हरियाणा की खट्टर सरकार की पुरी हुई मंशा! हाईकोर्ट के दखल के बाद सरपंचों को जबरन उठा ले गई पुलिस, तंबू भी उखाड़े
सरपंच एसोसिएशन के प्रधान रणबीर समैण ने कहा कि हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाने वाले लोग बीजेपी-आरएसएस से ही जुड़े हुए हैं। यह याचिका डाली नहीं गई थी बल्कि डलवाई गई थी।
![फोटो: धीरेंद्र अवस्थी](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2023-03%2F6c3efc11-b75f-4374-b0a7-33178c12b821%2FPAN_3.jpg?rect=0%2C0%2C1200%2C675&auto=format%2Ccompress&fmt=webp)
आखिर खट्टर सरकार की मंशा पूरी हो गई। ई-टेंडरिंग के विरोध में चंडीगढ़ की सीमा पर शांतिपूर्ण धरना दे रहे सरपंचों को चौथे दिन पुलिस जबरन बसों में भरकर ले गई, लेकिन आधार बना पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का आदेश। साथ ही पक्के धरने पर बैठे सरपंचों के तंबू भी पुलिस ने उखाड़ दिए। सरपंचों ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया है। साथ ही मसला हल न होने पर 11 मार्च को करनाल में सीएम हाउस का घेराव करने का ऐलान किया है।
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गांवों में 2 लाख से अधिक के कार्य ई-टेंडरिंग से करवाने के विरोध में 1 मार्च को चंडीगढ़ में सीएम हाउस घेरने पूरे हरियाणा से आए हजारों सरपंचों को चंडीगढ़ सीमा पर पंचकूला में ही प्रशासन ने रोक लिया था। उसके बाद निर्ममता से सरपंचों पर लाठीचार्ज किया गया, जिसमें 100 से अधिक लोग घायल हुए। इसके विरोध में सरपंच पंचकूला-चंडीगढ़ सीमा पर ही पक्का मोर्चा लगाकर बैठ गए थे। इसके साथ ही चंडीगढ़ को जोड़ने वाली पंचकूला की मुख्य सड़क भी ब्लॉक हो गई थी। सरकार की मंशा पहले दिन से ही किसी भी तरह इन सरपंचों को यहां से हटाना था। पंचकूला-चंडीगढ़ की बंद हो गई रोड को लेकर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगा दी गई, जिसकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने शनिवार रात 10 बजे से पहले पंचकूला-चंडीगढ़ अवरोधित रोड को खाली कराने के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने पंचकूला पुलिस के डीसीपी से सोमवार सुबह इस मामले में की गई पूरी कार्रवाई की रिपोर्ट भी मांगी थी।
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8 बजे के आसपास एक बार फिर पुलिस अधिकारी सरपंचों के पास आए और कहा कि यह जगह धरने के लिए नहीं है। यह एक रास्ता है। आपको यदि प्रदर्शन करना है तो धरना स्थल पर चले जाएं। पुलिस ने सरपंचों से कहा कि हम आपको बिल्कुल वक्त नहीं दे सकते। आप यह जगह खाली कर दें। पुलिस के साथ सरपंचों की काफी बहस भी हुई। जब यह बिल्कुल तय हो गया कि पुलिस किसी भी स्थिति में यह जगह खाली करवाने वाली है तो सरपंच एसोसिएशन के प्रधान रणबीर समैण ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया। उन्होंने कहा कि सरकार लोकतंत्र की हत्या करने में लगी हुई है। हम लोग बिल्कुल शांतिपूर्ण तरीके से बैठे हुए थे। रास्ता तो प्रशासन ने बंद किया था। हम लोगों ने तो एक तरफ का रास्ता खुलवा दिया था ताकि आम लोगों को परेशानी न हो। सरकार ने आरएसएस-बीजेपी के ही दो लोगों से हाईकोर्ट में याचिका डलवाई कि इन लोगों की वजह से आम जन परेशान हैं। कोर्ट में पक्ष रखने वाला वकील भी सरकार का ही था। यह एक सोची समझी साजिश है। हाईकोर्ट की तरफ से हमें कोई नोटिस भी नहीं दिया गया। सीधे हमारे पास आदेश आए कि आप लोगों को यहां से खदेड़ दिया जाएगा। आप लोगों पर बल प्रयोग किया जाएगा। मैं पूरे हरियाणा प्रदेश की जनता से अपील करना चाहता हूं कि यह सरकार बिल्कुल तानाशाही पर उतर आई है। गांवों को बिल्कुल बर्बाद करना चाहती है। हम लोग बिल्कुल शांतिपूर्वक यहां बैठे थे।
