हरियाणा का नौकरी घोटाले पर सुरजेवाला का कटाक्ष, 'घोटाले पर घोटाले पर सीएम के बिना पर्ची बिना खर्ची वाले जुमले कायम'

हरियाणा में नौकरी घोटाला खट्टर सरकार की गले की फांस बनता जा रहा है। विपक्ष ने कमर कस ली है कि वह इस स्‍कैम पर पर्दा नहीं डालने देगा। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि 'कितने ही घोटाले हों, नौकरियां बिकें, मुख्यमंत्री जी के ‘तीन जुमले‘ कायम हैं।'

फोटो : सोशल मीडिया
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धीरेंद्र अवस्थी

हरियाणा में नौकरी घोटाला खट्टर सरकार की गले की फांस बन गया है। राज्‍य सरकार के लाख जतन के बाद विपक्ष ने कमर कस ली है कि वह इस स्‍कैम पर पर्दा नहीं डालने देगा। कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने एक बार फिर हमला बोलते हुुए कहा कि खट्टर सरकार की एक "कला’ मशहूर है-कितने ही घोटाले हों या नौकरियां बिकें, मुख्यमंत्री जी के ‘तीन जुमले‘ कायम हैं - पारदर्शिता, मैरिट और ‘बिना पर्ची, बिना खर्ची।"

उन्होंने कहा कि, "7 साल में 32 पेपर लीक हुए। भर्ती घोटाले उघड़े। लेकिन, 7 साल में कोई जांच परिणाम तक नहीं पहुंची और न ही किसी अपराधी को सज़ा हुई। खट्टर सरकार हर नौकरी भर्ती घोटाले को इतनी सफाई से दबाती है कि इनके कमीशन के ‘चेयरमैन’, ‘मेम्बर्स’ और सरकार में बैठे ‘सफेदपोश’ साफ बच निकलते हैं। अदालतें फटकार लगाती रहती हैं लेकिन, खट्टर सरकार की पुलिस जानबूझकर कोर्ट में सबूत ही पेश नहीं करती और आरोपी छूट जाते हैं।"

सुरजेवाला ने चंडीगढ़ में कहा कि महाव्यापम घोटाले या ‘‘अटैची दो- नौकरी लो’’ कांड में भी खट्टर सरकार व उसके पुलिस विजिलेंस विभाग ने पूरा मामला रफा-दफा करने की तैयारी कर ली है। एक बार फिर एचपीएससी के चेयरमैन व मैंबर्स, एचएसएससी के चेयरमैन व मैंबर्स, सरकार में बैठे बड़े-बड़े सफेदपोश तथा रिश्वत देकर नौकरी लगने वाले सभी लोग जांच के दायरे से ही बाहर रख साफ बचा दिए गए हैं। एक बार फिर अगर ठगे जाएंगे तो हरियाणा के युवा। यह बात तथ्यों से साबित होती है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हरियाणा के युवाओं को इस ‘‘ऑपरेशन अटैची कांड कवरअप’’ का जवाब दें।

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि "सीएम बताएं कि एप्लीकेशन पोर्टल-स्कैनिंग-पेपर चेकिंग करने वाली ‘हटाई गई कंपनी’ को एचपीएससी की भर्ती का ठेका क्यों व कैसे दिया? एफआईआर-रिमांड एप्लीकेशंस में नामज़द आरोपियों की तकप-गिरफ्तारी-कार्रवाई क्यों नहीं?"

उन्होंने कहा कि, "अटैची रिश्वत कांड की 17 नवंबर को लिखी गई एफआईआर में ओएमआर शीट भरने तथा रिश्वत का पैसा लेने का सीधा इल्ज़ाम जसबीर सिंह भलारा व उसकी कंपनी मैसर्स सेफडॉट ई-सॉल्यूशन प्राईवेट लिमिटेड व आरोपी नवीन पर लगा है।"


सुरजेवाला ने बताया कि, "विजिलेंस की जांच में तथा अदालत के सामने पेश की गई रिमांड एप्लीकेशन में अश्विनी शर्मा; अनिल नागर, डिप्टी सेक्रेटरी, एचपीएससी व विजय भलारा, कर्मचारी, मै. सेफडॉट ई-सॉल्यूशंस प्राईवेट लिमिटेड का नाम स्पष्ट तौर से आरोपी के तौर पर सामने आया है। जानकारी के मुताबिक पूर्व एचपीएससी के चेयरमैन के समय साल 2020 में जसबीर सिंह की कंपनी को ‘‘हटा दिया’’ गया था। मौजूदा एचपीएससी चेयरमैन आलोक वर्मा के कार्यभार सम्हालने के बाद एचपीएससी की भर्तियों का काम एक बार फिर जसबीर सिंह की कंपनी को दे दिया गया।"

