रोहतक में अग्निवीर पर सवाल, लोग कह रहे- BJP सरकार ने छीना हरियाणवी युवाओं का जुनून, चेहरों की लड़ाई में दीपेंद्र हुड्डा भारी

रोहतक के पुण्‍य कुमार कहते हैं कि सुबह जल्‍दी उठ कर युवा सेना में भर्ती होने के लिए दौड़ लगाते थे। अब यह संख्‍या काफी कम हो गई है। युवा सोचता है कि अग्निवीर को अब जो वेतन मिलता है, उतना तो वह यहां कोई काम करके कमा सकता है।

दूसरे चरण का चुनाव प्रचार समाप्त
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धीरेंद्र अवस्थी

पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ रोहतक लोकसभा क्षेत्र में अग्निवीर सबसे बड़ा मुद्दा है। अग्निवीर लागू करने के विरोध में हुए आंदोलन के वक्‍त सचिन नाम के युवक ने यहां सुसाइड भी किया था। रोजगार का सवाल यहां लोगों को परेशान कर रहा है, लेकिन लड़ाई यहां चेहरे की भी है। दीपेंद्र हुड्डा यहां एक चेहरा हैं। कांग्रेस ने लगातार 5वीं बार भूपेंद्र हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्‌डा को लोकसभा की टिकट दी है। पिछली बार दीपेंद्र के हारने का लोगों में पछतावा भी है। लोग यह मानते हैं कि पिछली बार गलत हुआ था। हुड्डा परिवार ने यहां के विकास के लिए सब कुछ किया है। उनके मुकाबले बीजेपी ने राज्‍य की अपनी ही पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर की सरकार को भ्रष्‍ट करार देने वाले पिछली बार जीते अरविंद शर्मा को फिर एक बार उतारा है। मोदी के चेहरे की चमक यहां फीकी नजर आती है। 

रोहतक लोकसभा हरियाणा की हॉट सीट है। यहां हुड्डा परिवार 9 बार जीत दर्ज कर चुका है। संविधान सभा के सदस्‍य रहे चौ. रणबीर सिंह हुड्‌डा दो बार और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा 4 बार चुनाव जीत चुके हैं। भूपेंद्र हुड्‌डा ने हरियाणा के दिग्‍गज चौधरी देवीलाल को 3 बार यहां से हराया है। 2004 में जीतने के बाद हुड्डा ने सीएम बनने के लिए यह सीट छोड़ दी थी। इसके बाद लगातार 3 बार दीपेंद्र हुड्‌डा यह सीट जीते हैं।

बीजेपी प्रत्‍याशी अरविंद शर्मा को मोदी के चेहरे का सहारा है। पिछले 5 साल में रोहतक में किया गया कोई भी काम अरविंद शर्मा गिनाने की स्थिति में नहीं हैं। रोहतक की जनता भी यही बोल रही है। सेना में भर्ती की अग्निवीर योजना यहां सबसे बड़ा मुद्दा है। इस क्षेत्र के काफी युवाओं का सना में भर्ती होना एक जुनून है। योजना लागू करने के विरोध में हुए आंदोलन में सचिन नाम के युवक ने यहां सुसाइड भी किया था। सचिन की सेना में भर्ती हो चुकी थी, लेकिन अग्निवीर लागू कर देने के बाद यह भर्ती रद्द कर दी गई थी, जिससे वह मायूस था। इस बात को पुलिस ने भी माना था।

रोहतक के पुण्‍य कुमार कहते हैं कि सुबह जल्‍दी उठ कर युवा सेना में भर्ती होने के लिए दौड़ लगाते थे। अब यह संख्‍या काफी कम हो गई है। युवा सोचता है कि अग्निवीर को अब जो वेतन मिलता है, उतना तो वह यहां कोई काम करके कमा सकता है। फिर 4 साल बाद तो उसे वैसे भी रिटायर करके भेज दिया जाएगा। पुण्‍य कुमार कहते हैं कि हरियाणा में सेना में जाना युवाओं का सबसे बड़ा सपना होता था। साथ ही सबसे बड़ा रोजगार का जरिया भी। वह भी छीन लिया। अरविंद शर्मा के कोई काम करवाने के सवाल पर कहते हैं कि सड़क का ही हाल देख लो।