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सरपंचों का आरोप है कि हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाने वाले लोग बीजेपी-आरएसएस से ही जुड़े हुए हैं। यह याचिका डाली नहीं गई थी बल्कि डलवाई गई थी। शाम को हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही सुगबुगाहट थी कि अब प्रशासन किसी भी समय सरपंचों पर एक्शन ले सकता है। प्रशासन ने पहले तो भारी पुलिस बल वहां एकत्रित किया। सबसे पहले शाम तकरीबन साढ़े सात बजे पुलिस का एक अधिकारी सरपंचों के पास गया और महज आधे घंटे का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि 8 बजे तक आप यह जगह खाली कर दो। उस वक्त काफी सरपंच खाना खा रहे थे या खाने जा रहे थे। पुलिस ने इतनी भी संवेदनशीलता नहीं दिखाई कि उन्हें खाना खाने का वक्त दे दे। सरपंचों ने इस दौरान मीटिंग कर कहा कि हम यहां से किसी भी हालत में नहीं हटेंगे। हम शांति से यहां बैठे रहेंगे। पुलिस को हमारे उपर जो भी एक्शन लेना है ले।
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समैण ने कहा कि तानाशाही का रवैया अपनाया जा रहा है। प्रशासन हमारे उपर जो मर्जी अत्याचार करे। हमें गोली मारे। हमारे उपर गाड़ी चढ़ाए। हम यहीं बैठे रहेंगे। अगर 9 मार्च को हमारा मसला हल नहीं होता तो हम 11 मार्च को करनाल में सीएम हाउस का घेराव करेंगे। उन्होंने हरियाणा के लोगों से कहा कि इस सरकार से अपना गांव बचाना चाहते हो तो बचा लो। इस दौरान पुलिस ने सरपंचों के चारो तरफ एक घेरा बना लिया था। हालात ऐसे थे कि पंचकूला-चंडीगढ़ बार्डर पुलिस छावनी में तब्दील हो चुका था। आखिर सरपंचों की नारेबाजी के बीच पुलिस जबरन सभी सरपंचों को बस में भर कर ले गई। आनन-फानन पुलिस ने वहां धरनास्थल पर लगाए गए सभी तंबू भी उखाड़ दिए।
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पुलिस की इस कार्रवाई से पहले दिन में सरपंचों को रोड ब्लॉक करने पर एसीपी कम एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट ने नोटिस जारी कर दिया था, जिसमें उन्हें 2 घंटे में रोड ख़ाली करने को कहा गया था। नोटिस में चेतावनी दी गई थी कि अगर वह दिए टाइम में रोड खाली नहीं करेंगे तो रविवार 10 बजे एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के समक्ष अपने बयान दर्ज करवाने होंगे। इसके बाद चंडीगढ़ और पंचकूला के पुलिस अधिकारियों के साथ सरपंचों की मीटिंग हुई। इसके बाद उन्हें एक तरफ का रास्ता खोलने के लिए मजबूर होना पड़ा। पुलिस ने सरपंचों से समझौते पर साइन भी ले लिए थे। सरपंच एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष रणवीर सिंह ने कहा था कि हम एक साइड में ही बैठे रहेंगे। हम शांति पूर्वक तरीके से अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करेंगे। इससे पहले सरपंचों पर हुए निर्मम लाठीचार्ज में उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया था, जिसमें 100 से ज्यादा सरपंच घायल हुए थे। इसके बाद पुलिस ने 4000 सरपंचों के खिलाफ मामला भी दर्ज किया था। सरपंचों को यह लॉलीपाप भी दिया गया था कि 9 मार्च को उनकी सीएम से मुलाकात करवा दी जाएगी। इस पर सरपंचों ने कहा था कि 9 मार्च तक यहीं बैठे रहेंगे।
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Published: 05 Mar 2023, 10:31 AM