कांग्रेस नेता ने सवाल पूछा कि, "एक ‘हटाई गई’ कंपनी को क्यों, किस कारण, किस हालात व किसके कहने से एचपीएससी की इतनी महत्वपूर्ण भर्तियों का काम दिया गया? इस बारे में एचपीएससी के चेयरमैन व सदस्यों से विजिलेंस द्वारा पूछताछ क्यों नहीं की गई? सवाल यह भी है कि जब एफआईआर व विजिलेंस की रिमांड एप्लीकेशंस में साफ तौर से जसबीर सिंह भलारा, मालिक, मैसर्स सेफडॉट ई-सॉल्यूशंस प्राईवेट लिमिटेड व उसके कर्मचारी विजय भलारा का नाम आरोपी के तौर पर आया है, तो विजिलेंस ने उनकी जांच, गिरफ्तारी व कार्रवाई क्यों नहीं की? क्या मुख्य आरोपी होने के बावजूद कृपादृष्टि इसलिए क्योंकि सत्ता में बैठे सफेदपोशों का आशीर्वाद इनके साथ है?"

वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि क्या विजलेंस विभाग अनिल नागर, अश्विनी शर्मा और नवीन की जांच के नाम पर ढकोसला कर पूरा मामला रफा-दफा कर रहा है? खट्टर साहब मीडिया में दोषियों को न बख्शने की छाती ठोंकते हैं और ऐसा लगता है कि दूसरी ओर ‘‘विशेष आदेशों’’ के चलते विजिलेंस विभाग अनिल नागर, अश्विनी शर्मा और नवीन को मौज करवा रहे हैं और जांच का ‘ढकोसला’ कर रहे हैं।

सुरजेवाला ने कहा कि यह विजिलेंस द्वारा अदालत में पेश किए गए कागजातों से साफ है, जिनके मुताबिक आरोपियों से उनके द्वारा स्वीकारे हुए तथाकथित साक्ष्यों की ‘‘जीरो रिकवरी’’ हुई है। यही नहीं, विजिलेंस द्वारा 18 नवंबर से 23 नवंबर, यानि 6 दिनों में दी गई अलग-अलग दरख्वास्तों में एक ही आरोपी से साक्ष्यों की रिकवरी की जगह भी अलग-अलग बताई गई है। पर रिकवरी फिर भी नहीं हुई। विजिलेंस ने आरोपी नवीन की रिमांड के लिए 18 नवंबर को दी गई एप्‍लीकेशन में उससे गांव कोंड, जिला भिवानी से रोल नंबर, ओएमआर शीट्स आदि साक्ष्यों की रिकवरी की बात कही गई है। वहीं 22 नवंबर को दिए गए रिमांड एप्‍लीकेशन में नवीन से सोलन, हिमाचल प्रदेश से रोल नंबर व ओएमआर शीट्स आदि साक्ष्यों की रिकवरी की बात कही गइर्अ है। 23 नवंबर को नवीन की तीसरी रिमांड एप्‍लीकेशन में विजिलेंस ने उससे शिव कॉलोनी, सोनीपत से रोल नंबर व ओएमआर शीट जैसे साक्ष्‍य रिकवरी की बात कही गई है। जबकि ओरोपी अश्विनी शर्मा की 19 नवंबर की रिमांड एप्‍लीकेशन में विजिलेंस ने भिवानी, नोएडा व यूपी के अन्य ठिकानों से रोल नंबर, ओएमआर शीट्स व साक्ष्यों की रिकवरी का तर्क दिया गया है। अश्विनी शर्मा की 22 नवंबर को दी गई दूसरी रिमांड एप्‍लीकेशन में एचपीएससी ऑफिस, पंचकुला से रोल नंबर, ओएमआर शीट्स व अन्य साक्ष्यों की रिकवरी के लिए कहा गया है।


उन्होंने बताया कि 23 नवंबर को अश्विनी शर्मा की तीसरी रिमांड एप्‍लीकेशन में शिव कॉलोनी, सोनीपत से रोल नंबर, ओएमआर शीट्स व अन्य साक्ष्यों की रिकवरी की बात कही गई। तीसरे आरोपी एचपीएससी के उप सचिव अनिल नागर की 19 नवंबर की रिमांड एप्‍लीकेशन में विजिलेंस ने उसके निवास, रोहतक से रोल नंबर, ओएमआर शीट्स व अन्य साक्ष्यों की रिकवरी का तर्क दिया। अनिल नागर की 23 नवंबर की रिमांड एप्‍लीकेशन में उसके मामा के निवास गांव रिठाल, रोहतक से रोल नंबर, ओएमआर शीट्स व अन्य साक्ष्यों की रिकवरी की बात कही गई।

सुरजेवाला ने कहा कि सिर्फ छह दिन के अंतराल में विजिलेंस द्वारा फाईल की गई रिमांड दरख्वास्तों से साफ नहीं है कि विजिलेंस आरोपियों के खिलाफ खुद के केस को कमजोर करने पर लगा है?

