हरियाणाः कांग्रेस विधायक प्रदीप चौधरी की सदस्‍यता बहाल, स्‍पीकर ने कानूनी राय लेने के नाम पर महीने भर लटकाया

करीब नौ साल पुराने मामले में एक मामले में हिमाचल प्रदेश की एक निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा के खिलाफ प्रदीप चौधरी ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। हाईकोर्ट ने 19 अप्रैल को निचली अदालत द्वारा दोषी करार दिए जाने संबंधी आदेश पर रोक लगा दी थी।

फाइल फोटोः सोशल मीडिया
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धीरेंद्र अवस्थी

आखिरकार हरियणा के कालका से कांग्रेस विधायक प्रदीप चौधरी की सदस्‍यता विधानसभा अध्‍यक्ष ज्ञान चंद गुप्‍ता ने बहाल कर दी। स्‍पीकर पर इस बात को लेकर सवाल उठ रहे थे कि सदस्‍यता रद्द करने और सीट को रिक्‍त घोषित करने में दो दिन भी न लगाने वाले स्पीक कांग्रेस विधायक को हाईकोर्ट से राहत मिलने के बावजूद कानूनी राय लेने के नाम पर सदस्‍यता बहाली को लटकाए हुए हैं। प्रदीप चौधरी के स्‍पीकर से मिलने के साथ ही नेता विरोधी दल भूपिंदर सिंह हुड्डा भी कांग्रेस विधायक की सदस्‍यता बहाल करने की मांग कर चुके थे। अंतत: अब इस घोषणा के साथ ही उप-चुनाव में बीजेपी की कालका सीट जीतने की आकांक्षा पर तुषारापात हो गया है।

हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने गुरूवार को कालका से कांग्रेस विधायक प्रदीप चौधरी की सदस्यता बहाल करते हुए कहा कि सदस्यता बहाली हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा नालागढ़ की एक निचली अदालत के फैसले पर लगाए गए स्टे के मद्देनजर की गई है और इस पर अंतिम फैसला जिला एवं सत्र न्यायालय के निर्णय पर निर्भर करेगा।

हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के नालागढ़ स्थित प्रथम श्रेणी ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट जितेंद्र कुमार की अदालत ने इसी साल 14 जनवरी को करीब 9 साल पुराने एक मामले में प्रदीप चौधरी को दोषी करार दिया था। अदालत ने उन्हें लोगों को भड़काने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में दोषी पाया था। 28 जनवरी को उन्हें 3 वर्ष की सजा सुनाई गई थी। नालागढ़ अदालत के फैसले के बाद हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ने उनकी सदस्यता समाप्त करने की घोषणा की थी। इसके बाद विधानसभा सचिवालय ने कालका विधान भा सीट को रिक्त घोषित कर इसकी जानकारी भारतीय चुनाव आयोग को भेज दी थी।

निचली अदालत द्वारा सुनाई सजा के खिलाफ प्रदीप चौधरी ने पहले सोलन जिला एवं सत्र न्यायालय में और उसके बाद शिमला स्थित हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। उच्च न्यायालय ने 19 अप्रैल को निचली अदालत द्वारा दोषी करार दिए जाने संबंधी आदेश पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट की ओर से पारित आदेश में कहा गया है कि जब तक उनकी आपराधिक अपील जिला एवं सत्र न्यायालय में लंबित है तब तक उन्हें दोषी घोषित किए जाने वाले निर्णय पर रोक रहेगी।

इस फैसले के बाद ज्ञान चंद गुप्ता ने प्रदीप चौधरी की विधानसभा सदस्यता से अयोग्यता और कालका निर्वाचन क्षेत्र को रिक्त करने की अधिसूचना 19 अप्रैल 2021 से जिला एवं सत्र न्यायालय के अन्तिम निर्णय तक वापस ली है। विधानसभा सचिव आरके नांदल ने स्पीकर के फैसले के बाद प्रदीप चौधरी की सदस्यता बहाल करने संबंधी परिपत्र भी जारी कर दिया है। हालांकि, प्रदीप चौधरी को 31 जनवरी से 19 अप्रैल तक की अवधि के वेतन और भत्ते नहीं मिल पाएंगे, क्योंकि इसी अवधि में नालागढ़ कोर्ट का फैसला आया और लागू रहा।

इससे पहले प्रदीप चौधरी ने हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद स्पीकर से मिलकर हिमाचल हाईकोर्ट के स्टे ऑर्डर की कॉपी के साथ सदस्यता बहाल करने संबंधी पत्र सौंपा था। साथ ही मांग की थी कि स्‍पीकर अब तत्‍काल मीडिया के सामने आकर उनकी सदस्‍यता बहाली का ऐलान करें, लेकिन कानूनी राय लेने के नाम पर मामले को तकरीबन महीने भर तक लटकाए रखा गया। पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने भी स्पीकर को पत्र लिखकर कांग्रेस विधायक की सदस्‍यता बहाल करने की मांग की थी।

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