रोहतक में ऐसी कोई सड़क नहीं होगी जो टूटी न हो। दीपेंद्र हुड्डा की मिलनसारिता की भी वह तारीफ करते हैं। कहते हैं कि कहीं भी सड़क पर हाथ भी दे दो तो वह बिना आपकी बात सुने नहीं जाते। झज्‍जर में नरेंद्र सिंह और सुरजीत कुमार भी अग्निवीर की बात करते हुए कहते हैं कि युवाओं का रोजगार तो छीना ही सेना को भी बर्बाद कर दिया। ऐसा तानाशाह हमें नहीं चाहिए। इस सरकार ने हमारी रोजी-रोटी मुश्किल कर दी है। कम से कम कांग्रेस की सरकार में सभी की जिंदगी तो चलती थी। दीपेंद्र हुड्डा के व्‍यवहार की सराहना वह भी करते हैं। महम चौबीसी में मिले बड़ेसरा गांव के कुम्‍हार जाति से आते कुलदीप कहते हैं कि महंगाई तो है ही। अग्निवीर हमारे यहां बड़ा सवाल है। 4 साल बाद युवा सेना से रिटायर होकर आ जाएगा। फिर वह क्‍या करेगा। कुम्‍हार जाति के लोगों के तो बीजेपी को सपोर्ट करने के सवाल पर वह कहते हैं कि हमारे गांव में करीब 6 हजार वोट हैं, जिसमें 60 फीसदी कांग्रेस और 40 फीसदी बीजेपी के पक्ष में जाएगा।

गांव बाहु जमालपुर में जोगी जाति से आते मांगे हलवाई कहते हैं कि सालों धक्‍के खाने के बावजूद इस सरकार में हमारा आधार कार्ड तक नहीं बना। वहीं जोगी समाज से ही आते नवीन कहते हैं कि हम तो बीजेपी के समर्थक हैं, लेकिन दीपेंद्र हुड्डा की छवि के कारण हम कांग्रेस को वोट करेंगे। 10-12 हजार मतदाताओं वाले गांव लाखनमाजरा के चौराहे पर मिले विकास कहते हैं कि इस बार हवा बदली हुई है। वह गणित समझाते हुए कहते हैं कि हमारे गांव में 50 फीसदी से अधिक जाट मतदाता हैं। इनमें अधिकतर कांग्रेस की तरफ जाने वाले हैं। खुद एससी समाज से आते विकास कहते हैं कि 1 हजार के करीब वोट गांव में दलितों के हैं। इसमें भी अधिकतर बदलाव के साथ जाने वाले हैं। वजह पूछने पर कहते हैं कि रोजगार तो इस सरकार ने खत्‍म ही कर दिए। महंगाई बढ़ने से जिंदगी मुश्किल हो गई।

वहीं मिले बुजुर्ग राम प्रकाश बताने लगे कि पत्‍नी की पेंशन बनवाने के लिए धक्‍के खा-खाकर वह थक गए। रिश्‍वत लेकर भी कोई काम करने के लिए राजी नहीं है। पत्‍नी का स्‍कूल सर्टीफिकेट है। राशन कार्ड है। सब कुछ है, इसके बावजूद उसकी बुढ़ापा पेंशन नहीं बनवा पाए। पंजाबी समाज से आते रामप्रकाश खट्टर के भी पंजाबी समाज से होने के सवाल पर कहते हैं कि उन्‍होंने हमारे समाज को दिया क्‍या है। सिर्फ लिया ही तो है। साढे़ नौ साल काम करने के लिए क्‍या कम होते हैं। जैसा मोदी ने कहा वैसा वह करते रहे। सर्वे में जब खट्टर के रहते बीजेपी के हारने की बात आई तो सीएम पद से हटा दिया।