उन्होंने पूछा कि क्या यह सही है कि यह इसलिए किया जा रहा है कि विजिलेंस जांच के दौरान अनिल नागर द्वारा एक तथाकथित वीडियो पेश किया गया है, जिससे फर्जी ओएमआर शीट भरने के रैकेट का जुड़ाव सत्ता में बैठे बड़े मठाधीशों से साबित हो जाता है? क्या इसीलिए घबराकर जांच को रफा-दफा किया जा रहा है? कांग्रेस महासचिव ने सवाल किया कि आरोपी अनिल नागर, अश्विनी शर्मा व नवीन से जांच क्यों नहीं की जा रही? तीनों आरोपियों की विजिलेंस रिमांड का समय पूरा हो गया। पर क्या खट्टर साहब व उनकी विजिलेंस जवाब देंगे कि अनिल नागर को उसके रोहतक के ठिकानों व उसके मामा के घर रिठाल दस्‍तावेजों की बरामदगी के लिए क्‍यों नहीं ले जाया गया। नवीन को अहम साक्ष्‍यों की बरामदगी हेतु कोंड, जिला भिवानी, सोलन, हिमाचल प्रदेश व शिव कॉलोनी, सोनीपत क्यों नहीं ले जाया गया?

अश्विनी शर्मा को भिवानी, नोएडा, यूपी के ठिकानों, व शिव कॉलोनी, सोनीपत क्यों नहीं ले जाया गया? सुरजेवाला ने कहा कि एचसीएस प्रिलिमिनरी व डेंंटल सर्जन की भर्ती के उन उम्मीदवारों को तफ्तीश में शामिल कर पूछताछ क्यों नहीं की गई, जिनके रोल नंबर व ओएमआर शीट्स अनिल नागर के एचपीएससी कार्यालय से मिले हैं? क्या इसी वजह से अदालत ने मजबूरन विजिलेंस के रवैये के बारे में टिप्पणी की कि वह आरोपियों से दस्तावेजों की रिकवरी के बारे में गंभीर नहीं?

सुरजेवाला ने कहा कि खट्टर सरकार व विजिलेंस विभाग ने आरोपियों का रिमांड खारिज होने के खिलाफ अपील क्यों नहीं की? क्रिमिनल प्रोसीज़र कोड की धारा 167 के मुताबिक आरोपी के अदालत में पेश होने के 15 दिन तक साक्ष्य एकत्रित करने के लिए पुलिस रिमांड दिया जा सकता है। क्‍या इसीलिए रिमांड की रिवीजन अपील नहीं की गई कि ताकि पुलिस हिरासत में आरोपियों से तफ्तीश करनी ही न पड़े और सारा मामला रफा-दफा हो जाए? क्या ‘‘अटैची कांड’’ को भी 2018 के ‘‘कैश फॉर जॉब’’ स्कैम की तरह निपटाने की तैयारी है?


साल 2018 में भी एचएसएससी के ‘कैश फॉर जॉब स्कैम’ में भी सीएम फ्लाइंग की तथाकथित कार्रवाई के बाद असिस्टैंट लेवल व ठेका कर्मचारियों सहित सिर्फ 9 लोगों को ही अभियुक्त बनाया गया, जबकि चेयरमैन, मैंबर्स तथा सफेदपोश साफ बच निकले। एसआईटी ने अदालत को बताया कि इन छोटी मछलियों को भी कॉल डिटेल्स के आधार पर गिरफ्तार किया गया। उनके कॉल डिटेल में 2000 चयनित कैंडिडेट्स की डिटेल्स मिलीं, लेकिन एक भी चयनित कैंडिडेट को तफ्तीश के लिए नहीं बुलाया और न ही इंटरव्यू में नंबर लगाने वाले एचएसएससी के चेयरमैन और मेंबर को। 4 दिसंबर, 2018 को इस न के बराबर हुई जांच पर अदालत ने तीखी और तल्ख़ टिप्पणियां कीं तथा साफ तौर से असली आरोपियों को बचाने की कोशिश बताते हुए खट्टर सरकार को सप्लीमेंटरी चार्जशीट पेश करने का आदेश दिया। पर आज तक न सप्लीमेंटरी चार्जशीट आई और न ही कोई और आरोपी। यही खट्टर सरकार का असली ट्रैक रिकॉर्ड है। मनोहर लाल खट्टर ने प्रेसवार्ता में एक बार फिर झूठ बोला कि 48 लोग पकड़े गए हैं, जबकि सप्लीमेंटरी चार्जशीट आई ही नहीं और छोटी-छोटी मछलियों सहित केवल 9 अभियुक्त हैं।

सुरजेवाला ने कहा कि सवाल यह है कि क्या मौजूदा ‘अटैची कांड’ भी ‘कैश फॉर जॉब स्कैम’ की तरह एक जुमला बनकर रह जाएगा।

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