क्या मणिपुर में सरकार बचाने के लिए बीजेपी ने सीबीआई को झोंका? पूर्व सीएम को कथित घपले में समन जारी

मणिपुर में 2017 के चुनाव में बीजेपी की सरकार बनने के बाद पिछले साल नवंबर में दर्ज इस मामले में अब करीब 7 महीने बाद पूर्व सीएम को सीबीआई द्वारा समन जारी किया गया। वह भी ऐसे समय जब कई विधायकों के साथ छोड़ने के बाद बीजेपी सरकार पर अल्पमत में आने का खतरा मंडराने लगा है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

मणिपुर की बीजेपी सरकार पर छाए संकट के बीच केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने कांग्रेस नेता और मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री ओकरम इबोबी सिंह को 332 करोड़ रुपये के कथित घपले के मामले में बुधवार को पूछताछ के लिए समन जारी किया है। सीबीआई की टीम पूर्व सीएम से पूछताछ के लिए इम्फाल पहुंच चुकी है। अधिकारियों के मुताबिक, सीबीआई मामले से जुड़े अन्य आरोपियों की भी जांच करेगी।

बता दें कि सीबीआई ने राज्य की बीजेपी सरकार के अनुरोध और केंद्र सरकार की अनुमति के बाद पिछले साल 20 नवंबर को इस मामले को अपने हाथ में लिया था। ओकरम इबोबी सिंह पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने जून 2009 से जुलाई 2017 तक मणिपुर डेवलपमेंट सोसाइटी (एमडीएस) अध्यक्ष के अपने कार्यकाल के दौरान दूसरों के साथ साजिश रचकर लगभग 332 करोड़ रुपये के सरकारी धन की हेराफेरी की, जो उन्हें विकास कार्यों को पूरा करने के उद्देश्य से सौंपा गया था।

लेकिन यहां गौरतलब है कि मणिपुर में 2017 के चुनाव में बीजेपी की सरकार बनने के बाद पिछले साल नवंबर में दर्ज इस मामले में अब करीब 7 महीने बाद पूर्व सीएम को सीबीआई द्वारा समन जारी किया गया है। वह भी ऐसे समय में जब कई विधायकों के पिछले हफ्ते साथ छोड़ने के बाद राज्य की बीजेपी सरकार पर अल्पमत में आने का खतरा मंडराने लगा है।

पिछले हफ्ते 17 जून को मणिपुर में बीजेपी के तीन विधायकों ने इस्तीफा देते हुए जहां कांग्रेस ज्वाइन कर लिया, वहीं 4 विधायकों वाली सहयोगी दल नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने भी बीजेपी सरकार से समर्थन वापसी का ऐलान कर दिया, जिसके बाद पार्टी के तीनों मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया। इसी तरह तृणमूल के एक और एक निर्दलीय विधायक ने भी समर्थन वापसी की घोषणा कर दी, जिससे कुल नौ विधायकों ने बीजेपी की एन बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस लेकर बीजेपी के सामने संकट खड़ा कर दिया है।

बता दें कि मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा में इस वक्त कुल 59 विधायक हैं। दरअसल, कांग्रेस से बीजेपी में जाने पर श्याम कुमार सिंह नामक एक विधायक अयोग्य हो चुके हैं। बीजेपी के तीन विधायकों के जुड़ने के बाद कांग्रेस का दावा है कि उसके पास अब 24 विधायक हो गए हैं। ऐसे में एनपीपी के चार और अन्य दलों और निर्दलीय का समर्थन मिलने पर संख्या बल कांग्रेस के पक्ष में है।

इसके बाद से ही मणिपुर में कांग्रेस नेता ओकरम इबोबी सिंह लगातार राज्यपाल से मिलने के लिए समय देने और विधानसभा का विशेष सत्र तत्काल बुलाने की मांग कर रहे हैं, ताकि बीजेपी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश हो सके। लेकिन अभी तक राजभवन इस पर टालमटोल करता आ रहा है।

और अब इसी बीच राज्य की राजनीति में सीबीआई की इंट्री होती है और मुख्य विपक्षी नेता और पूर्व सीएम के खिलाफ ही बीजेपी सरकार में महीनों पहले दर्ज केस में समन जारी हो जाता है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि मणिपुर में सरकार पर आए संकट से निपटने में अब तक नाकाम रही बीजेपी ने क्या सरकार बचाने के लिए सीबीआई को झोंका है? क्या इस कदम से बीजेपी सरकार से नाता तोड़ने वाली एनपीपी और अन्य दलों को डराने की कोशिश कर रही है, ताकि उसकी सरकार बच सके?

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