बातचीत में दो गंभीर सवाल भी लोग करते हैं। पहला सवाल ईवीएम को लेकर होता है। वह कहते हैं कि यदि बीजेपी हार रही होगी तो ईवीएम में कुछ गड़बड़ कर सकती है। दूसरा सवाल लोगों का गोदी मीडिया को लेकर होता है। स्‍पष्‍टीकरण के बाद ही बात आगे बढ़ती है। महिला पहलवानों के साथ हुए व्‍यवहार, किसान आंदोलन, इलेक्‍टोरल बांड और परिवार पहचान पत्र जैसे मुद्दों के अलावा 10 साल की केंद्र-राज्‍य सरकारों की एंटी-इंकंबेंसी की बात भी लोग कम या ज्‍यादा करते हैं।


रोहतक लोस क्षेत्र के समीकरण

2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने रोहतक लोकसभा में आने वाली 9 विधानसभा सीटों में से 5 में और भाजपा ने 4 सीटों पर जीत दर्ज की थी। भाजपा ने 2016 में हुए आरक्षण आंदोलन का 2019 के चुनाव में जाट-गैर जाट कार्ड के तौर पर जमकर इस्‍तेमाल कर जातियों के बीच खाई पैदा करने में सफलता पाई थी, जिसका भी उसे फायदा हुआ था। रोहतक लोकसभा में कुल 18.64 लाख वोटर्स हैं। इनमें करीब 37 प्रतिशत यानी 7 लाख के आसपास जाट वोटर हैं। तकरीबन 10.5 लाख गैर जाट हैं। जाट मतदाताओं में इस बार यहां कोई डिवीजन नहीं दिख रहा है, लेकिन गैर जाट जातियों में डिवीजन है। इसके बावजूद, कांग्रेस का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। भाजपा ने 2019 में बमुश्किल बाजी मार ली थी। रेवाड़ी जिले की यादव बाहुल्य कोसली विधानसभा सीट से 74980 वोट की मिली लीड दीपेंद्र हुड्‌डा के लिए हार की वजह बनी थी। भाजपा इस बार फिर कोसली, महम और रोहतक में अतिरिक्‍त हाथ-पर मार रही है। कांग्रेस गढ़ी सांपला किलोई, बेरी, कलानौर व बादली में मजबूत मानी जा रही है। महम और बहादुर गढ़ विधानसभा क्षेत्र में हुड्‌डा परिवार की मजबूत पकड़ मानी जाती है। इस बार कोशिश महम में लीड और बढ़ाने की है। 2019 में कांग्रेस अति-आत्‍मविश्‍वास का शिकार भी हो गई थी। जनता में भी यह धारण थी कि दीपेंद्र हुड्डा जीत रहे हैं। किसी को यह यकीन नहीं था कि दीपेंद्र हार भी सकते हैं। इस बार कांग्रेस इसके मद्देनजर अतिरिक्‍त सावधानी भी बरत रही है।

2019 में सुबह 4 बजे घोषित हुआ था परिणाम

2019 लोस चुनाव में पुलवामा और बालाकोट पर सवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तूफान के बावजूद रोहतक में भाजपा को पसीना आ गया था। दीपेंद्र हुड्‌डा भाजपा के डॉ. अरविंद शर्मा से महज 7503 वोट से हार गए थे। रात 2 बजे तक काउंटिंग चलती रही। बैलेट पेपर व वीवीपैट से मिलान नहीं होने के कारण रात 3 बजे कांग्रेस ने रि-काउंटिंग की मांग की। अलसुबह 4 बजे डीसी ने भाजपा के अरविंद शर्मा को विजयी घोषित किया था। ईवीएम की काउंटिंग में अरविंद शर्मा सिर्फ 2636 वोटों से आगे थे। बाद में बैलेट पेपरों की गिनती में यह मार्जिन ज्यादा हो गया था।

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