलिए, वहां ख़रीद सुचारू रूप से चल रही है।

नेता विपक्ष ने सरकार और आढ़तियों से जल्द समझौता करके खरीद प्रक्रिया सुचारू करने की अपील दोहराई है। उन्होंने कहा कि महामारी के इस दौर में हड़ताल और आपसी टकराव सही नहीं है। हम सबको आपसी सहयोग से किसानहित में काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि चर्चा के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने आश्वसन दिया की आज किसान और आढ़तियों से बात करके समाधान निकाल लिया जाएगा।

उन्होंने सरकार से एक और आग्रह किया की पूरी खरीद के साथ सरकार मंडियों में जरूरत के मुताबिक तिरपाल और बारदाने की व्यवस्था सुनिश्चित करे, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से तिरपाल और बारदाने की भारी कमी है और सरकार के अधिकारी गेहूं की ट्राली को ढंक कर लाने के लिए कहते हैं। मौसम बार-बार करवट बदल रहा है। अगर गेहूं खुले में रखा गया तो वह भीग जाएगा और किसान की पूरे सीजन की मेहनत बेकार हो जाएगी। उन्होंने बताया कि सीएम ने इसके लिए भी आश्वासन दिया है।

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